Last Updated:September 24, 2025, 19:45 IST
डायबिटीज की बीमारी अपने साथ कई रोग साथ ही पैदा कर देती है. दिल्ली के जीटीबी अस्पताल की एक रिसर्च बताती है कि डायबिटीज की वजह से 200 से ज्यादा बीमारियां हो सकती हैं. हाल ही में शुगर मरीजों में डायबिटिक मैक्यूलर एडिमा बीमारी का खतरा ज्यादा बढ़ रहा है, आइए जानते हैं इसके बारे में..

Diabetic Macular Edema: भारत में करीब 10 करोड़ लोग इस समय डायबिटीज से पीड़ित हैं वहीं साल 2045 तक देश में मधुमेह रोगियों का आंकड़ा बढ़कर 13.42 करोड़ हो जाएगा. हालांकि इससे भी ज्यादा खतरनाक है शुगर की वजह से आंखों में इस बीमारी का बढ़ना. एक रिपोर्ट बताती है कि साल 2025 में भारत में 14 में से एक व्यक्ति को आंखों की गंभीर बीमारी डायबिटिक मैक्यूलर एडिमा है, जिसका अगर इलाज न किया जाए तो यह पूरी तरह आंखों की रोशनी छीन लेती है.
सबसे खास बात है कि डायबिटीज मरीजों में बढ़ रही डीएमई बीमारी के लक्षण तब तक दिखाई नहीं देते हैं, जब तक कि यह रेटिना को नुकसान नहीं पहुंचा देती, हालांकि इसका पता जरूर लगाया जा सकता है. इसी को लेकर विश्व रेटिना दिवस पर एबवी के राष्ट्रीय कॉन्क्लेव में इकठ्ठा हुए जाने-माने रेटिना स्पेशलिस्ट और एंडोक्रिनोलॉजिस्ट ने भारत पर लगातार बढ़ रहे डीएमई के बोझ को लेकर चिंता जताई, साथ ही शुगर के मरीजों की हर हाल में आई स्क्रीनिंग को जरूरी बताया.
क्या है यह बीमारी, कैसे बढ़ती है?
डायबिटिक मैक्युलर एडिमा (डीएमई) आंख में धीरे-धीरे बढ़ता है. समय के साथ हाई ब्लड ग्लूकोज रेटिना की छोटी रक्त वाहिकाओं को कमजोर कर देता है, जिससे उनमें से तरल पदार्थ मैक्युला में रिसने लगता है. यह आंख का वह हिस्सा होता है जो हमें बारीक चीजें देखने में मदद करता है. धीरे-धीरे, यह सूजन दृष्टि को धुंधला और खराब कर देती है, और अगर इसका इलाज न किया जाए, तो यह स्थायी अंधेपन का कारण बन सकती है.
डीएमई को लेकर डॉ. महिपाल सचदेव ने कहा, अगर डीएमई का पता लगाना है, तो इससे होने वाले गंभीर नुकसान से पहले ही नियमित रेटिना जांच को मधुमेह देखभाल में शामिल करना जरूरी है, क्योंकि यह नुकसान एक बार हो जाने पर उसे वापस ठीक कर पाना मुश्किल है.
सबूत आधारित इलाज ने बेहतर परिणाम दिए हैं लेकिन फिर भी कई चुनौतियां अभी बनी हुई हैं जैसे इस बीमारी को लेकर सीमित जागरुकता, इलाज पर महंगा खर्च, बार-बार इंजेक्शन लगाने का बोझ और समय पर रेटिना की देखभाल न हो पाना आदि.
वहीं डॉ. ललित वर्मा ने कहा कि डीएमई कामकाजी उम्र के भारतीयों में रोके जा सकने योग्य अंधेपन के प्रमुख कारणों में से एक है. दृष्टि की रक्षा और क्वालिटी लाइफ में सुधार के लिए समस्या की जल्द से जल्द पहचान को प्राथमिकता देना महत्वपूर्ण है.
डॉ. चैत्रा जयदेव ने कहा कि शुगर से होने वाली आंखों की समस्याओं के बारे में काफी कम लोगों को पर्याप्त जानकारी होती है, यह बहुत ही चिंताजनक है. मधुमेह से पीड़ित लोगों को यह बताना होगा कि आंखों का स्वास्थ्य उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि हृदय या गुर्दे की हेल्थ.
वहीं इस पर एंडोक्राइनोलॉजी के दृष्टिकोण को सामने रखते हुए डॉ. शशांक जोशी ने कहा कि डीएमई जैसी जटिलताओं को रोकने के लिए मधुमेह का प्रभावी ढंग से प्रबंधन करना पहला सबसे महत्वपूर्ण कदम है. आंखों के विशेषज्ञों और एंडोक्राइनोलॉजिस्ट को मरीजों के स्वास्थ्य की रक्षा के लिए मिलकर काम करना चाहिए.
priya gautamSenior Correspondent
अमर उजाला एनसीआर में रिपोर्टिंग से करियर की शुरुआत करने वाली प्रिया गौतम ने हिंदुस्तान दिल्ली में संवाददाता का काम किया. इसके बाद Hindi.News18.com में वरिष्ठ संवाददाता के तौर पर काम कर रही हैं. हेल्थ एंड लाइफस्...और पढ़ें
अमर उजाला एनसीआर में रिपोर्टिंग से करियर की शुरुआत करने वाली प्रिया गौतम ने हिंदुस्तान दिल्ली में संवाददाता का काम किया. इसके बाद Hindi.News18.com में वरिष्ठ संवाददाता के तौर पर काम कर रही हैं. हेल्थ एंड लाइफस्...
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Location :
Noida,Gautam Buddha Nagar,Uttar Pradesh
First Published :
September 24, 2025, 19:45 IST