Last Updated:July 08, 2025, 14:17 IST
Rajasthan Politics : बड़े बुजुर्ग कहते हैं कि खुद के घर की बात ही अलग होती है. पराए घर में वो सुकून नहीं मिलता जो खुद के घर में मिलता है. फिर चाहे घर कैसा भी क्यों ना हो. कुछ ऐसा ही हाल हो रहा है राजस्थान कांग्...और पढ़ें

बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ का कहना है कि पार्टी में पद पाने के लिए उन्हें पहले अपनी निष्ठा साबित करनी होगी.
हाइलाइट्स
कांग्रेस छोड़ BJP में आए नेताओं को तवज्जो नहीं मिल रही है.बीजेपी में शामिल ज्यादातर नेता चुनाव हार गए.बीजेपी में पद पाने के लिए निष्ठा साबित करनी होगी.जयपुर. राजस्थान में भाजपा की नई टीम बनने को तैयार है. इस नई टीम में पिछले विधानसभा और लोकसभा चुनाव के समय कांग्रेस समेत अन्य पार्टियों को छोड़कर बीजेपी में एंट्री करने वाले नेताओं को जगह मिलेगी या नहीं यह बड़ा सवाल है. बीजेपी ने बाहरी नेताओं के लिए कुछ मापदंड से किए हैं. पार्टी के मुताबिक ये नेता अगर पार्टी के प्रति निष्ठा साबित कर पाए तो उन्हें टीम में जगह मिलेगी. हालांकि अन्य पार्टी से भाजपा में शामिल हुए कई बड़े नेताओं को फिलहाल वो तवज्जो नहीं मिल रही है ना ही वो नेता भाजपा के प्रमुख कार्यक्रमों में देखे जा रहे हैं.
दूसरी पार्टियों से आने वाले नेताओं में से पूर्व सांसद ज्योति मिर्धा और प्रोफेसर गौरव वल्लभ को छोड़ दिया जाए तो किसी नेता को भाजपा संगठन में बड़ा पद नहीं मिला है. गिनती के कुछ नेताओं का चुनाव में उपयोग जरूर किया गया था. पहले विधानसभा और फिर लोकसभा दोनों ही चुनाव में बड़ी संख्या में कांग्रेस और अन्य पार्टियों के कई बड़े नामचीन नेताओं ने भाजपा का दामन थामा था. भाजपा में आए ऐसे नेताओं की ज्वानिंग जोर शोर से की गई थी लेकिन दोनों प्रमुख चुनावों के होते ही ऐसे नेता भी दरकिनार से हो गए. चुनावों के बाद यह बड़े नेता ज्यादा संगठन में सक्रिय नजर नहीं आ रहे हैं. पार्टी कार्यालय पर भी उनकी उपस्थित ना के बराबर है.
ये नेता हुए थे बीजेपी में शामिल
राजस्थान में कांग्रेस का दामन छोड़कर बीजेपी में शामिल होने वाले नेताओं में पूर्व मंत्री लालचंद कटारिया, महेंद्रजीत सिंह मालवीय, राजेंद्र यादव, पूर्व सांसद खिलाड़ीलाल बैरवा, ज्योति मिर्धा, पूर्व विधायक रिछपाल मिर्धा, विजयपाल मिर्धा, दर्शन सिंह गुर्जर, दीपचंद खेरिया, रामनारायण किसान, रमेश खींची, आलोक बेनीवाल और गिर्राज सिंह मलिंगा शामिल हैं. इनके अलावा भीलवाड़ा के पूर्व जिला अध्यक्ष रामपाल शर्मा, जयपुर की पूर्व मेयर ज्योति खंडेलवाल, खादी बोर्ड उपाध्यक्ष पंकज मेहता, कांग्रेस कोषाध्यक्ष और प्रत्याशी सीताराम अग्रवाल, कांग्रेस नेता रामनिवास मीणा, प्रोफेसर गौरव बल्लभ, पूर्व आईएएस औंकार सिंह चौधरी, राजस्थान कांग्रेस सेवा दल के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुरेश चौधरी, जोबनेर पंचायत समिति प्रधान शैतान सिंह मेहरड़ा, झोटवाड़ा पंचायत समिति प्रधान रामनारायण झाझड़ा, जगन्ननाथ बुरड़क, कर्मवीर चौधरी, कुलदीप देवा बच्चूसिंह चौधरी, रामलाल मीणा, महेश शर्मा, रणजीत सिंह और मधुसूदन शर्मा के नाम भी शामिल हैं.
