वंदेभारत स्‍लीपर के ट्रायल में कनस्‍टर रखकर क्‍यों चलाया जा रहा है?

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Last Updated:November 13, 2025, 10:06 IST

Indian Railway- वंदेभारत स्‍लीपर ट्रेन का ट्रायल जोर-शोर से कोटा में किया जा रहा है. इसकी फोटो भी देखने को मिल रही हैं, जिसमें ट्रेन के अंदर लाइन से कनस्‍तर रखे दिख रहे हैं, क्‍या आपको पता है कि क्‍यों रखा जाता है और इसमें क्‍या होता है?

वंदेभारत स्‍लीपर के ट्रायल में कनस्‍टर रखकर क्‍यों चलाया जा रहा है?कोटा में किया जा रहा है स्‍लीपर ट्रेन का ट्रायल.

नई दिल्‍ली. वंदेभारत एक्‍सप्रेस के बाद वंदेभारत स्‍लीपर ट्रेन भी शुरू होने वाली है. इसका ट्रायल राजस्‍थान के कोटा के आसपास चल रहा है. इसकी फोटो भी लगातार आ रही है. आपने ट्रेन के अंदर की फोटो भी देखी होगी. जिसमें पूरी ट्रेन खाली दिखाई दे रही है, उसमें कनस्‍टर रखे हुए हैं. आम लोगों के मन में एक सवाल उठ रहा है कि आखिर कनस्‍टर क्‍यों रखे गए हैं और इनमें क्‍या होता है. इस तरह के सवालों के जवाब रेलवे अधिकारी दे रहे हैं, आप भी जानिए –

लंबी दूरी के यात्रियों को राहत देने के लिए रेलवे वंदेभारत के बाद अब स्‍लीपर वंदेभारत चलाने जा रहा है. मौजूदा वंदेभारत सिटिंग है, इस वजह से इसे लंबी दूरी के लिए नहीं चलाया जा सकता है. एक स्‍लीपर वंदेभारत बनकर तैयार है और दूसरी आईसीएफ में लगभग बन चुकी है. एक ट्रेन का कोटा में ट्रायल चल रहा है.

क्‍यों रखे जाते हैं कनस्‍ट

रेल मंत्रालय के एग्‍जीक्‍यूटिव डायरेक्‍टर इनफार्मेशन एंड पब्लिसिटी दिलीप कुमार ने बताया कि वंदेभारत में ट्रायल के दौरान खाली चलती है, इसलिए यात्रियों की क्षमता के अनुसार उसी वजन के रेत से भरे कनस्‍तर रखे जाते हैं और उसके साथ निर्धारित स्‍पीड में दौड़ाया जाता है. इस तरह वजन के साथ ट्रायल होता है. जिसे ऑसिलेशन ट्रायल कहते हैं. मौजूदा समय कोटा में दौड़ रही स्‍लीपर वंदेभारत में यही ट्रायल हो रहा है.

सात तरह के ट्रायल

वंदे भारत एक्सप्रेस को ट्रैक पर चलाकर कुल सात तरह ट्रायल किए जाते हैं. ये सभी ट्रायल आरडीएसओ (रिसर्च डिज़ाइन एंड स्टैंडर्ड्स ऑर्गनाइज़ेशन) और रेलवे बोर्ड की देखरेख में होते हैं. ऑसिलेशन ट्रायल जो ट्रेन की स्थिरता और कंपन चेक करने के लिए लिए किया जाता है. इसमें 115 किमी/घंटा तक और फिर 180 किमी/घंटा तक की स्‍पीड में खाली और लोडेड ट्रेन दौड़ाई जाती है.

इसके अलावा हाई-स्पीड कंफर्मेटरी ट्रायल में स्पीड में चलाकर ब्रेकिंग और स्थिरता टेस्ट की जाती है. कंफर्मेटरी ऑसिलोग्राफ कार रन ट्रायल में कोच और ट्रैक के बीच सामंजस्‍य रिकार्ड होता है. ब्रेकिंग डिस्टेंस ट्रायल अलग-अलग स्पीड पर इमरजेंसी और नॉर्मल ब्रेकिंग लगाई जाती है. कपलर फोर्स ट्रायल कोचों के बीच जुड़े कपलर पर तेज़ रफ्तार और ब्रेकिंग के दौरान पड़ने वाला दबाव मापा जाता है. लॉन्ग डिस्टेंस रनिंग ट्रायल बिना रुके चलाकर सभी सिस्टम की जांच की जाती है.

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Location :

New Delhi,New Delhi,Delhi

First Published :

November 13, 2025, 10:06 IST

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