Last Updated:December 04, 2025, 21:24 IST
जब शेख हसीना दिल्ली में हैं, और बांग्लादेश में भारत विरोधी भावनाएं भड़काई जा रही हैं, तब JMB के संपर्कों वाले व्यक्ति का राजस्थान में सक्रिय होना एक गंभीर संकेत है. यह मामला बताता है कि दुश्मन सिर्फ सीमा पार नहीं है, बल्कि हमारे शहरों में चल रहे ट्रस्टों और संस्थाओं के बीच छिपा हो सकता है और हमारे अति-महत्वपूर्ण अतिथियों (जैसे शेख हसीना) के लिए बड़ा खतरा बन सकता था.
शेख हसीना . (File Photo)यह पढ़ना आपको काल्पनिक लग सकता है. लेकिन दुनिया में जिस तरह हस्तियों को निशाने बनाने का एक सिलसिला रहा है, उस नजरिये से देखेंगे तो काफी नजदीक नजर आएगा. राजस्थान के शांत शहर बीकानेर में ईडी ने एक ऐसी गिरफ्तारी की है, जो देखने में महज आर्थिक धोखाधड़ी का मामला लगती है, लेकिन जिसकी जड़ें ढाका से लेकर सीरिया तक फैली हुई हैं. अल-फुरकान एजुकेशनल ट्रस्ट के पूर्व अध्यक्ष मोहम्मद सदीक की गिरफ्तारी ने भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के कान खड़े कर दिए हैं. मामला सिर्फ चंदे के पैसों के गबन का नहीं है. मामला उस खौफनाक नेटवर्क का है, जिसका नाम है जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश (JMB).
यह वही JMB है, जिसने बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को जान से मारने की कई बार कोशिश की. और यह गिरफ्तारी ऐसे वक्त में हुई है, जब शेख हसीना अपनी जान बचाकर दिल्ली के पास किसी सेफ हाउस में शरण लिए हुए हैं. एक जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश लिंक वाले शख्स का भारत में पकड़ा जाना, क्या महज संयोग है या किसी बड़ी साजिश का हिस्सा?
कौन है मोहम्मद सदीक ?
मोहम्मद सदीक बीकानेर के अल-फुरकान एजुकेशनल ट्रस्ट का पूर्व अध्यक्ष है. ऊपरी तौर पर यह ट्रस्ट शिक्षा और सामाजिक कार्यों के लिए चंदा इकट्ठा करता था. लेकिन ED की जांच में जो खुलासा हुआ, वह चौंकाने वाला है. जांच एजेंसी के मुताबिक, सदीक ने ट्रस्ट के पैसों का इस्तेमाल ‘भलाई’ के लिए नहीं, बल्कि ‘तबाही’ का सामान जुटाने और अपनी विलासिता के लिए किया. आरोप है कि सदीक ने दान की राशि से हथियारों की खरीद-फरोख्त की और कट्टरपंथी गतिविधियों को बढ़ावा दिया. वह समाज सेवा का लबादा ओढ़कर राजस्थान में कट्टरपंथ के बीज बो रहा था. लेकिन उसकी महत्वकांक्षाएं सिर्फ राजस्थान तक सीमित नहीं थीं.
JMB कनेक्शन सबसे खतरनाक ‘रेड फ्लैग’
इस पूरी गिरफ्तारी का सबसे संवेदनशील हिस्सा है जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश. ED की पूछताछ और जांच में सामने आया है कि सदीक ने बांग्लादेश यात्रा के दौरान JMB के सदस्यों से मुलाकात की थी. JMB एक प्रतिबंधित आतंकी संगठन है जिसका मुख्य उद्देश्य बांग्लादेश में शरिया कानून लागू करना और भारत के पश्चिम बंगाल व असम जैसे राज्यों में अपना नेटवर्क फैलाना है. यह वही संगठन है जिसने 2016 में ढाका के होली आर्टिसन बेकरी पर हमला किया था. लेकिन भारत के लिए आज की तारीख में सबसे बड़ी चिंता यह है कि JMB का प्राइम टारगेट शेख हसीना रही हैं. 2004 में शेख हसीना की रैली पर ग्रेनेड हमला करने के पीछे इसी विचारधारा के लोग थे. JMB ने कई बार हसीना की हत्या की साजिश रची है.