कांग्रेस से आए बड़े नेता चुनाव हार गए
बीजेपी ने कांग्रेस से आने वाले गिनती के नेताओं को विधानसभा और लोकसभा में टिकट देकर चुनाव मैदान में उतारा था. लेकिन ज्यादातर नेता सफल नहीं हो पाए और उन्हें हार का सामना करना पड़ा. इसमें ज्योति मिर्धा को तो पहले विधानसभा और बाद में लोकसभा का चुनाव लड़ाया गया. लेकिन वे दोनों चुनाव में हार गईं. इतना ही नहीं मिर्धा को तो प्रदेश संगठन में उपाध्यक्ष पद का भी दायित्व दिया गया है. वहीं महेंद्रजीत सिंह मालवीय दशकों कांग्रेस में रहकर बीजेपी में शामिल हुए. उनको बीजेपी डूंगरपुर- बांसवाड़ा लोकसभा से चुनाव मैदान में उतारा, लेकिन वे भी हार गए. इसके अलावा कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए बाड़ी विधायक गिर्राज सिंह मलिंगा को भी पार्टी ने टिकट दिया गया, लेकिन उन्हें भी हार का सामना करना पड़ा था.
कुछ जीते कुछ हारे
हालांकि हनुमान बेनीवाल की पार्टी छोड़ भाजपा में शामिल हुए रेवंतराम डांगा को पार्टी ने टिकट दिया तो वो खींवसर विधानसभा सीट से जीतकर विधानसभा पहुंच गए. बीजेपी ने कांग्रेस से भाजपा में आये पूर्व विधायक दर्शन सिंह गुर्जर को करौली विधानसभा से टिकट दिया तो उन्होंने जीत दर्ज की. कांग्रेस नेता रामनिवास मीणा को भाजपा ने टोडाभीम से विधानसभा का चुनाव लड़ाया, लेकिन हार का सामना करना पड़ा. इसी तरह से कांग्रेस के पूर्व विधायक रमेश खींची को पार्टी ने कठूमर से विधानसभा चुनाव लड़ाया और जीत हासिल हुई.
पार्टी की प्रति नेताओं की समझ देखी जाएगी
बीजेपी ने टिकट नहीं दिया तो रविन्द्र भाटी निर्दलीय चुनाव लड़कर विधायक बन गए. बाद में पार्टी ने उनको लोकसभा में भी टिकट नहीं दिया. इस पर उन्होंने बागी होकर लोकसभा का चुनाव भी लड़ा. हालांकि वे खुद हार गए लेकिन बीजेपी प्रत्याशी को भी जीत का स्वाद नहीं चखने दिया. इस पूरे मसले पर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ का कहना है कि नए लोगों की पार्टी की प्रति समझ, रीति नीति, कार्य प्रणाली, दृष्टिकोण और योगदान देखा जाता है. अगर वे अलग-अलग नजर आते हैं तो यह हमारी कमी है.
पद पाने के लिए यह रहेगी शर्त
अब भाजपा ने तय किया है कि जो भी नेता अन्य दलों से आए हैं उन्हें पहले एक समय अवधि में पार्टी के प्रति अपनी निष्ठा साबित करनी होगी. उसके बाद ही उन्हें कोई दायित्व को दिया जाएगा. बकौल मदन राठौड़ भारतीय जनता पार्टी सिद्धांतों पर चलने वाली पार्टी है. ऐसे में जो भी नेता किसी भी दल को छोड़कर आए हैं तो उन्हें पहले भारतीय जनता पार्टी की रीति और नीति को अपनाना होगा. देश के विकास में किस तरह से योगदान दें वह उन्हें साबित करना होगा. अगर इनमें से कोई भी नेता अपने निष्ठा को साबित कर देता है तो पार्टी उन्हें जिम्मेदारी जरूर देगी.
संदीप ने 2000 में भास्कर सुमूह से पत्रकारिता की शुरुआत की. कोटा और भीलवाड़ा में राजस्थान पत्रिका के रेजीडेंट एडिटर भी रह चुके हैं. 2017 से News18 से जुड़े हैं.
संदीप ने 2000 में भास्कर सुमूह से पत्रकारिता की शुरुआत की. कोटा और भीलवाड़ा में राजस्थान पत्रिका के रेजीडेंट एडिटर भी रह चुके हैं. 2017 से News18 से जुड़े हैं.
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Jaipur,Jaipur,Rajasthan