Last Updated:December 10, 2025, 11:32 IST
बिहार में विधायक और पूर्व विधायकों द्वारा एक साथ वेतन और पेंशन लेने का आरोप लगा है. RTI से सामने आए खुलासे ने सत्ता और विपक्ष दोनों को असहज कर दिया है. बताया जा रहा है कि इसप कानून साफ है फिर भी कई नेताओं पर नियम तोड़ने के आरोप लग रहे हैं.
बिहार के 8 बड़े नेताओं पर वेतन के साथ पेंशन लेने का RTI खुलासा. नीतीश सरकार पर कार्रवाई का दबाव.पटना. बिहार की राजनीति में इन दिनों एक नया बवाल खड़ा हो गया है, क्योंकि विधायक-पूर्व विधायकों के वेतन और पेंशन एक साथ लेने का मामला गरमाया हुआ है. दरअसल, RTI में सामने आया है कि बिहार के आठ बड़े नेताओं ने उस दौरान भी पूर्व विधायक पेंशन ली, जब वे सांसद, मंत्री या विधायक के पद पर थे. नियमों के अनुसार, किसी सार्वजनिक पद पर रहते हुए केवल वेतन लिया जा सकता है, लेकिन पेंशन नहीं. सूची में बीजेपी, जदयू और आरजेडी समेत सभी दलों के नेता शामिल हैं जिससे मामला और पेचीदा हो गया है. सभी दलों के नेताओं की इस सूची में सतीश चंद्र दूबे, विजेंद्र प्रसाद यादव, उपेंद्र कुशवाहा, देवेश चंद्र ठाकुर, ललन कुमार सर्राफ, संजय सिंह, नीतीश मिश्रा और भोला यादव जैसे नाम हैं. आरोपों ने राजनीतिक हलकों में हलचल तेज कर दी है, जबकि कुछ नेताओं ने खुद पर लगे दावों का खंडन भी शुरू कर दिया है.
जानकारी के अनुसार, नियम साफ है जब कोई व्यक्ति मंत्री, सांसद या विधायक बन जाता है तो उसे सिर्फ वेतन मिलता है, पेंशन नहीं. बताया जा रहा है कि फिर भी बिहार के कई बड़े नेताओं ने दोनों एक साथ उठाए. यह खुलासा एक RTI से हुआ है जिसमें 8 नेताओं के नाम सामने आए हैं. अब जब इस सूची में सभी दलों के नेता हैं तो सवाल और भी गंभीर हो जाता है.
कौन-कौन नेता शामिल?
बीजेपी राज्यसभा सांसद सतीश चंद्र दूबे (पेंशन ₹59,000, शुरू 26 मई 2019) वित्त मंत्री विजेंद्र प्रसाद यादव (₹10,000, शुरू 24 मई 2005) केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा (₹47,000, शुरू 7 मार्च 2005) जदयू राज्यसभा सांसद देवेश चंद्र ठाकुर (₹86,000, शुरू 7 मई 2020) भाजपा नेता ललन कुमार सर्राफ (₹50,000, शुरू 24 मई 2020) पूर्व मंत्री संजय सिंह (₹68,000, शुरू 7 मई 2018) पूर्व मंत्री नीतीश मिश्रा (₹43,000, शुरू 22 सितंबर 2015) आरजेडी नेता भोला यादव (₹65,000, चुनाव हार चुके हैं)नेताओं की सफाई
राज्यसभा सांसद उपेंद्र कुशवाहा ने सबसे पहले सोशल मीडिया पर सफाई दी है. उन्होंने लिखा, जब मैं सांसद या विधायक नहीं था, सिर्फ उसी दौरान पेंशन ली. सदन का सदस्य रहते सिर्फ वेतन लिया, पेंशन बंद करा दी थी. पूर्व मंत्री नीतीश मिश्रा ने भी विभाग को पत्र लिखकर बताया कि उनके खाते में सिर्फ 22 सितंबर 2015 से 8 नवंबर 2015 तक का ₹67,367 पेंशन आया, जब वो किसी पद पर नहीं थे. उसके बाद पेंशन बंद है.
जदयू सांसद यह बोले
वहीं, बाकी नेताओं ने अभी कोई जवाब नहीं दिया है. लेकिन, इस मामले में जेडीयू सांसद रामप्रीत मंडल का बयान देते हुए कहा है कि पद पर रहते हुए पेंशन नहीं लेना चाहिए. उपेंद्र कुशवाहा ने साफ कर दिया है पद पर रहते हुए उन्होंने पेंशन नहीं लिया है. मेरा भी यही मानना है अगर पद पर नहीं हैं तो बुढ़ापे में पेंशन मिलना चाहिए.
नियम क्या कहता है?
बिहार विधानसभा के नियम बिल्कुल साफ हैं – कोई भी व्यक्ति अगर मंत्री, सांसद या विधायक है तो उसे सिर्फ वेतन मिलेगा और पूर्व विधायक पेंशन नहीं ले सकता. पेंशन सिर्फ उस समय मिलती है जब व्यक्ति किसी निर्वाचित पद पर नहीं होता. विपक्ष इसे बड़ा मुद्दा बनाने की तैयारी में और कह रहा है कि सरकार अपने ही लोगों को बचाने की कोशिश कर रही है.
अब क्या होगा?
विधानसभा सचिवालय ने कहा है कि RTI में जो जानकारी दी गई है, उसकी जांच की जा रही है. अगर कोई नेता गलत तरीके से पेंशन लेता पाया गया तो राशि वापस ली जाएगी. विपक्ष इसे सरकार की नैतिकता से जुड़ा मुद्दा बता रहा है, जबकि सरकार कह रही है कि तथ्य सामने आने के बाद कार्रवाई की जाएगी. ऐसे में मामला अब सिर्फ पेंशन या वेतन का नहीं, बल्कि राजनीतिक जिम्मेदारी और कानून के पालन का बन चुका है.
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First Published :
December 10, 2025, 11:32 IST

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