दिल्ली में हसीना, राजस्थान में JMB का गुर्गा
शेख हसीना फिलहाल भारत में हैं. उनकी सुरक्षा भारत सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है. ऐसे समय में, जब बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद कट्टपरंथी ताकतें सिर उठा रही हैं, भारत के भीतर JMB से जुड़े व्यक्ति की मौजूदगी एक ‘सीरियस सिक्योरिटी थ्रेट’ है. विश्लेषकों का मानना है कि JMB जैसे संगठन ‘स्लीपर सेल्स’ के जरिए काम करते हैं. सदीक का पकड़ा जाना यह इशारा करता है कि सीमा पार के आतंकी संगठनों ने भारत के स्थानीय ट्रस्टों और एनजीओ के भीतर घुसपैठ कर ली है. सवाल यह है कि क्या सदीक किसी ऐसे नेटवर्क का हिस्सा था जो भारत में शेख हसीना की लोकेशन या उनकी सुरक्षा में सेंध लगाने की कोशिश कर रहा था? हालांकि अभी तक किसी सीधे हमले की साजिश का खुलासा नहीं हुआ है, लेकिन ‘संपर्क’ ही अपने आप में एक बड़ा सबूत है.
सीरिया जाने की कोशिश और ‘सलीम’ से याराना
सदीक की प्रोफाइल एक सामान्य अपराधी की नहीं, बल्कि एक ‘ग्लोबल जिहादी’ मानसिकता वाले व्यक्ति की है. ED की रिपोर्ट बताती है कि वह नेपाल के रास्ते सीरिया जाने की फिराक में था. सीरिया जाना मतलब ISIS जैसी विचारधारा से जुड़ना. गनीमत रही कि इमिग्रेशन अधिकारियों ने उसे रोक दिया, वरना वह शायद किसी बड़े आतंकी थिएटर का हिस्सा बन चुका होता.
इसके अलावा, उसका कनेक्शन मो. सलीम उर्फ सौरभ वैद्य से मिला है. सौरभ वैद्य वही शख्स है जिसे मध्य प्रदेश ATS ने ‘हिज्ब-उत-तहरीर’ (HuT) से जुड़े होने के आरोप में गिरफ्तार किया था. HuT एक और कट्टरपंथी संगठन है जो दुनिया भर में खिलाफत स्थापित करना चाहता है. बीकानेर का सदीक, एमपी के सौरभ से जुड़ा था और ढाका के JMB से. यह त्रिकोण बताता है कि भारत के अलग-अलग राज्यों में कट्टरपंथ का एक सिंडिकेट काम कर रहा है.
बिना आय के विदेश यात्राएं यानी फंडिंग का खेल
टेरर फंडिंग का सबसे बड़ा सबूत सदीक की विदेश यात्राएं हैं. बिना किसी वैलिड इनकम सोर्स के उसने बांग्लादेश, नेपाल, कतर और ओमान जैसे देशों के कई दौरे किए. सवाल यह है कि इन यात्राओं का खर्च कौन उठा रहा था? क्या खाड़ी देशों से हवाला के जरिए पैसा आ रहा था? या फिर बांग्लादेश सीमा से नकली नोट या हथियारों की तस्करी हो रही थी? ईडी अब इसी ‘मनी ट्रेल’ को खंगाल रही है. ट्रस्ट का पैसा निजी खातों में जाना और फिर उसका इस्तेमाल संदिग्ध लोगों से मिलने के लिए करना, क्लासिक ‘टेरर फाइनेंसिंग’ का मॉडल है.
राजस्थान: नया ‘सॉफ्ट टारगेट’ या हाइडआउट?
अक्सर टेरर नेटवर्क की बात होती है तो कश्मीर, केरल या महाराष्ट्र का नाम आता है. लेकिन बीकानेर जो पाकिस्तान बॉर्डर के करीब है, वहां से ऐसे नेटवर्क का संचालन होना सुरक्षा एजेंसियों के लिए चिंता का विषय है. अल-फुरकान ट्रस्ट जैसे संस्थान, जो शिक्षा के नाम पर काम करते हैं, कट्टरपंथ फैलाने के लिए सबसे आसान जरिया होते हैं क्योंकि इन पर जल्दी किसी को शक नहीं होता. सदीक की गिरफ्तारी बताती है कि राजस्थान के सीमावर्ती जिले अब कट्टरपंथी संगठनों के रडार पर हैं.
About the Author
Mr. Gyanendra Kumar Mishra is associated with hindi.news18.com. working on home page. He has 20 yrs of rich experience in journalism. He Started his career with Amar Ujala then worked for 'Hindustan Times Group...और पढ़ें
Location :
Delhi,Delhi,Delhi
First Published :
December 04, 2025, 21:24 IST

34 minutes ago
