नई दिल्ली (India Pakistan News). पिछले कुछ सालों में बच्चों ने घर बैठे ही काफी दुनिया देख ली है. 2020 से 2022 तक कोविड काल में लॉकडाउन, आइसोलेशन जैसे टर्म्स सीखे और जिए.. अब 2025 में भारत पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के कारण जंग जैसे हालात भी देख रहे हैं. राजस्थान, जम्मू, पंजाब, हरियाणा समेत कई राज्य हाई अलर्ट पर हैं. इन राज्यों के विभिन्न जिलों में स्कूल बंद करने के आदेश भी दे दिए गए हैं. इस स्थिति में स्कूली बच्चों का ख्याल रखना बहुत जरूरी है.
बच्चों के कोमल मन पर किस बात का असर कैसे हो, कुछ कहा नहीं जा सकता है. ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) के अगले ही दिन कई स्कूलों में मॉक ड्रिल की गई थी (Mock Drill in School). बच्चों को ब्लैकआउट की जानकारी भी मिली. यह दौर उनके लिए नया है. ऐसे में उनके मन में कई तरह के सवाल भी हैं. इसलिए जरूरी है कि पेरेंट्स उनके मन की हर दुविधा को दूर करें और उन्हें अच्छी-बुरी परिस्थितियों के लिए भी तैयार करें.
India Pakistan Conflict: भारत पाकिस्तान तनाव के बीच बच्चों का ख्याल कैसे रखें?
भारत-पाकिस्तान तनाव के बीच स्कूली बच्चों को तैयार करना काफी सेंसिटिव और जिम्मेदारी भरा काम है. इस समय बच्चों को सुरक्षित रखना, उनकी मानसिक शांति बनाए रखना और उन्हें इमर्जेंसी स्थिति में सही रिएक्शन देने के लिए तैयार करना जरूरी है.
1. इमर्जेंसी मॉक ड्रिल और ट्रेनिंग
मॉक ड्रिल: स्कूलों को नियमित रूप से आपातकालीन मॉक ड्रिल आयोजित करनी चाहिए. सोसाइटीज़ में भी मॉक ड्रिल करवा सकते हैं. इन ड्रिल्स में बच्चों को डेस्क के नीचे छिपना, व्यवस्थित तरीके से एग्जिट करना और सुरक्षित स्थानों (जैसे बंकर) तक पहुंचना सिखाया जाना चाहिए.
फर्स्ट एड ट्रेनिंग: बच्चों को बेसिक फर्स्ट एड, जैसे घावों की ड्रेसिंग, घायल व्यक्ति को स्ट्रेचर पर ले जाने और आग बुझाने की तकनीक सिखाएं. पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर में स्कूलों में बच्चों को ऐसी ट्रेनिंग दी जा रही है और भारत में भी यह उपयोगी हो सकती है.
एग्जिट प्लान: स्कूलों को स्पष्ट एग्जिट प्लान बनाने चाहिए, जिसमें इमर्जेंसी एग्जिट, सुरक्षित सभा स्थल और अभिभावकों से संपर्क की प्रक्रिया शामिल हो. दिल्ली के शिक्षा निदेशालय ने स्कूलों में ऐसी तैयारियों के लिए वीडियो और गाइडलाइंस शेयर किए हैं.
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2. मेंटल और इमोशनल तैयारी
स्ट्रेस मैनेजमेंट: भारत पाकिस्तान युद्ध की तनावपूर्ण खबरें बच्चों में डर बना सकती हैं. ऐसे में शिक्षकों और अभिभावकों को उनके साथ खुलकर बात करनी चाहिए, उनकी परेशानी को सुनना चाहिए और उन्हें आश्वस्त करना चाहिए कि उनकी सिक्योरिटी सबसे ऊपर है. स्कूलों में काउंसलर की मदद ले सकते हैं.
पॉजिटिव आउटलुक: बच्चों को शांति, सहिष्णुता (Tolerance) और एकता के मूल्य सिखाएं. उन्हें ज्यादा से ज्यादा पॉजिटिव रखने की कोशिश करें. उन्हें सैनिकों की वीर गाथाएं सुनाएं और उनके हर सवाल का जवाब देने की कोशिश करें.
