Last Updated:September 24, 2025, 19:22 IST
Old Delhi Havelis-पुरानी दिल्ली जहां खाने पीने के लिए जाना जाता है, वहीं हवेलियों के लिए भी अलग पहचान है. हवेलियों की अनूठी वास्तुकला को देखने के लिए देश के साथ साथ विदेशी पयर्टक भी पहुंचते हैं.

नई दिल्ली. पुरानी दिल्ली का नाम सुनते ही वहां की संकरी-तंग गलियां और भीड़भाड़ सामने आती हैं. इसके साथ ही यह समूचा इलाका हवेलियों के लिए भी जाना जाता है. यहां पर एक से एक पुरानी हवेली बनी हैं, जो 100 साल से भी अधिक पुरानी है. इन्हीं में से एक हवेली ऐसी है, जो अंदर घुसने पर संसद भवन जैसा अनुभव देती है. इस वजह से यह हवेली अपने आप में खास है. आइए जानते हैं, यह कौन सी हवेली है?
पुरानी दिल्ली के सीताराम बाजार की संकरी गली में बैरिस्टर की हवेली है. इमारत के बाहर बनी नक्काशी और गुंबद दूर से बता रहे हैं कि हवेली खास रसूख वाले व्यक्ति की रही होगी. जानकारी करने पर पता चला कि यह हवेली फकीर चंद की है. जिसका निर्माण 1904 में हुआ था. इसे बनाने में करीब 3 साल का समय लगा था. इसके पत्थर राजस्थान से आए थे. हवेली की भव्यता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि आंगन में एक फाउंटेन बना है. इसी बनावट संसद भवन के बाहर फाउंटेन से मिलती जुलती है. हालांकि उसके मुकाबले यह काफी छोटा है और अब काम नहीं करता है. इस हवेली को आज भी लोग देखने आते हैं, इसमें काफी संख्या में विदेशी पयर्टक भी शामिल हैं.
क्यों पड़ा बैरिस्टर की हवेली
हवेली के मालिक फकीरचंद अपने जमाने के जाने माने बैरिस्टर थे. इस वजह से अंग्रेजों ने उन्हें राय बहादुर की उपाधि दी थी. वे अंग्रेजों के केस लड़ते थे. बैरिस्टर होने की वजह से इस हवेली का नाम बैरिस्टर की हवेली पड़ा है. साथ ही, फकीरचंद चांदनी चौक के प्रमुख गौरी शंकर मंदिर के हेड ट्रस्टी थे और वैश्य समाज के प्रमुख भी रहे थे.
हवेली में अंडरग्राउंड रूम
यह हवेली बेसमेंट के अलावा दो मंजिला है. इस हवेली में कुल 30 कमरे हैं. सभी कमरों का आज भी इस्तेमाल होता है. हवेली वास्तुकला के अनुसार बनी है, जिसमें हर कमरे में सूरज की रोशनी पहुंचती है. यानी सर्दी, गर्मी और बरसात सभी मौमस के अनुसार इसे डिजाइन कराया गया था. बेसमेंट में भी हाल है, जिसका पहले धार्मिक आयोजन के लिए इस्तेमाल होता था.
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Location :
New Delhi,New Delhi,Delhi
First Published :
September 24, 2025, 19:22 IST