Last Updated:July 18, 2025, 19:59 IST
SG तुषार मेहता ने डिजिटल मीडिया के खतरों को कर्नाटक हाईकोर्ट के सामने उजागर किया. जज साहब ने भी माना कि यह उदाहरण केवल समस्या को उजागर करने के लिए था. एक्स द्वारा डिजिटल खतरों को कम करने की दिशा में काम करने प...और पढ़ें

तुषार मेहता ने दमदार दलील दी. (File Photo)
हाइलाइट्स
तुषार मेहता ने 'सुप्रीम कोर्ट ऑफ कर्नाटक' नाम से फर्जी एक्स अकाउंट बनाया.मेहता ने बताया कि कैसे आसानी से डिजिटल मीडिया का गलत इस्तेमाल हो सकता है.कोर्ट में साल 2019 ओर 2014 के साइबर अपराध का डाटा पेश किया गया.आज कर्नाटक हाई कोर्ट में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने एक चौंकाने वाला उदाहरण पेश कर डिजिटल दुनिया के खतरों को उजागर किया. उन्होंने कोर्ट को दिखाया कि कैसे “सुप्रीम कोर्ट ऑफ कर्नाटक” के नाम से एक फर्जी, फिर भी सत्यापित, एक्स अकाउंट बनाया गया. मेहता ने केंद्र की ओर से एक्स कॉर्प के खिलाफ चल रहे मामले में यह तर्क दिया कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स का दुरुपयोग कितनी आसानी से हो सकता है. उन्होंने कहा, “हमने यह अकाउंट बनाया. यह सत्यापित है. मैं इसमें कुछ भी पोस्ट कर सकता हूं, और लाखों लोग मान लेंगे कि यह कर्नाटक सुप्रीम कोर्ट की बात है.”
एक्स कॉर्प की याचिका के जवाब में कदम
यह खुलासा ऑनलाइन गुमनामी और जवाबदेही की कमी को उजागर करता है. मेहता का यह कदम एक्स कॉर्प की याचिका के जवाब में था, जो सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 79(3)(बी) के तहत कंटेंट हटाने के सरकारी आदेशों को चुनौती दे रही है. मेहता ने तर्क दिया कि इंटरनेट आज एक ऐसा मंच है, जहां हर यूजर खुद प्रकाशक और प्रसारक है. उन्होंने एक और उदाहरण दिया: “हमने एक एआई-जनरेटेड वीडियो बनाया, जिसमें माननीय जज राष्ट्र के खिलाफ बोलते दिख रहे हैं. यह गैरकानूनी है, लेकिन धारा 69ए के दायरे में नहीं आता.” उन्होंने सुझाव दिया कि ऐसे मामलों में सख्ती के बजाय चेतावनी जैसे हल्के कदम उठाए जा सकते हैं.
‘एक्स गैर-कानूनी कंटेंट हटाने में सहयोग करे’
मेहता ने जोर देकर कहा कि एक्स जैसे प्लेटफॉर्म्स धारा 79 के तहत “सेफ हार्बर” का दावा तभी कर सकते हैं, जब वे गैरकानूनी कंटेंट हटाने में सहयोग करें. उन्होंने बताया कि साइबर अपराध 2019 में 26,000 से बढ़कर 2024 में 22.6 लाख तक पहुंच गए, जो डिजिटल नियमन की जरूरत को दर्शाता है. एक्स के वकील केजी राघवन ने इस प्रदर्शन पर आपत्ति जताई, लेकिन मेहता ने स्पष्ट किया कि अकाउंट का इस्तेमाल पोस्टिंग के लिए नहीं, बल्कि खतरे को दिखाने के लिए किया गया. जज नागप्रसन्ना ने भी माना कि यह उदाहरण केवल समस्या को उजागर करने के लिए था. मेहता का यह कदम डिजिटल युग में नियमन और जवाबदेही की बहस को और गहरा करता है.
पत्रकारिता में 14 साल से भी लंबे वक्त से सक्रिय हूं. साल 2010 में दैनिक भास्कर अखबार से करियर की शुरुआत करने के बाद नई दुनिया, दैनिक जागरण और पंजाब केसरी में एक रिपोर्टर के तौर पर काम किया. इस दौरान क्राइम और...और पढ़ें
पत्रकारिता में 14 साल से भी लंबे वक्त से सक्रिय हूं. साल 2010 में दैनिक भास्कर अखबार से करियर की शुरुआत करने के बाद नई दुनिया, दैनिक जागरण और पंजाब केसरी में एक रिपोर्टर के तौर पर काम किया. इस दौरान क्राइम और...
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