Last Updated:December 10, 2025, 11:29 IST
CJI Surya Kant on Rohingya: रोहिंग्या मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस सूर्यकांत की टिप्पणी को लेकर न्यायिक जगत में मतभेद खुलकर सामने आ गए हैं. जहां एक ओर पूर्व जजों, वरिष्ठ वकीलों और कानूनी विशेषज्ञों के एक समूह ने सीजेआई सूर्यकांत की टिप्पणी की आलोचना की थी. वहीं अब सुप्रीम कोर्ट और विभिन्न हाई कोर्ट के 44 रिटायर्ड न्यायाधीशों ने उनके समर्थन में खुला पत्र जारी करते हुए कहा है कि कोर्ट की टिप्पणियों को 'प्रेरित तरीके से तोड़-मरोड़कर' पेश किया जा रहा है.
सीजेआई सूर्यकांत ने एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा था कि क्या रोहिंग्याओं के लिए लाल कालीन बिछाई जाए.सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत (CJI Surya Kant) के रोहिंग्या प्रवासियों को लेकर अदालत में की गई टिप्पणी का मुद्दा गर्माता दिख रहा है. सीजेआई सूर्यकांत के खिलाफ इसे लेकर चलाए जा रहे कथित ‘प्रेरित अभियान’ के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के 44 रिटायर्ड जज खुलकर सामने आ गए हैं. इन सभी पूर्व न्यायाधीशों ने संयुक्त बयान जारी कर सीजेआई पर हो रहे व्यक्तिगत हमलों की कड़ी निंदा की है और इसे न्यायपालिका को बदनाम करने की साजिश करार दिया है.
सीजेआई सूर्यकांत ने रोहिंग्याओं पर क्या कहा था?
दरअसल, 2 दिसंबर को रोहिंग्या समुदाय से जुड़े कुछ लोगों के कथित हिरासत में गायब होने के मामले की सुनवाई के दौरान सीजेआई सूर्य कांत की अध्यक्षता वाली पीठ ने रोहिंग्याओं के शरणार्थी दर्जे को लेकर सवाल उठाया था. मामले की सुनवाई के दौरान सीजेआई सूर्यकांत ने मौखिक टिप्पणी में सवाल उठाया था कि क्या ‘घुसपैठियों’ का लाल कालीन बिछाकर स्वागत किया जाना चाहिए.
पूर्व जजों ने क्यों की सीजेआई की आलोचना?
इसके बाद 5 दिसंबर को हाई कोर्ट के कुछ रिटायर्ड जजों, वरिष्ठ अधिवक्ताओं और कानूनी विद्वानों ने सीजेआई को एक खुला पत्र लिखकर इन टिप्पणियों को ‘असंवेदनशील’ और ‘संवैधानिक मूल्यों के खिलाफ’ बताया था. इस पत्र में कहा गया था कि जब हिंसा और उत्पीड़न से भागकर आए लोगों की गरिमा को नकारने वाली भाषा का इस्तेमाल किया जाता है, तो इससे संविधान के मूल्यों को नुकसान पहुंचता है और अदालतों पर आम जनता का भरोसा कमजोर होता है. इस समूह ने खुले पत्र में सीजेआई से सार्वजनिक रूप से संवैधानिक नैतिकता और मानव गरिमा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराने की अपील की थी.
सीजेआई के समर्थन में उतरे जज क्या कह रहे?
अब इसके जवाब में 44 पूर्व जजों के एक दूसरे समूह ने सीजेआई के पक्ष में सामने आकर कहा है कि न्यायिक कार्यवाही पर संतुलित और तर्कपूर्ण आलोचना हो सकती है, लेकिन मौजूदा बहस ‘सैद्धांतिक असहमति’ से कहीं आगे निकल गई है. उनके मुताबिक, यह अदालत को बदनाम करने और एक सामान्य अदालत कक्ष की बातचीत को पक्षपातपूर्ण बताने की कोशिश है.
इन पूर्व न्यायाधीशों ने कहा कि सीजेआई पर सिर्फ इसलिए हमला किया जा रहा है, क्योंकि उन्होंने एक बुनियादी कानूनी सवाल उठाया था. आखिर किस कानून के तहत रोहिंग्याओं को शरणार्थी का दर्जा दिया गया है. उनका कहना है कि किसी भी अधिकार या सुविधा पर निर्णय देने से पहले यह कानूनी सवाल उठाना पूरी तरह जायज है.
44 पूर्व जजों ने यह भी आरोप लगाया कि आलोचकों ने पीठ की उस स्पष्ट टिप्पणी को नजरअंदाज कर दिया, जिसमें कहा गया था कि भारत की धरती पर मौजूद कोई भी व्यक्ति जबरन गायब किए जाने या अमानवीय व्यवहार का शिकार नहीं हो सकता और हर व्यक्ति की गरिमा का सम्मान किया जाना चाहिए.
क्या रोहिंग्याओं को है शरणार्थी का दर्जा?
इस खुले पत्र में यह भी स्पष्ट किया गया है कि रोहिंग्या भारतीय कानून के तहत शरणार्थी नहीं हैं. वे किसी वैधानिक शरणार्थी संरक्षण व्यवस्था के जरिए भारत में दाखिल नहीं हुए हैं. कई मामलों में उनकी एंट्री अनियमित या अवैध रही है और केवल दावा करने से उन्हें कानूनी रूप से ‘शरणार्थी’ का दर्जा नहीं मिल सकता.
पूर्व जजों ने यह भी याद दिलाया कि भारत 1951 के संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी सम्मेलन और उसके 1967 के प्रोटोकॉल का हस्ताक्षरकर्ता नहीं है. ऐसे में भारत की जिम्मेदारियां उसके संविधान, घरेलू आव्रजन कानूनों और सामान्य मानवाधिकार सिद्धांतों से तय होती हैं, न कि किसी ऐसे अंतरराष्ट्रीय समझौते से, जिसे देश ने अपनाया ही नहीं है.
पत्र में इस बात पर भी गंभीर चिंता जताई गई कि अवैध रूप से भारत में दाखिल हुए लोगों को आधार कार्ड, राशन कार्ड और अन्य भारतीय दस्तावेज कैसे मिल गए. पूर्व न्यायाधीशों के अनुसार, ये दस्तावेज सिर्फ नागरिकों या कानूनी रूप से भारत में रहने वाले लोगों के लिए बने हैं. इनका दुरुपयोग देश की पहचान और कल्याणकारी योजनाओं की व्यवस्था को कमजोर करता है और इसमें मिलीभगत, जालसाजी और संगठित नेटवर्क की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता.
अपने पत्र के अंत में इन 44 पूर्व न्यायाधीशों ने सुप्रीम कोर्ट और मुख्य न्यायाधीश पर पूरा भरोसा जताया और कहा कि वे बिना किसी डर या दबाव के अपने संवैधानिक दायित्वों का निर्वहन कर रहे हैं. उन्होंने कोर्ट की टिप्पणियों को तोड़-मरोड़कर पेश करने और मतभेद को व्यक्तिगत हमलों में बदलने की कोशिशों की कड़ी निंदा की.
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An accomplished digital Journalist with more than 13 years of experience in Journalism. Done Post Graduate in Journalism from Indian Institute of Mass Comunication, Delhi. After Working with PTI, NDTV and Aaj T...और पढ़ें
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First Published :
December 10, 2025, 11:08 IST

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