अब नहीं बचेंगे लूथरा ब्रदर्स, गोवा नाइट क्लब कांड में अरेस्ट का हो गया इंतजाम

1 hour ago

Goa Nightclub Fire: गोवा नाइट क्लब अग्निकांड में मुख्य आरोपी लूथरा ब्रदर्स (सौरभ और गौरव) फरार हैं. गोवा के ‘बर्च बाय रोमियो लेन्स’ नाइट क्लब के मालिक लूथरा ब्रदर्स की अब खैर नहीं है. अधिकारियों ने उस पर शिकंजा कसने का पूरा प्लान बना रखा है. गोवा नाइट क्लब में आग लगने से 25 लोगों की मौत हुई थी. इसके बाद क्लब के मालिक लूथरा ब्रदर्स घटना के तुरंत बाद मौके से भाग गए. टॉप सरकारी सूत्रों के मुताबिक, आरोपी लूथरा भाइयों को जांच के शुरुआती घंटों में गैप का फायदा मिला. इससे उन्हें एक अहम बढ़त मिल गई. भारतीय एजेंसियों के लिए लुकआउट सर्कुलर जारी होने से पहले उन्हें ढूंढना या हिरासत में लेना मुश्किल हो गया. मगर अब उनकी खैर नहीं है.

दरअसल, अधिकारियों का कहना है कि भारतीय जांचकर्ताओं के पास अब एक कानूनी रूप से ठोस, अदालत के लिए तैयार मामला है जो लापरवाही से हुई मौतों के लिए स्पष्ट दोषसिद्धि स्थापित करता है. हालांकि, वे यह भी स्वीकार करते हैं कि गुम हुए दस्तावेजों, प्रक्रियागत खामियों, या शुरू में अस्पष्ट आरोपों ने तेजी से इंटरनेशनल एक्शन शुरू करने की क्षमता को धीमा कर दिया.

ट्रैवल रूट्स पर नजर

एजेंसियों ने आरोपियों द्वारा इस्तेमाल किए गए ट्रैवल रूट्स को ट्रैक करना शुरू कर दिया है, खासकर यह पता लगाने के लिए कि क्या वे थाईलैंड पहुंचने से पहले कई देशों से गुजरे थे.अगर ऐसा है तो भारत को हर देश के इमिग्रेशन और लॉ एनफोर्समेंट सिस्टम के साथ कोऑर्डिनेट करना होगा. टॉप सूत्र बताते हैं कि इस प्रोसेस में हर स्टेज पर डिप्लोमैटिक क्लीयरेंस शामिल है, जिससे स्वाभाविक रूप से देरी होती है.

भारत डिपोर्ट करना कितना आसान?

अभी जिस जरूरी चीज की जांच हो रही है, वह है थाईलैंड के अंदर आरोपियों का लीगल स्टेटस. बड़े अधिकारियों के मुताबिक, अगर लोग वीजा की समय-सीमा से ज़्यादा समय तक रुके, नकली डॉक्यूमेंट्स का इस्तेमाल किया, या एंट्री के दौरान झूठ बोला, तो थाई अधिकारियों के पास उन्हें बिना किसी लंबी कानूनी प्रक्रिया में उलझे सीधे भारत डिपोर्ट करने का अधिकार है. उनका कहना है कि डिपोर्टेशन, फॉर्मल एक्सट्रैडिशन प्रोसेस से कहीं अधिक तेज है.

इंडो-थाई एक्सट्रैडिशन ट्रीटी

हालांकि, अगर आरोपी कानूनी तौर पर थाईलैंड में आए हैं, तो भारतीय एजेंसियों को इंडो-थाई एक्सट्रैडिशन ट्रीटी के तहत आगे बढ़ना होगा. इसमें फॉर्मल डोजियर फाइल करना, सबूत पेश करना, और थाई कोर्ट्स को रिक्वेस्ट को इवैल्यूएट करने देना शामिल है. ऐसे स्टेप्स जिन्हें मंज़ूरी मिलने में हफ़्ते या महीने भी लग सकते हैं. मुश्किल यह है कि आरोपी भारत में ज़ुल्म या गलत ट्रायल के डर का दावा करके कार्रवाई में देरी करने की कोशिश कर सकते हैं, जिससे थाई कोर्ट्स में लंबी कानूनी अपीलें शुरू हो सकती हैं.

रेड कॉर्नर नोटिस का कितना असर

आरसीएन यानी रेड कॉर्नर नोटिस जारी होने से भी तत्काल गिरफ्तारी की गारंटी नहीं मिलती. सूत्रों का कहना है कि थाईलैंड, कई अन्य देशों की तरह आरसीएन को बाध्यकारी गिरफ्तारी वारंट के बजाय सूचनात्मक चेतावनी के रूप में मानता है. गिरफ्तारी तभी हो सकती है जब घरेलू कानून इसकी अनुमति देता हो, जिससे प्रक्रिया और धीमी हो जाती है.

कहां है पेच?

थाई न्यायिक अधिकारी इस बात की भी बारीकी से जांच करेंगे कि क्या गोवा में लगी आग भारत द्वारा लगाए गए आपराधिक लापरवाही के आरोप के दायरे में आती है, या इसे एक दुर्भाग्यपूर्ण दुर्घटना माना जा सकता है. यह अंतर इस बात को निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा कि क्या आरोपी को थाई कानून के तहत प्रत्यर्पित किया जा सकता है.

शीर्ष सरकारी सूत्रों का कहना है कि इन बाधाओं के बावजूद भारतीय एजेंसियां ​​आश्वस्त हैं और आरोपी को मुकदमे का सामना कराने के लिए निरंतर कानूनी और राजनयिक प्रयास करने के लिए तैयार हैं.

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