Last Updated:August 03, 2025, 12:00 IST
Delhi School Fee Hike: फीस के संबंध में दिल्ली के प्राइवेट स्कूलों की मनमानी रोकने के लिए दिल्ली सरकार 'दिल्ली विद्यालय शिक्षा विधेयक, 2025' पेश करेगी. इसके कई लाभ और चुनौतियां हैं.

नई दिल्ली (Delhi School Fee Hike). दिल्ली में स्कूलों की फीस में बेतहाशा बढ़ोतरी और ट्रांसपेरेंसी की कमी को देखते हुए सरकार ने ‘दिल्ली स्कूल एजुकेशन ट्रांसपेरेंसी इन फिक्सेशन एंड रेगुलेशन ऑफ फीस एक्ट 2025’ लागू करने का फैसला किया है. इस विधेयक के तहत अब दिल्ली के 1,677 निजी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों की फीस तय करने का तरीका पूरी तरह बदल जाएगा. मनमानी फीस वसूली, बिना कारण बढ़ोतरी और बच्चों को शिक्षा से वंचित करने की धमकी जैसी शिकायतों के चलते सरकार ने यह कड़ा कदम उठाया.
अब नए नियम से स्कूल, सरकारी अधिकारी और अभिभावकों की भूमिका स्पष्ट हो जाएगी. इससे फीस निर्धारण में पारदर्शिता और कंट्रोल संभव होगा. सरकार का मानना है कि इस एक्ट के लागू होने से सिर्फ फीस नियंत्रण ही नहीं, बल्कि पूरे शिक्षा सेक्टर में जवाबदेही और संतुलन आएगा. इससे अभिभावकों पर बेवजह बढ़ती फीस का आर्थिक बोझ कम होगा और स्कूलों की मनमानी पर रोक लगेगी. नए कानून में विभिन्न निर्णयों में पेरेंट्स की सीधी भागीदारी और किसी भी अनियमितता की स्थिति में तुरंत कार्रवाई का प्रावधान रखा गया है.
दिल्ली के स्कूलों में फीस कैसे निर्धारित होगी?
दिल्ली के स्कूलों में फीस निर्धारण के लिए कई फैक्टर तय किए जा रहे हैं-
1. त्रिस्तरीय समिति की भूमिका
अब हर स्कूल में अभिभावकों, शिक्षकों और प्रशासन के प्रतिनिधियों की पार्टनरशिप वाली ‘फीस निर्धारण कमेटी’ बनेगी. यह समिति स्कूल की तरफ से प्रस्तावित फीस पर चर्चा करेगी और प्रस्ताव सरकारी नियंत्रक या डायरेक्टरेट के पास जाएगा. जिला और राज्य स्तर पर भी अपील और निगरानी समितियां बनाई जाएंगी, जिससे किसी तरह की गड़बड़ी पर बहस और फौरन सुनवाई हो सकेगी.
किस आधार पर बढ़ेगी स्कूल फीस?
स्कूलों की फीस अध्यक्षता, बिल्डिंग की क्वॉलिटी, बेसिक इंफ्रास्ट्रक्चर, शैक्षणिक प्रदर्शन, फंडिंग की जरूरत जैसे 18 पैरामीटर्स को ध्यान में रखकर तय की जाएगी. इससे जरूरतमंद स्कूल ही उचित सीमा तक फीस बढ़ा सकेंगे. जो स्कूल मनमाने ढंग से फीस बढ़ाते हैं, उन पर लगाम कसने में मदद मिलेगी. कानून के मुताबिक, फीस में बढ़ोतरी केवल 3 साल में एक बार ही संभव होगी और वह भी उचित कारण सामने आने पर.
अभिभावकों का रोल और स्कूलों को दंड
अभिभावकों को फीस निर्धारण प्रक्रिया में समिति के माध्यम से डायरेक्ट शामिल किया गया है. उन्हें अब फीस प्रस्ताव, खर्च का तर्क और बजट देखने का अधिकार मिलेगा. किसी गड़बड़ी पर वे समिति के जरिए शिकायत दर्ज करा सकेंगे. अगर कोई स्कूल मंजूरी के बिना फीस बढ़ाता है तो उस पर 1 लाख से 10 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जाएगा. बार-बार उल्लंघन होने पर स्कूल की मान्यता रद्द की जा सकती है.
बच्चों के हितों की सुरक्षा
कोई भी स्कूल फीस विवाद की वजह से स्टूडेंट को न तो पढ़ाई से वंचित करेगा, न ही ट्रांसफर सर्टिफिकेट रोक सकेगा. इसके साथ ही ट्रांसपोर्ट, यूनिफॉर्म और किताबों जैसी अन्य फीस पर भी नियंत्रण रहेगा. इससे अचानक बड़े खर्च से अभिभावकों को राहत मिलेगी. कई मामलों में सामने आया कि स्कूल फीस जमा करने में देरी पर बच्चों को कठोर सजा दी गई.
दिल्ली स्कूल बिल की संभावित चुनौतियां
Having an experience of 9 years, she loves to write on anything and everything related to lifestyle, entertainment and career. Currently, she is covering wide topics related to Education & Career but she also h...और पढ़ें
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First Published :
August 03, 2025, 12:00 IST