जब पाक के चक्रव्यूह में फंसी भारतीय सेना, 'अभिमन्यु' बन BSF ने पलटी थी बाजी

10 hours ago

Last Updated:July 26, 2025, 15:17 IST

Kargil ki Kahani: कश्‍मीर में कब्‍जे को लेकर पाकिस्‍तानी चक्रव्‍यूह को बीएसएफ ने अभिमन्‍यु बनकर न केवल तोड़ा था, बल्कि भारतीय सेना के लिए जीत का रास्‍ता खोल दिया था. क्‍या थी यह पूरी कहानी, जानने के लिए पढ़ें आ...और पढ़ें

जब पाक के चक्रव्यूह में फंसी भारतीय सेना, 'अभिमन्यु' बन BSF ने पलटी थी बाजी

हाइलाइट्स

कश्‍मीर पर कब्‍जे के लिए पाकिस्‍तान ने रची थी ऑपरेशन बद्र की साजिशपाकिस्‍तानी सेना की मूवमेंट छिपाने के लिए पाकिस्‍तान ने बनाया था खास प्‍लान.बीएसएफ की जी यूनिट ने बर्बाद कर दिया पाकिस्‍तानी सेना का यह पुख्‍ता प्‍लान.

Kargil ki Kahani: कश्‍मीर पर कब्‍जे के लिए 1999 में पाकिस्‍तान ने बेहद पुख्‍ता चक्रव्‍यूह तैयार किया था. पाकिस्‍तान ने इस चक्रव्‍यूह को ‘ऑपरेशन बद्र’ का नाम दिया गया था. इस ऑपरेशन के तहत पाकिस्‍तानी सेना घुसपैठ कर न केवल कारगिल तक पहुंचने में कामयाब हो गई थी, बल्कि उसने वहां अपने मजबूत संगर और बंकर बना लिए थे. घुसपैठियों के भेष में आई पाकिस्‍तानी सेना अपने साथ इतनी भारी मात्रा में हथियार, गोला-बारूद और रसद सामग्री लेकर आई थी कि वह महीनों भारतीय सेना के साथ मुकाबला कर सकती थी.

पाकिस्‍तान के इस ऑपरेशन की भनक भारतीय सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों को न लग सके, इसके लिए भी दुश्‍मन ने पुख्‍ता इंतजाम किए थे. दरअरसल, पाकिस्‍तानी सेना के नापाक मंसूबों के बारे में भारतीय सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों को कुछ पता ना चले, इसके लिए दुश्‍मन बातचीत के लिए दर्दी, बल्‍टी, पश्‍तो, फारसी और अरबी भाषा का इस्‍तेमाल कर रही थी. शायद यही वजह है कि द्रास और बटालिक सेक्‍टर में भारतीय सेना और खुफिया एजेंसियों द्वारा बनाए गए इंटरशेप्‍शन सेंटर को पाकिस्‍तानी सैनिकों के बीच होने वाली बातचीत को समझने में खासी मुश्किल हो रही थी.

पाक का चक्रव्‍यूह तोड़ने के लिए BSF बनी ‘अभिमन्‍यु’
ऐसी स्थिति में, पाकिस्‍तान के इस चक्रव्‍यूह को तोड़ने में बॉर्डर सिक्‍योरिटी फोर्स (बीएसएफ) ने अभिमन्‍यु की भूमिक अदा की थी. बीएसएफ की इंटेलिजेंस विंग, जिसे ‘जी’ ब्रांच के नाम से भी जाना जाता था, ने पाकिस्‍तानी की बातचीत को डिकोड करने में अहम भूमिका अदा की थी. चूंकि, बीएसएफ लंबे समय से जम्‍मू और कश्‍मीर में कार्यरत रही है, लिहाजा उसके पास ऐसे जवान थे, जो दर्दी, बल्‍टी, पश्‍तो, फारसी और अरबी भाषा न केवल समझ सकते थे, बल्कि अच्‍छी तरह से बोल भी सकते थे. उस समय बीएसएफ के डिप्‍टी कमांडेंट ओएस झा की निगरानी में एक ट्रांसलेशन सेल बनाया गया था.

बीएसएफ की मदद से मिली रियल टाइम जानकारी
यह सेल जम्‍मू और कश्‍मीर के अनंतनाग जिले के चन्‍नीगुंड इलाके में बनाया गया था. इस इलाके को लोग काजीगुंड के नाम से भी जानते थे. बीएसएफ की इस ट्रांसलेशन सेल में बीएसएफ की आठवीं बटालियन के साथ श्रीनगर में सक्रिय बीएसएफ के बहुभाषी जानकारों को शामिल किया गया था. सबसे कुशल दुभाषियों में से एक को द्रास में तैनात किया गया था, जो पाकिस्‍तानी सेना की वायरलेस पर सीधी बातचीत को सुन रहा था और तुरंत उसका ट्रांसलेशन कर कर रहा था, जिससे भारतीय सेना और खुफिया एजेंयों को रियल टाइम पर इंटेलिजेंस इनपुट मिल रहा था.

रियल हीरो के तौर पर सामने आए BSF के हबीबुल्‍लाह
इसके अलावा, इस सेल के बनने के बाद खुफिया एजेंसियां और भारतीय सेना इंटरसेप्‍ट की गई दुश्‍मन की बातचीत के कैसेट जी सेल को भेजा जाता था. बीएसएफ का जी विंग इन कैसेट्स में मौजूद बातचीत का हिंदी और अंग्रेजी में ट्रांसलेशन कर वापस भारतीय सेना और खुफिया एजेंसियों को भेजती थी. बीएसएफ की आठवीं बटालियन बीएसएफ के इंस्पेक्टर हबीबुल्लाह द्रास के स्थानीय निवासी थे और उन्‍होंने दर्दी व बल्टी भाषा के ट्रांसलेशन में भारतीय सेना और खुफिया एजेंसियों की खासी मदद की. वे ब्रिगेड मुख्यालय की अक्सर मदद करते थे और रिकॉर्ड की गई वायरलेस बातचीत का मौके पर अनुवाद करते थे.

बीएसएस की मदद का क्‍या हुआ भारतीय सेना को फायदा
बीएसएफ की इस कवायद का फायदा यह हुआ कि घुसपैठियों के भेष में आए पाकिस्‍तानी सैनिकों की संख्या, उनके ठिकानों की स्थिति, उनके मनोबल, रसद और आपूर्ति की स्थिति, रिइंफोर्समेंट, हताहतों की संख्या का आसानी से पता चलने लगा. इतना ही नहीं, पाकिस्‍तानी सेना की मूवमेंट, कमांडरों की आवाजाही, दुश्मन के पास टेलीफोन लाइनों की उपलब्धता, भारतीय आर्टिलरी-मोर्टार गोलाबारी का असर, हवाई हमलों से हुए नुकसान, दुश्मन की संभावित साजिश अब भारतीय सेना और खुफिया एजेंसियों को आसानी से पता चलने लगी.

Anoop Kumar MishraAssistant Editor

Anoop Kumar Mishra is associated with News18 Digital for the last 3 years and is working on the post of Assistant Editor. He writes on Health, aviation and Defence sector. He also covers development related to ...और पढ़ें

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