पुत‍िन के लैंड करते ही दिखेगा शंघाई वाला सीन, फ‍िर टूटेगा प्रोटोकॉल

35 minutes ago

कूटनीति में अक्सर कहा जाता है कि नेताओं की बॉडी लैंग्वेज आधिकारिक बयानों से ज्यादा सच बोलती है. आज जब रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का विमान दिल्ली के पालम एयरपोर्ट पर लैंड करेगा, तो पूरी दुनिया की निगाहें उस दरवाजे पर होंगी. लेकिन असली खबर विमान के उतरने के बाद की है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने ‘सबसे अच्छे दोस्त’ के स्वागत के लिए न केवल खुद एयरपोर्ट पहुंच गए हैं, बल्कि एक ऐसा दृश्य फिर से दोहराया जाएगा जो एससीओ समिट के दौरान दुनिया ने देखा था. सूत्रों के मुताबिक, पालम एयरपोर्ट से पीएम मोदी और राष्ट्रपति पुतिन अपनी-अपनी अलग गाड़ियों में नहीं, बल्कि ‘एक ही कार’ में बैठकर रवाना होंगे. यह महज एक यात्रा का तरीका नहीं है, बल्कि यह ‘कार डिप्लोमेसी’ का वह दुर्लभ क्षण होगा, जो पश्चिमी देशों की तमाम आलोचनाओं और प्रतिबंधों के बीच भारत और रूस के अटूट रिश्तों की गवाही देगा.

आपको याद होगा शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के शिखर सम्मेलनों के दौरान अक्सर मोदी और पुतिन के बीच एक अलग ही स्तर की केमिस्ट्री देखने को मिलती है. यूजर ने जिस शंघाई वाले सीन का जिक्र किया है, वह उस गर्मजोशी की याद दिलाता है जब प्रोटोकॉल और सुरक्षा के तामझाम को दरकिनार कर ये दोनों नेता दोस्तों की तरह मिलते हैं.

SCO समिट के दौरान भी कई बार ऐसे अनौपचारिक क्षण आए जब मोदी और पुतिन ने दुनिया के कैमरों की परवाह किए बिना लंबी गुफ्तगू की. अब वही नजारा दिल्ली की सड़कों पर दिखने वाला है. आमतौर पर जब कोई राष्ट्राध्यक्ष आता है, तो उसका अपना काफिला होता है और मेजबान का अपना. लेकिन जब मेजबान और मेहमान एक ही गाड़ी साझा करते हैं, तो यह कूटनीतिक भाषा में ‘सर्वोच्च स्तर के भरोसे’ का प्रतीक माना जाता है.

प्रोटोकॉल का टूटना: क्यों है यह इतनी बड़ी बात?

किसी भी देश के राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री की सुरक्षा अभैद्य होती है. व्लादिमीर पुतिन अपनी विशेष लिमोजिन ‘ऑरस सीनेट’ में चलते हैं, जिसे ‘रूस का चलता-फिरता किला’ कहा जाता है. वहीं, पीएम मोदी ‘मर्सिडीज-मेबैक S650 गार्ड’ का इस्तेमाल करते हैं. सुरक्षा प्रोटोकॉल के हिसाब से, दोनों नेताओं का एक ही बंद गाड़ी में होना सुरक्षा एजेंसियों के लिए एक बड़ा सरदर्द होता है. लेकिन जब नेता खुद ऐसा फैसला लेते हैं, तो इसे ‘जेस्चर ऑफ इंटिमेसी’ कहा जाता है. सूत्रों का कहना है कि पीएम मोदी, पुतिन को रिसीव करने के बाद उन्हें अपनी गाड़ी में, या फिर पुतिन की लिमोजिन में साथ लेकर होटल या मीटिंग वेन्यू के लिए निकलेंगे. यह ठीक वैसा ही होगा जैसे 2014 में पीएम मोदी ने बराक ओबामा के साथ या 2017 में जापान के पीएम शिंजो आबे के साथ अहमदाबाद में रोड शो के दौरान किया था. लेकिन पुतिन के साथ, जिनके ऊपर इस वक्त दुनिया भर की सुरक्षा एजेंसियों की नजर है, यह कदम बहुत साहसिक है.

कार के अंदर की 20 मिनट: जहां असली कूटनीति होगी

हवाई अड्डे से गंतव्य तक का रास्ता करीब 20 से 25 मिनट का हो सकता है. कूटनीतिक हलकों में कहा जा रहा है कि यही वह समय होगा जब असली ‘अनौपचारिक बातचीत’ होगी. बिना सहायकों, बिना नोट-टेकर्स और बिना कैमरों के, बंद गाड़ी में दो पुराने दोस्त.

