रेबीज का टीका लेने के बाद भी 3 बच्चों की मौत! मचा हड़कंप, वैक्सीन पर उठे सवाल

2 hours ago

Last Updated:May 06, 2025, 12:05 IST

Kerala rabies vaccine deaths: केरल में रेबीज वैक्सीन लेने के बावजूद तीन बच्चों की मौत ने राज्य में हड़कंप मचा दिया है. सरकार वैक्सीन की गुणवत्ता पर सफाई दे रही है, जबकि विपक्ष स्वास्थ्य विभाग पर गंभीर आरोप लगा ...और पढ़ें

रेबीज का टीका लेने के बाद भी 3 बच्चों की मौत! मचा हड़कंप, वैक्सीन पर उठे सवाल

केरल में रेबीज से बच्चों की मौत

पिछले एक महीने में केरल में तीन ऐसे बच्चों की मौत हुई है जो रेबीज का टीका लगवा चुके थे. इन घटनाओं से पूरे राज्य में चिंता और डर का माहौल बन गया है. ताजा मामला तिरुवनंतपुरम का है, जहां 7 साल की निया फैजल की मौत सोमवार को SAT अस्पताल में हो गई. उसे पहले ही रेबीज की तीन डोज़ दी जा चुकी थीं.

पहले भी दो बच्चियों की टीकाकरण के बाद मौत
निया से पहले 9 अप्रैल को पठानमथिट्टा ज़िले की 12 साल की लड़की और 29 अप्रैल को एक 5 साल की बच्ची की रेबीज से मौत हो चुकी है. ये दोनों भी रेबीज का टीका ले चुकी थीं. इन तीनों मामलों में बच्चों को सिर और हाथ में गहरी चोटें लगी थीं, जो रेबीज वायरस के तंत्रिका तंत्र तक पहुंचने का आसान रास्ता बन जाती हैं.

जख्म की सही देखभाल नहीं बनी वजह?
स्वास्थ्य मंत्री वीणा जॉर्ज ने बताया कि जब किसी को चेहरे या हाथ जैसे हिस्सों पर जानवर काटता है, तो वहां नसों की मौजूदगी के कारण वायरस जल्दी शरीर में फैल सकता है. इसलिए जरूरी है कि काटने के तुरंत बाद जख्म को साबुन और पानी से अच्छे से धोया जाए. अगर ऐसा नहीं होता, तो वायरस नसों तक पहुंच सकता है, और टीके का असर कम हो जाता है.

सरकार ने दी सफाई, वैक्सीन में नहीं कोई गड़बड़ी
इन मौतों पर सफाई देते हुए स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि राज्य में इस्तेमाल होने वाली हर वैक्सीन की गुणवत्ता की जांच की जाती है. साल 2022 में सरकार ने एक विशेषज्ञ कमेटी बनाई थी, जिसने पाया कि वैक्सीनेशन के बाद लोगों में जरूरी एंटीबॉडी बन रही हैं. ये सभी वैक्सीन हिमाचल प्रदेश के कसौली स्थित सेंट्रल ड्रग्स लैब से जांच के बाद ही अस्पतालों में भेजी जाती हैं.

विपक्ष का आरोप – बच्चों की जान गई विभाग की लापरवाही से
विपक्ष के नेता वीडी सतीसन ने कहा कि पिछले पांच सालों में रेबीज से मरने वाले 102 लोगों में से 20 लोगों को टीका दिया गया था. इसके बावजूद सरकार यह दावा करती रही कि वैक्सीन पूरी तरह सुरक्षित है. उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही और भ्रष्टाचार की वजह से मासूम बच्चों की जान जा रही है.

2024 में अब तक 13 मौतें, आंकड़े डराने वाले
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 2024 में अब तक रेबीज से 13 लोगों की मौत हो चुकी है. 2023 में ये आंकड़ा 17 था और 8 मामले संदिग्ध थे. 2022 में 21 मौतें हुई थीं, जिनमें से 12 की पुष्टि हुई थी. इस साल अब तक 1,69,906 लोगों को रेबीज का टीका लगाया जा चुका है.

लैंसेट की रिपोर्ट ने भी जताई चिंता
2023 में प्रसिद्ध मेडिकल जर्नल ‘The Lancet’ ने भी इस पर सवाल उठाए थे. रिपोर्ट में कहा गया था कि वैक्सीन लेने के बावजूद लोगों की मौत का कारण गहरे घाव और समय पर सही इलाज न मिलना है. एक सर्वे में पाया गया कि भारत के केवल 38% लोग ही जानवर के काटने के बाद साबुन और पानी से घाव धोते हैं, जो पहला और जरूरी कदम होता है.

बीते वर्षों में बढ़े संक्रमित कुत्तों के मामले
2022 की एक रिपोर्ट में बताया गया कि केरल में संक्रमित कुत्तों की संख्या पिछले पांच साल में दोगुनी हो चुकी है. 300 कुत्तों के सैंपल में से 168 (56%) पॉजिटिव पाए गए, जबकि 2016 में ये आंकड़ा 32% था. 2022 में 2 लाख से ज्यादा कुत्ते काटने के मामले सामने आए, जिनमें से 21 की मौत हुई.

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