Last Updated:July 18, 2025, 18:17 IST
Indian NURSE Nimishi Priya: यमन में महदी का पीड़ित परिवार ब्लड मनी ठुकराते हुए भारतीय नर्स निमिषा प्रिया के मृत्यु दंड पर अड़ा हुआ है. तो अब क्या होगा.

केरल की रहने वाली 37 वर्षीय नर्स निमिषा प्रिया को यमन में फांसी की सजा सुनाई गई है.
हाइलाइट्स
ब्लड मनी की पेशकश यमन में पीड़ित परिवार ने ठुकराईब्लड मनी ठुकराने के बाद भी प्रिया के बचने के हैं 5 विकल्पभारत सरकार ने भी डिप्लोमेटिक चैनल खोल दिए हैंखबरें ये हैं कि यमन में पीड़ित परिवार ने ब्लड मनी लेने से साफ इनकार कर दिया. मृतक तलाल अब्दो महदी के भाई अब्देलफत्ताह महदी ने साफ कहा कि वे “माफी या मुआवज़ा स्वीकार नहीं करेंगे” और चाहते हैं “निमिषा को मौत की सजा मिले”. यानि खून का बदला खून. वैसे भारतीय नर्स निमिषा प्रिया के पास बचने के 5 विकल्प तो अब भी हैं. हालांकि ये रास्ते आसान तो कतई नहीं होंगे. ये देखने वाली बात होगी कि इन विकल्पों के बंद दरवाजे खुल पाएंगे या नहीं.
बेशक यमन में पीड़ित परिवार द्वारा ब्लड मनी से इनकार के बाद प्रिया की मुश्किलें बढ़ गई हैं. बचने के सीमित रास्ते जरूर हैं. जिनके लिए नए सिरे से कोशिश शुरू हो चुकी है.
यमन में हत्या के मामलों में शरिया कानून लागू होता है. उसमें मृत्युदंड से बचने का मुख्य रास्ता ब्लड मनी का ही है. हत्या का ये मामला 2017 का है. उसके बाद ये केस पहले स्थानीय कोर्ट में गया. फिर वहां के सुप्रीम कोर्ट में. दोनों जगह निमिषा प्रिया के मृत्यु दंड पर ही मुहर लगाई गई. निमिषा प्रिया को 16 जुलाई को फांसी दी जाने वाली थी लेकिन ये टल गई.
अब इस मामले की अगली सुनवाई 14 अगस्त को है. तब तक ब्लड मनी की कोशिश भी जारी रखी जाएगी. जानते हैं कि भारतीय नर्स को बचाने वाले 5 विकल्प अब क्या हो सकते हैं.
1. अगर राष्ट्रपति माफी दे दें
हौथियों के कानून में यमन के राष्ट्रपति के पास ऐसे मामलों में माफी देने का संविधानिक अधिकार होता है लेकिन विशेष परिस्थितियों में. हालांकि ये बहुत दुर्लभ होता है. इसमें राजनीतिक, धार्मिक या मानवीय दलीलों की जरूरत होती है. भारत सरकार इस दिशा में राजनयिक दबाव या मानवीय अपील के माध्यम से कोशिश कर सकती है. वह इसमें लगी हुई है.
भारतीय नर्स निमिषा प्रिया.
2. अगर मुकदमे में फिर से अपील का कोई रास्ता निकल आए
अगर निमिषा प्रिया के मामले से संबंधित केस में कानूनी प्रक्रिया या साक्ष्यों में कोई तकनीकी त्रुटि पाई जाती है तो अपील कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की जा सकती है. तब निमिषा को काफी समय मिल जाएगा. तब उसके परिजन नए सिरे से ब्लड मनी की कोशिश करके सुलह समझौता कर सकते है. फिर से अपील के जरिए केस पलट भी सकता है, अगर ये साबित हो जाए कि निमिषा ने ये कदम खुद के बचाव में उठाया था.
निमिषा के केस में ये बात दमदार तरीके से उठ सकती है कि यमन में उसकी क्लिनिक के स्थानीय पार्टनर महदी ने उसे बुरी तरह से परेशान कर रखा था. वह उसको प्रताड़ित कर रहा था. जिससे उसके मानसिक संतुलन पर असर पड़ने लगा था. उसने इसकी रिपोर्ट पुलिस में भी की लेकिन मदद नहीं मिली. अगर ये साबित हो जाए कि उसने ये हत्या जानबूझकर नहीं बल्कि आत्मरक्षा में की तो वह बच सकती है.
