Last Updated:July 26, 2025, 06:30 IST

हाइलाइट्स
ऑपरेशन सिंदूर के बाद एयरफोर्स को ताकतवर बनाने की कवायद तेजपांचवीं पीढ़ी के मॉडर्न फाइटर जेट की खरीद की चल रही है प्लानिंगअमेरिका का एफ-35 और रूस का सुखोई-57 पर टिकी हैं नजरें5th Generation Fighter Jet Deal: सैन्य तनाव और युद्ध 21वीं सदी की दुनिया की हकीकत बन चुकी है. पहले रूस-यूक्रेन के बीच युद्ध. उसके बाद इजरायल-हमास जंग के बाद इजायल-ईरान वॉर. अब थाईलैंड और कंबोडिया के बीच जंग छिड़ गई है. मौजूदा सामरिक हालात को देखते हुए हर छोटे से बड़े देश अपनी रक्षा प्रणाल को दुरुस्त और उसे मजबूत बनाने में जुटा है. अल्ट्रा मॉडर्न वेपन सिस्टम जुटाने की होड़ सी मची हुई है. भारत ने इस दिशा में उल्लेखनीय प्रगति की है. ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल से लेकर अग्नि-5 आईसीबीएम तक डेवलप किया गया है. पिछले दिनों भारत ने आकाश प्राइम मिसाइल डिफेंस और हाइरपसोनिक मिसाइल की सफल टेस्टिंग की है. इससे आर्मी और एयरफोर्स की ताकत काफी बढ़ी है. राफेल फाइटर जेट की खरीद ने आसमान में भारत की ताकत को और बढ़ाया है. इसके साथ ही भारत ने रूस से S-400 एयर डिफेंस सिस्टम भी खरीदा है, जिसे बॉर्डर पर तैनात किया गया है. देसी डिफेंस सिस्टम ने भी ऑपरेशन सिंदूर के दौरान अपनी उपयोगिता साबित की थी. दूसरी तरफ, नेवी को मजबूत बनाने की दिशा में भी लगातार काम चल रहा है. हजारों करोड़ रुपये का निवेश किया जा रहा है. हाल में ही आईएनएस तमाल और अन्य वॉरशिप और फ्रिगेट को नौसेना के बेड़े में शामिल किया गया है. नेवी के पास पहले से ही आईएनएस विक्रमादित्य और आईएनएस विक्रांत नाम के दो एयरक्राफ्ट कैरियर मौजूद हैं. इसकी संख्या बढ़ाने पर भी विचार किया जा रहा है, ताकि जमीन और आसमान के साथ ही समंदर में भी भारत को निर्णायक बढ़त मिल सके.
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान एयरफोर्स ने अपनी ताकत से दुनिया को चौंका दिया था. हालांकि, इस दौरान कुछ कमियां भी सामने आईं. अब इनको दूर करने की दिशा में तेजी से कदम उठाया जा रहा है. पांचवीं पीढ़ी के फाइटर जेट के बिना एयरफोर्स का अपग्रेडेशन प्लान अधूरा सा है. दूसरी तरफ, चीन ने अपने यार पाकिस्तान को पांचवीं पीढ़ी का लड़ाकू विमान मुहैया कराने की बात कही है. बता दें कि 5th जेनरेशन का फाइटर जेट मौजूदा रडार सिस्टम को धता बताने में सक्षम है. ऐसे में यदि चीन और पाकिस्तान के बीच पांचवीं पीढ़ी के फाइटर जेट की डील पक्की होती है तो दक्षिण एशिया में सामरिक संतुलन पाकिस्तान की तरफ झुक सकता है. भारत इस बात को अच्छी तरह से समझता है. यही वजह है कि देसी टेक्नोलॉजी से देश में ही पांचवीं पीढ़ी का फाइटर जेट बनाने के प्रोजेक्ट को लॉन्च किया गया है. इसे एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (Advanced Medium Combat Aircraft – AMCA) का नाम दिया गया है. इसके अलावा तेजस फाइटर जेट के नए वैरिएंट को डेवल करने का काम भी चल रहा है. इन सबके बीच फौरी जरूरतों को पूरा करने के लिए पांचवीं पीढ़ी का विमान खरीदने को लेकर एयरफोर्स की तरफ से स्ट्रॉन्ग डिमांड रखी गई है. डिफेंस सेर्केटरी आरके सिंह ने वायुसेना की इस मांग का समर्थन किया है.
पांचवीं पीढ़ी के अमेरिकी F-35 फाइटर जेट के एक यूनिट की कीमत इंटरनेशनल मार्केट में तकरीबन 951 करोड़ रुपये है. (फोटो: एपी)
2 से 3 स्क्वाड्रन पांचवीं पीढ़ी का जेट
एयरफोर्स ने दो से तीन स्क्वाड्रन 5th जेनरेशन फाइटर जेट की खरीद की सिफारिश की है, ताकि मौजूदा जरूरतों को पूरा किया जा सके. वायुसेना की सिफारिश को यदि मान लिया जाए तो भारत को 40 से 60 पांचवीं पीढ़ी का फाइटर जेट खरीदना होगा. इसपर 57060 से 41498 करोड़ रुपये का खर्च आएगा. ANI की रिपोर्ट के अनुसार, एयरफोर्स का कहना है कि AMCA प्रोजेक्ट के तहत जबतक पांचवीं पीढ़ी के देसी फाइटर जेट का प्रोडक्शन शुरू नहीं होता है, तब तक इस गैप को भरने के लिए विदेश से ऐसे फाइटर जेट की खरीद की जाए, ताकि रिजनल डिफेंस बैलेंस बना रहे और भारत को बढ़त हासिल हो. बता दें कि भारत 2030 के बाद ही घरेलू स्तर पर पांचवीं पीढ़ी का लड़ाकू विमान बनाने में सक्षम हो सकेगा और दशक के अंतिम वर्षों से इसकी फुल स्केल डिलिवरी संभव हो सकेगी. तब तक के लिए इंपोर्टेड स्टील्थ फाइटर जेट से काम चलाना होगा.
बिहार, उत्तर प्रदेश और दिल्ली से प्रारंभिक के साथ उच्च शिक्षा हासिल की. झांसी से ग्रैजुएशन करने के बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता में PG डिप्लोमा किया. Hindustan Times ग्रुप से प्रोफेशनल कॅरियर की शु...और पढ़ें
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