Last Updated:July 25, 2025, 08:41 IST
MBBS Fees: भारत में एमबीबीएस कोर्स की फीस करोड़ों में है. इतनी महंगी फीस भर पाने में अक्षम स्टूडेंट्स वियतनाम, रूस, यूक्रेन जैसे देशों का रुख करते हैं.

हाइलाइट्स
भारत में एमबीबीएस की फीस 1 करोड़ रुपये तक है.निजी मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस की फीस ज्यादा है.वियतनाम में एमबीबीएस की पढ़ाई सस्ती है.नई दिल्ली (MBBS Fees): नीट में सफल हर स्टूडेंट भारतीय मेडिकल कॉलेज में एडमिशन नहीं ले पाता है. भारत में एमबीबीएस की फीस करीब 1 करोड़ रुपये है. सबके लिए इतनी फीस भर पाना मुमकिन नहीं है. ऐसे में स्टूडेंट्स ऑल्टरनेट करियर ऑप्शन तलाशते हैं या एमबीबीएस के लिए विदेश चले जाते हैं. जोहो कॉरपोरेशन के संस्थापक श्रीधर वेम्बु ने भारत में मेडिकल शिक्षा की बढ़ती लागत पर गंभीर चिंता जताई है. उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर वियतनाम और भारत की एमबीबीएस फीस की तुलना की है.
50 हजार करोड़ से ज्यादा की नेटवर्थ वाले श्रीधर वेम्बु ने लिखा कि वियतनाम में MBBS केवल 4 लाख रुपये प्रति वर्ष में संभव है (Zoho Founder Sridhar Vembu Net Worth). वहीं, भारत में निजी मेडिकल कॉलेजों में यह लागत 60 लाख से 1 करोड़ रुपये या उससे अधिक हो सकती है. वेम्बु ने इसे ‘शर्मनाक’ करार दिया. भारत और वियतनाम की प्रति व्यक्ति जीडीपी लगभग समान (वियतनाम: $4700, भारत के दक्षिणी राज्य: समान या थोड़ा कम) है. भारत के सरकारी मेडिकल कॉलेज की एमबीबीएस फीस कई देशों की तुलना में कम है.
MBBS Fees in India: भारत में एमबीबीएस की पढ़ाई महंगी क्यों?
यह मुद्दा भारत में मेडिकल शिक्षा और एमबीबीएस की फीस पर गंभीर सवाल उठाता है. आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 के अनुसार, भारत में मेडिकल कॉलेजों की संख्या 2019 में 499 से बढ़कर 2025 में 780 हो गई और MBBS सीटें 70,012 से 1,18,137 हो गई हैं. फिर भी निजी कॉलेज (जो 48% सीटें नियंत्रित करते हैं) अत्यधिक फीस वसूलते हैं. इससे मेडिकल शिक्षा आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए पहुंच से बाहर हो रही है. श्रीधर वेम्बु का कहना है कि शिक्षा को राष्ट्र-निर्माण का साधन होना चाहिए, न कि केवल लाभ का.
India vs Vietnam MBBS Fees: वियतनाम और भारत में एमबीबीएस की फीस
वियतनाम में MBBS की फीस प्रति व्यक्ति जीडीपी के हिसाब से तय की गई है. यह प्रति वर्ष लगभग 4 लाख रुपये है. इसके विपरीत, भारत में निजी मेडिकल कॉलेज की फीस 60 लाख से 1 करोड़ रुपये तक हो सकती है. इस भारी अंतर के चक्कर में भारतीय स्टूडेंट्स वियतनाम, जॉर्जिया और यूक्रेन जैसे देशों का रुख करते हैं. वहां शिक्षा सस्ती और गुणवत्तापूर्ण है. श्रीधर वेम्बु ने इस असमानता को भारत के लिए शर्मनाक बताया क्योंकि यह एमबीबीएस शिक्षा को केवल अमीर वर्ग तक सीमित कर देता है.
I recently came across Indian students going to Vietnam to study medicine and the colleges there charge them ₹4 lakh a year (about $4600) in fees. I am told the quality of education is good.
Vietnam’s GDP per capita is about $4700 and our southern states are at about the same…
सोशल मीडिया पर छिड़ गई बहस
श्रीधर वेम्बु की टिप्पणी ने सोशल मीडिया पर तीखी बहस छेड़ दी है. कुछ यूजर्स ने भारत में सीमित सरकारी सीटों, निजी कॉलेजों के लालच और मेडिकल प्रवेश परीक्षाओं की कठिनाई को लागत बढ़ने का कारण बताया. एक यूजर ने कहा कि वियतनाम सस्ती शिक्षा देकर ‘सॉफ्ट पावर’ बढ़ा रहा है, जबकि भारत में इसे प्रॉफिट का सोर्स बना दिया गया है. हालांकि, कुछ ने तर्क दिया कि भारत में उच्च फीस का कारण वैश्विक स्तर के डिवाइस, शिक्षक और बुनियादी ढांचे की लागत है, जो स्थानीय जीडीपी से कम करना चुनौतीपूर्ण है.
आर्थिक सर्वेक्षण का दृष्टिकोण
आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 में सुझाव दिया गया कि मेडिकल शिक्षा की लागत कम करने से हेल्थ सर्विसेस ज्यादा सस्ती और inclusive हो सकती हैं. आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 में बताया गया कि मेडिकल कॉलेजों और सीटों की संख्या में बढ़त के बावजूद निजी कॉलेजों की ऊंची फीस एक बड़ी बाधा है. यह स्थिति मध्यम और निम्न-आय वर्ग के स्टूडेंट्स के लिए मेडिकल शिक्षा को लगभग असंभव बनाती है. इससे देश में डॉक्टर्स की कमी को दूर करने में भी चुनौती आ रही है.
Having an experience of 9 years, she loves to write on anything and everything related to lifestyle, entertainment and career. Currently, she is covering wide topics related to Education & Career but she also h...और पढ़ें
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