3. राजनयिक प्रयासों और अंतर्राष्ट्रीय हस्तक्षेप से
भारत सरकार यमन की हौथियों की सरकार के साथ उच्च-स्तरीय बातचीत कर सकती है, विशेष मानवीय आधार पर. संयुक्त राष्ट्र, अंतरराष्ट्रीय रेड क्रॉस, या अन्य मानवाधिकार संगठनों की मदद ली जा सकती है. हालांकि इन प्रयासों की सफलता इस पर निर्भर करेगी कि हौथी विद्रोहियों की यमन सरकार कितना लचीलापन दिखाती है.
4. जनता और मीडिया का दबाव भी काम आ सकता है
अगर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर व्यापक समर्थन जुटाया जाए. तो यमन के हौथी विद्रोहियों पर दबाव बन सकता है. इससे यमन सरकार या पीड़ित परिवार किसी समाधान की ओर आगे बढ़ सकते हैं.
5. सजा को उम्रकैद में भी बदला जा सकता है
अगर पीड़ित परिवार ब्लड मनी लेने से साफ इनकार कर देता है. माफी की संभावना खत्म हो जाती है तो बीच का रास्ता यह हो सकता है कि मृत्युदंड को आजीवन कारावास में बदलवाया जाए. चूंकि भारत सरकार भी अब इस मामले में ज्यादा गंभीर लग रही है, लिहाजा ये रास्ता निकलने की काफी गुंजाइश है.हालांकि इसके लिए मानवीय, मेडिकल, या कूटनीतिक आधार की जरूरत होगी. ऐसा लगता है कि भारत सरकार ने इसके लिए कोई कूटनीतिक चैनल खोल लिया है.
भारत सरकार क्या कर रही है
विदेश मंत्रालय और भारतीय दूतावास वकीली सहायता और वीज़ा/कांसुलर मुलाक़ातें फ्री होकर दे रहे हैं. भारत अपनी एक टीम भी वहां भेजने जा रहा है. इसमें कानूनी एक्सपर्ट और शरियत संबधी विद्वान भी होंगे. ईरान और खाड़ी देशों के “मित्र देशों” के जरिए भी राजनयिक दबाव की कोशिशें चल रही हैं.
हौथियों पर भारत सरकार का कितना असर
भारत सरकार का हौथी विद्रोहियों पर प्रभाव सीमित और अप्रत्यक्ष है, लेकिन कुछ रणनीतिक और कूटनीतिक चैनल्स ऐसे हैं जिनसे संवाद या दबाव बनाने की संभावनाएं बनी रहती हैं. हौथी एक शिया जायदिया विद्रोही गुट है, जिसका यमन के उत्तरी और पश्चिमी इलाकों पर नियंत्रण है. इस इलाके की सरकार वही चला रहे हैं. वो ईरान समर्थित माने जाते हैं.
तो क्या ईरान काम आएगा
चूंकि हौथी विद्रोही ईरान समर्थित हैं. ईरान का उन पर बहुत ज्यादा असर है. लिहाजा ये संभव है कि भारत अपने ईरान से अपने बेहतर संबंधों का उपयोग कर कोई रास्ता निकाले और हौथियों को राजी कर ले. लेकिन ये देखने वाली बात होगी कि ये ईरान के लिए प्राथमिकता वाला मुद्दा है या नहीं.
संजय श्रीवास्तवडिप्टी एडीटर
लेखक न्यूज18 में डिप्टी एडीटर हैं. प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में काम करने का 30 सालों से ज्यादा का अनुभव. लंबे पत्रकारिता जीवन में लोकल रिपोर्टिंग से लेकर खेल पत्रकारिता का अनुभव. रिसर्च जैसे विषयों में खास...और पढ़ें
लेखक न्यूज18 में डिप्टी एडीटर हैं. प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में काम करने का 30 सालों से ज्यादा का अनुभव. लंबे पत्रकारिता जीवन में लोकल रिपोर्टिंग से लेकर खेल पत्रकारिता का अनुभव. रिसर्च जैसे विषयों में खास...
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