पहली बार हिमाचल आ रहे ‘न्याय के देवता’, रोते-रोते लोगों ने दी विदाई

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Last Updated:December 10, 2025, 10:35 IST

हिमाचल प्रदेश देवी देवताओं की भूमि है और उत्तराखंड में भी कुछ ऐसी ही मान्यताएं हैं. यहां पर जौनसार से देवता महासू महाराज सिरमौरे जिले में आने वाले हैं. उनकी विदाई के बाद हिमाचल में उनके स्वागत के लिए तैयारियां हो रही हैं.

पहली बार हिमाचल आ रहे ‘न्याय के देवता’, रोते-रोते लोगों ने दी विदाईजौनसार के दसऊ गांव और आसपास के दर्जनों गांव के ग्रामीणों के चेहरे पर मायूसी दिखी.

नाहन. हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिला के पश्मी में प्रवास के लिए चालदा महासू महाराज दसऊ (उत्तराखंड) मंदिर से सिरमौर के लिए रवाना हो गए हैं. इसके चलते जहां सिरमौर में ग्रामीणों के चेहरे पर खुशी है.  वहीं, उत्तराखंड के जौनसार के दसऊ गांव और आसपास के दर्जनों गांव के ग्रामीणों के चेहरे पर मायूसी दिखी और रोते रोते लोगों ने अपने प्रिय देवता को ना चाहते हुए भी विदाई दी.

दरअसल, मई 2023 से चालदा महासू महाराज दसऊ मंदिर में विराजमान और उन्होंने यहां पर करीब 2 साल 10 महीने का समय बिताया. इससे पूर्व जौनसार के समाल्टा, कोटी-कनासर में भी प्रवास पर रहे थे. दसऊ में चालदा महाराज के दर्शन के लिए पिछले कई दिनों से ग्रामीणों की भीड़ देखी जा रही थी. क्योंकि लोगों को मालूम था कि अब महाराज हिमाचल के पश्मी गांव के लिए रवाना होंगे.

दसेउ चालदा महासू महाराज समिति के सदस्य रणवीर शर्मा ने बताया कि चालदा महासु महाराज ने यहां करीब 3 वर्ष का समय बिताया और इस दौरान यहां लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं ने महाराज के दर्शन की. उन्होंने यह भी बताया कि इस अवधि के दौरान करीब 4 करोड़ रुप. की राशि भंडारे के रूप में यहां पहुंचने वाले श्रद्धालुओं के लिए खर्च की गई. उन्होंने बताया कि क्षेत्र के करीब 15 गांव के लोगों के सहयोग से यहां नियमित रूप से व्यवस्थाएं चलती रही हैं, मगर आज लोग इस बात से जरूर मायूस नजर आ रहे हैं कि चालदा महासू महाराज यहां से दूसरे स्थान के लिए रवाना हो रहे हैं. उन्होंने कहा की परिक्रमा कर वापस मासु महाराज दसेउ गाँव से लौटेंगे, जिसका उन्हें बेसब्री से इंतजार रहेगा.

चालदा महासू ऐसे देवता हैं, वे एक स्थान पर स्थिर नहीं रहते, इसलिए इन्हें छत्रधारी और चालदा महाराज कहा जाता है.

जौनसार बाबा क्षेत्र के लोगों ने बताया कि 8 दिसंबर को आज जब देवता यहां से रवाना हो रहे. इस बात से बेहद मायूस है और आज तक इस इलाके में उनका आशीर्वाद बना हुआ था. उन्होंने कहा कि अब यह मालूम नहीं है कि कब महासू देवता दोबारा इस इलाके का प्रवास करेंगे, मगर इस बात का इंतजार जरूर रहेगा. महासू भक्तों ने बताया कि आज महाराज के इस इलाके से जाने का उन्हें इतना दुख होगा उन्हें मालूम नहीं था.

चालदा महासू का इतिहास उत्तराखंड और हिमाचल के लोक- देवता महासू से जुड़ा है.

कौन हैं चालदा महासू महाराज दसऊ औऱ क्यों आ रहे हिमाचल

चालदा महासू का इतिहास उत्तराखंड और हिमाचल के लोक- देवता महासू से जुड़ा है. जो भगवान शिव की रूप माने जाते हैं और न्याय के देवता के रूप में पूजे जाते हैं. इनकी पूजा जौनसार बावर, हिमाचल के सिरमौर और शिमला क्षेत्र में होती है. चालदा महासू ऐसे देवता हैं, वे एक स्थान पर स्थिर नहीं रहते, इसलिए इन्हें छत्रधारी और चालदा महाराज कहा जाता है. ये पालकी में सवार होकर न्याय के निकलते हैं और समस्याओं का समाधान करते हैं. उनकी यात्रा का निर्धारण माली (सेवक) और बकरा करते हैं, यात्रा में काडका (तांबे का बर्तन) छत्र और पालकी आगे चलती है जिसके पीछे वक्त चलते हैं.

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Vinod Kumar Katwal

Results-driven journalist with 14 years of experience in print and digital media. Proven track record of working with esteemed organizations such as Dainik Bhaskar, IANS, Punjab Kesari and Amar Ujala. Currently...और पढ़ें

Location :

Nahan,Sirmaur,Himachal Pradesh

First Published :

December 10, 2025, 10:32 IST

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