विशेषज्ञों का मानना है कि इस ‘कार राइड’ के दौरान यूक्रेन युद्ध, पश्चिमी देशों का दबाव, और दोनों देशों के बीच भुगतान संकट जैसे संवेदनशील मुद्दों पर सबसे खरी और सीधी बात हो सकती है. अक्सर जो बातें आधिकारिक मेज पर संकोच के साथ कही जाती हैं, वे कार की पिछली सीट पर दोस्तों के बीच आसानी से सुलझा ली जाती हैं. यह 24 साल पुरानी उस दोस्ती का असर है, जिसकी शुरुआत 2001 में अटल बिहारी वाजपेयी के दौर में हुई थी.

पश्चिम को संदेश: ‘हम साथ-साथ हैं’

पुतिन और मोदी का एक ही गाड़ी में दिखना अमेरिका और यूरोप के लिए एक सख्त संदेश होगा. पिछले कुछ समय से पश्चिमी मीडिया में यह नैरेटिव चलाया जा रहा था कि भारत अब रूस से दूर हो रहा है और अमेरिका के करीब जा रहा है. लेकिन दिल्ली की सड़कों पर एक साथ सफर करती यह तस्वीर बताएगी कि भारत अपनी रणनीतिक स्वायत्तता से समझौता नहीं करता. यह दृश्य बताएगा कि चाहे दुनिया पुतिन को अलग-थलग करने की कोशिश करे, भारत अपने पुराने मित्र का स्वागत ‘बांहें फैलाकर’ और ‘गाड़ी का दरवाजा खोलकर’ करेगा.

पुतिन की ‘ऑरस’ या मोदी की ‘मेबैक’?

अब सवाल यह भी है कि वे किस गाड़ी में बैठेंगे? अगर पीएम मोदी पुतिन की ‘ऑरस सीनेट’ में बैठते हैं, तो यह रूसी तकनीक और सुरक्षा पर भारत के भरोसे को दिखाएगा. ऑरस सीनेट को दुनिया की सबसे सुरक्षित कारों में गिना जाता है, जो बम धमाकों से लेकर रासायनिक हमलों तक को झेल सकती है. वहीं, अगर पुतिन पीएम मोदी की गाड़ी में बैठते हैं, तो यह भारतीय आतिथ्य सत्कार पर रूसी राष्ट्रपति के अटूट विश्वास का परिचायक होगा.

सिर्फ 6 नेताओं के ल‍िए पीएम मोदी खुद गए एयरपोर्ट

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कूटनीति में ‘पर्सनल टच’ सबसे अहम हथियार रहा है. पिछले एक दशक में पीएम मोदी ने कई बार सुरक्षा प्रोटोकॉल को दरकिनार कर अपने ‘खास दोस्तों’ का एयरपोर्ट पर खुद स्वागत किया है. यह लिस्ट दुनिया के सबसे ताकतवर नेताओं की है.

बराक ओबामा (2015): यह सबसे चर्चित तस्वीर थी. पीएम मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति ओबामा को पालम एयरपोर्ट पर रिसीव किया और जोरदार गले (Bear Hug) लगाया, जिसने भारत-अमेरिका रिश्तों की बर्फ पिघला दी थी.

शिंजो आबे (जापान): पीएम मोदी के दिल के बेहद करीब रहे दिवंगत शिंजो आबे का स्वागत उन्होंने अहमदाबाद एयरपोर्ट पर किया था, जिसके बाद दोनों ने खुली जीप में रोड शो भी किया.

डोनाल्ड ट्रंप (2020): ‘नमस्ते ट्रंप’ कार्यक्रम के लिए जब अमेरिकी राष्ट्रपति आए, तो पीएम मोदी ने अहमदाबाद एयरपोर्ट पर उनका भव्य स्वागत किया.

शेख हसीना (बांग्लादेश): ‘नेबरहुड फर्स्ट’ की नीति के तहत पीएम मोदी ने बांग्लादेश की पूर्व पीएम शेख हसीना को एयरपोर्ट पर रिसीव कर पड़ोसी धर्म निभाया था.

शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहियान (UAE): खाड़ी देशों से रिश्तों में आई गर्मी तब दिखी जब पीएम मोदी ने यूएई के राष्ट्रपति को एयरपोर्ट पर गले लगाया.

शेख तमीम बिन हमद अल थानी (कतर): कतर के अमीर का स्वागत करने भी पीएम मोदी खुद एयरपोर्ट पहुंचे थे.

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