‘2 रुपये वाले डॉक्टर’ ने हमेशा के लिए कहा अलविदा, 80 की उम्र में अंतिम सास ली

6 hours ago

Last Updated:August 04, 2025, 17:54 IST

Two rupees doctor death: केरल के '2 रुपये वाले डॉक्टर' ए.के. रायरु गोपाल का निधन हो गया. उन्होंने 50 साल तक बेहद कम फीस में हजारों गरीबों का इलाज किया.

‘2 रुपये वाले डॉक्टर’ ने हमेशा के लिए कहा अलविदा, 80 की उम्र में अंतिम सास ली80 साल के डॉक्टर ए.के. रायरु गोपाल का निधन.

हाइलाइट्स

डॉक्टर गोपाल ने 50 साल तक गरीबों का मुफ्त इलाज किया.हर दिन सुबह 3 बजे से मरीजों को देखना शुरू करते थे.उन्होंने दवा कंपनियों से कभी रिश्ता नहीं रखा, कमीशन नहीं लिया.

केरल के कन्नूर से एक बेहद भावुक करने वाली खबर सामने आई है. यहां 80 साल के डॉक्टर ए.के. रायरु गोपाल का रविवार को निधन हो गया. आम लोगों की नजर में वे सिर्फ डॉक्टर नहीं, बल्कि एक मसीहा थे. लोग उन्हें प्यार से ‘2 रुपये वाला डॉक्टर’ कहते थे, क्योंकि उन्होंने करीब 50 सालों तक बेहद कम फीस लेकर गरीबों और जरूरतमंदों का इलाज किया.

डॉ. गोपाल का नाम उन गिने-चुने डॉक्टरों में आता है, जिनका मकसद सिर्फ इलाज करना था, पैसा कमाना नहीं. आज जब इलाज करवाना आम इंसान की पहुंच से बाहर हो रहा है, ऐसे समय में डॉ. गोपाल की कहानी इंसानियत और सेवा की मिसाल बनकर सामने आती है.

2 रुपये में इलाज करने वाले डॉक्टर की पहचान
डॉ. गोपाल ने अपनी मेडिकल प्रैक्टिस की शुरुआत के बाद से ही ये तय कर लिया था कि वो किसी से ज्यादा पैसे नहीं लेंगे. सालों तक उन्होंने सिर्फ 2 रुपये में इलाज किया, और इसी वजह से उन्हें ‘2 रुपये वाला डॉक्टर’ कहा जाने लगा. बाद में भी उन्होंने अपनी फीस 40 या 50 रुपये से ज्यादा नहीं की, जबकि आजकल एक सामान्य डॉक्टर भी एक बार की जांच के लिए 500 रुपये तक लेता है.

उनकी यही सोच उन्हें सबसे अलग बनाती थी. वो कहते थे – “अगर पैसा कमाना है तो कोई और काम कर लो, डॉक्टर बनना सेवा का काम है.”

सेवा की शुरुआत एक मरीज की हालत देखकर हुई
डॉ. गोपाल की जिंदगी का रास्ता एक दिन पूरी तरह बदल गया, जब उन्होंने एक मरीज को उसके घर जाकर देखा. मरीज की हालत बहुत खराब थी, और इलाज के लिए उसके पास पैसे नहीं थे. इस घटना ने डॉक्टर के दिल को अंदर तक हिला दिया. तभी से उन्होंने तय कर लिया कि वो ऐसे लोगों का इलाज करेंगे, जो डॉक्टर के पास जाने से पहले अपनी जेब देखने को मजबूर होते हैं.

सुबह 3 बजे से ही शुरू हो जाता था इलाज
डॉ. गोपाल को पता था कि मजदूरों और दिहाड़ी कमाने वालों को दिन में वक्त नहीं मिलता. इसलिए उन्होंने सुबह 3 बजे से ही मरीज देखना शुरू कर दिया. उनके घर के पास बने क्लिनिक में रोजाना सैकड़ों मरीज आते थे. कई बार तो एक दिन में 300 से ज्यादा लोग भी लाइन में खड़े रहते थे.

भीड़ ज्यादा होती थी, लेकिन किसी को शिकायत नहीं होती, क्योंकि उन्हें पता था कि यहां उन्हें इलाज मिलेगा, वो भी सच्चे मन से.

बेहद सादा और अनुशासित जीवन जीते थे
डॉ. गोपाल की जिंदगी में दिखावा नहीं था. वो रोज सुबह 2:15 बजे उठते, सबसे पहले अपनी गायों को देखभाल करते, तबेला साफ करते, दूध निकालते. फिर पूजा करते और लोगों को दूध बांटते. इसके बाद सुबह 6:30 बजे से मरीजों को देखना शुरू करते.

उनके काम में उनकी पत्नी डॉ. शकुंतला और एक सहायक भी मदद करते थे. उनकी पत्नी दवाइयां बांटतीं और भीड़ को संभालतीं. ये सब उनके घर के पास, थान मणिक्काकावु मंदिर के पास होता था.

उम्र बढ़ी, मरीजों की संख्या घटी, लेकिन सेवा नहीं रुकी
जैसे-जैसे उम्र बढ़ी, उनकी तबीयत भी थोड़ी कमजोर होने लगी. लेकिन उन्होंने कभी मरीजों को देखना बंद नहीं किया. पहले जितनी भीड़ नहीं आती थी, लेकिन जो भी आता, उसे उसी लगन और ध्यान से देखते थे.

उनके पिता भी डॉक्टर थे – डॉ. ए. गोपालन नांबियार. उन्होंने ही अपने बेटे को सिखाया था कि डॉक्टर का काम सिर्फ इलाज करना है, पैसे कमाना नहीं. डॉ. गोपाल ने अपने पूरे जीवन में इसी सोच को अपनाए रखा.

दवाइयों में भी ईमानदारी बरती, नहीं लिया कोई फायदा
डॉ. गोपाल ने कभी भी दवा कंपनियों के एजेंट से रिश्ता नहीं रखा. उन्होंने कभी महंगी दवाइयां नहीं लिखीं. हमेशा ऐसी दवाइयां दीं जो कम कीमत में असरदार होती थीं. ना कोई कमीशन, ना कोई मुनाफा, सिर्फ मरीज की भलाई का ख्याल.

उनके दो भाई – डॉ. वेणुगोपाल और डॉ. राजगोपाल – भी इसी सोच के साथ इलाज करते थे. ये तीनों भाई कन्नूर में मेडिकल सेवा का एक आदर्श चेहरा बन गए थे.

Location :

Kannur,Kannur,Kerala

First Published :

August 04, 2025, 17:52 IST

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