लिमिट करें मीडिया एक्सपोजर: बच्चों को तनाव बढ़ाने वाली खबरों या सोशल मीडिया कॉन्टेंट से दूर रखें. उनके साथ टाइम स्पेंड करें, गेम्स खेलें, कहानियां सुनाएं और उन्हें एक्टिविटीज में व्यस्त रखें. गर्मी की छुट्टियां शुरू होने वाली हैं. ऐसे में बच्चों को फोन और सोशल मीडिया से दूर रखना जरूरी है.
3. स्कूलों में सेफ्टी के उपाय
सिक्योरिटी इंफ्रास्ट्रक्चर: स्कूलों में इमर्जेंसी एग्जिट, fire extinguisher और फर्स्ट एड किट जैसी सुविधाएं उपलब्ध होनी चाहिए. भारत पाकिस्तान बॉर्डर क्षेत्रों के स्कूलों में बंकर या शेल्टर की व्यवस्था की जानी चाहिए.
सेफ्टी अवेयरनेस: बच्चों को संदिग्ध वस्तुओं या व्यक्तियों की पहचान करना और शिक्षकों को तुरंत सूचित करना सिखाएं. जरूर पड़े तो उन्हें हमले से बचाव की ट्रेनिंग भी दिलवाएं. पेरेंट्स को भी बच्चों से इस संबंध में बातचीत करनी चाहिए.
अभिभावक-स्कूल सहयोग: अभिभावकों को स्कूल की इमर्जेंसी योजनाओं के बारे में बताएं. इसके साथ ही उन्हें घर पर भी बच्चों को समान गाइडलाइंस का पालन करने के लिए प्रोत्साहित करें. इससे उन्हें चीजें और हालात समझने में मदद मिलेगी.
4. घर में क्या करें?
इमर्जेंसी किट: सिक्योरिटी एक्सपर्ट जेफरी फिशर के अनुसार, अभिभावकों को घर में कम से कम तीन दिनों का भोजन, पानी, दवाइयां और अन्य आवश्यक वस्तुओं का स्टॉक रखना चाहिए.
फैमिली इमर्जेंसी प्लान: बच्चों को परिवार के साथ इमर्जेंसी प्लान बनाना चाहिए, जिसमें सुरक्षित स्थान, संपर्क नंबर और बिछड़ कर मिलने की जगह शामिल हों.
कम्युनिकेशन स्किल: बच्चों को आपात स्थिति में जरूरी फोन नंबर (जैसे पुलिस, आपातकालीन सेवाएं) याद रखने और उनका उपयोग करने की ट्रेनिंग दें. उन्हें घर के 2-3 सदस्यों के नंबर भी याद करवाएं.
5. शिक्षा और जागरूकता
इतिहास और संदर्भ समझाएं: बच्चों को भारत-पाकिस्तान संबंधों का ऐतिहासिक संदर्भ समझाएं. इससे वे तनाव के कारणों को समझ सकेंगे और नकारात्मक प्रचार से प्रभावित नहीं होंगे.
नागरिक जिम्मेदारी: बच्चों को नागरिक जिम्मेदारी और आपदा प्रबंधन में योगदान देने की भावना विकसित करें.
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काम की बात
डर से बचें: ट्रेनिंग के दौरान बच्चों में डर पैदा करने से बचें. इसे एक पॉजिटिव, सशक्तिकरण एक्टिविटी के रूप में प्रेजेंट करें.
निष्पक्षता बनाए रखें: बच्चों को किसी देश या समुदाय के खिलाफ नफरत या पक्षपात सिखाने की भूल न करें. उन्हें शांति और coexistence के बारे में बताएं.
फर्जी खबरों से दूरी: भारत पाकिस्तान जंग की स्थिति में सोशल मीडिया पर पुरानी या एआई जनरेटेड फोटोज का ट्रेंड बढ़ गया है. इन पर न तो खुद भरोसा करें और न ही बच्चों को करने दें.