पालम एयरपोर्ट पर आज जो 15-20 मिनट का घटनाक्रम हुआ, उसने पूरे दौरे की टोन सेट कर दी है. पुतिन की मुस्कान, मोदी का गले मिलना और वह ‘एक कार’, इन तीनों चीजों ने मिलकर बता दिया है कि यह समिट महज कूटनीतिक नहीं, बल्कि भावनात्मक भी है. पुतिन की रिलैक्स्ड बॉडी लैंग्वेज ने साबित कर दिया कि दिल्ली उनके लिए ‘सेकंड होम’ जैसा है.
कूटनीति में शब्द महत्वपूर्ण होते हैं, लेकिन तस्वीरें इतिहास लिखती हैं. आज दिल्ली के पालम एयरपोर्ट पर जब रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का विशेष विमान रनवे पर रुका, तो दुनिया की निगाहें उस दरवाजे पर टिकी थीं. लेकिन जैसे ही विमान का दरवाजा खुला और पुतिन बाहर आए, जो कुछ दिखा उसने पिछले कई महीनों के पश्चिमी नैरेटिव को एक ही पल में ध्वस्त कर दिया. सीढ़ियों से उतरते वक्त पुतिन के चेहरे पर न तो युद्ध का तनाव था और न ही अंतरराष्ट्रीय दबाव की शिकन. उनके चेहरे पर एक खिलखिलाती हुई मुस्कान थी, एक ऐसी मुस्कान जो यह बता रही थी कि वे किसी ‘विदेशी दौरे’ पर नहीं, बल्कि अपने सबसे भरोसेमंद दोस्त के घर आए हैं.
पीएम मोदी ने प्रोटोकॉल तोड़कर एयरपोर्ट पर खुद उनका स्वागत किया. लेकिन सबसे ऐतिहासिक क्षण वह बना जब दोनों नेता अलग-अलग लिमोजिन की बजाय, एक ही सफेद एसयूवी में बैठकर प्रधानमंत्री आवास के लिए रवाना हुए.
व्लादिमीर पुतिन को अक्सर दुनिया ‘आइस मैन’ या बेहद सख्त चेहरे वाले नेता के रूप में देखती है. खासकर यूक्रेन युद्ध के बाद से, उनकी सार्वजनिक उपस्थिति में हमेशा एक डिफेंसिव या आक्रामक मुद्रा देखी गई है. लेकिन आज दिल्ली में नजारा अलग था. जैसे ही वे विमान की सीढ़ियों से उतरे, उनका पूरा शरीर बेहद रिलैक्स नजर आया. उनके चलने के अंदाज में एक फुर्ती थी, जो उनके आत्मविश्वास को दर्शा रही थी. उन्होंने सीढ़ियों से ही हाथ हिलाकर अभिवादन किया. बॉडी लैंग्वेज एक्सपर्ट्स के मुताबिक, जब कोई नेता किसी देश में सुरक्षित और सम्मानित महसूस करता है, तभी उसके कंधों का तनाव गायब होता है. पुतिन का यह ‘हल्का-फुल्का’ अंदाज बता रहा था कि वे जानते हैं कि वे उन चंद जगहों में से एक पर हैं, जहां उनका स्वागत दिल से किया जा रहा है.
वह गर्मजोशी भरा गले मिलना
रनवे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उनका इंतजार कर रहे थे. जैसे ही दोनों करीब आए, औपचारिक हैंडशेक तुरंत एक आत्मीय गले मिलने में बदल गया. तस्वीरों में साफ देखा जा सकता है कि पुतिन भी उतनी ही गर्मजोशी से आगे बढ़े, जितनी गर्मजोशी मोदी ने दिखाई. अक्सर देखा जाता है कि पुतिन लोगों से एक दूरी बनाकर मिलते हैं, उनका मशहूर लंबी मेज वाला फोटो याद करें. लेकिन मोदी के साथ उनका ‘पर्सनल स्पेस’ का दायरा खत्म हो गया. गले मिलते वक्त पुतिन के चेहरे पर जो सुकून था, वह बताता है कि यह रिश्ता महज दो देशों के बीच का नहीं, बल्कि दो व्यक्तियों के बीच के गहरे भरोसे का है. उन्होंने मोदी की पीठ थपथपाई और कुछ क्षणों तक उनका हाथ थामे रखा, जो कूटनीति में ‘गहरे जुड़ाव’ का प्रतीक है.
‘कार डिप्लोमेसी’
एयरपोर्ट का सबसे बड़ा सरप्राइज वह पल था, जब दोनों नेताओं ने अपनी-अपनी आधिकारिक बुलेटप्रूफ लिमोजिन (जैसे पुतिन की ‘ऑरस’ या मोदी की ‘मेबैक’) की ओर जाने की बजाय, एक कॉमन सफेद टोयोटा फॉर्च्यूनर की ओर रुख किया. यह दृश्य अपने आप में एक ब्रेकिंग न्यूज़ था. सुरक्षा प्रोटोकॉल के हिसाब से यह बेहद दुर्लभ है. तस्वीर में साफ दिखता है कि पुतिन पीछे की सीट पर बैठते हुए मुस्कुरा रहे हैं और पीएम मोदी उनके ठीक बगल में बैठ रहे हैं. पुतिन ने गाड़ी के अंदर से हाथ भी हिलाया. बॉडी लैंग्वेज के लिहाज से, किसी दूसरे नेता के साथ बंद गाड़ी में सफर करना अल्टीमेट ट्रस्ट का संकेत है.
#WATCH | Prime Minister Narendra Modi and Russian President Vladimir Putin travel in the same car, as they depart from the Palam Technical Airport in Delhi
President Putin is on a two-day State visit to India. He will hold the 23rd India-Russia Annual Summit with PM… pic.twitter.com/R1CgPlj2B6
खिलखिलाहट पश्चिम को संदेश
गाड़ी में बैठते वक्त और एयरपोर्ट पर बात करते वक्त पुतिन कई बार खिलखिलाकर हंसते हुए देखे गए. उनकी यह हंसी पश्चिमी देशों, खास तौर पर अमेरिका और यूरोप के लिए एक कड़ा संदेश है. यह हंसी बताती है कि पुतिन ‘अलग-थलग’ नहीं हैं. उनकी बॉडी लैंग्वेज यह चीख-चीख कर कह रही थी, “दुनिया चाहे मुझे कितना भी घेरने की कोशिश करे, भारत जैसा शक्तिशाली मित्र मेरे साथ खड़ा है.” एक नेता जो युद्ध और प्रतिबंधों के दबाव में हो, उसका इतना खुशमिजाज दिखना उसके विरोधियों का मनोबल तोड़ने के लिए काफी होता है.
पीएम आवास की ओर: ‘साथ’ का सफर
जैसे ही सफेद एसयूवी का काफिला एयरपोर्ट से बाहर निकला, यह साफ हो गया कि यह दौरा केवल समझौतों पर हस्ताक्षर करने के लिए नहीं है. पुतिन का पीएम मोदी की गाड़ी में बैठना, या मोदी का पुतिन के साथ जाना, ‘आतिथ्य’ (Hospitality) के उस भारतीय स्तर को दिखाता है जिसे ‘अतिथि देवो भव’ कहते हैं. गाड़ी की खिड़की से जब दोनों नेताओं ने बाहर देखा, तो वे दुनिया को यह दिखा रहे थे कि भारत और रूस का रास्ता ‘एक’ है.

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