दिल्ली में हवा मौत की सौदागर, 100 में से 15 की ले रही जान, चौंकाने वाला खुलासा

3 hours ago

Last Updated:November 01, 2025, 09:59 IST

Delhi Air Pollution: दिल्ली की वायु प्रदूषण पर चौंकाने वाली रिपोर्ट आई है. हर सातवीं मौत के लिए दिल्ली की गंदी हवा जिम्मेदार मानी जा रही है. कई गंभीर बीमारियां भी पीछे छूट गई हैं. एक्सपर्ट्स भी इस आंकड़े पर चिंता जाहिर किए हैं.

दिल्ली में हवा मौत की सौदागर, 100 में से 15 की ले रही जान, चौंकाने वाला खुलासादिल्ली की जहरीली हवा बन रही मौत का कारण.

दिल्ली की हवा इतनी जहरीली हो गई है, जैसे मानों मौत की सौदागर हो. दिल्ली में मौत को लेकर हुए चौंकाने खुलासे ने सभी को हिलाकर रख दिया है. दरअसल, 2023 में शहर में हुई हर सातवीं मौत (करीब 15%) वायु प्रदूषण से जुड़ी थी. इसमें PM2.5 जैसे कणों ने 17,188 लोगों की जान ली. हेल्थ मेट्रिक्स एंड इवैल्यूएशन इंस्टीट्यूट (IHME) की ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज (GBD) 2023 रिपोर्ट खुलासा हुआ है. सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर (CREA) ने इसे जारी किया है. वहीं, CREA के एनालिस्ट मनोज कुमार ने कहा, ‘दिल्ली में PM प्रदूषण से 9.4% डिसेबिलिटी एडजस्टेड लाइफ इयर्स (DALYs) प्रभावित हुए, जो देश में सबसे ज्यादा है. इससे 4.9 लाख स्वस्थ लोगों का जीवन प्रभावित हुआ है. यह आंकड़ा 2018 के 15,786 मौतों से बढ़कर 17,188 हो गया है.

बीमारियों से ज्यादा प्रदूषित हवा ले रही जान; दिल्ली में सबसे ज्यादा मौतों का कारण प्रदूषित हवा है. अन्य प्रमुख जोखिम कारकों में हाई सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर है, जिससे 14,874 मौतें (12.5%) होती है. हाई फास्टिंग प्लाज्मा ग्लूकोज यानी डायबिटीज से 10,653 (9%) मौतें हो रही हैं. वहीं, हाई कोलेस्ट्रॉल से 7267 (6%) मौतें और हाई बॉडी मास इंडेक्स से 6,698 (5.6%) मौतें हो रही हैं.

कौन-कौन सी बीमारी हो रही हैं पैदा?

CREA के अनुसार, प्रदूषण से हार्ट की बीमारी, स्ट्रोक, फेफड़ों के कैंसर, क्रॉनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD) और सांस लेने के अंगो के नीचले भाग में संक्रमण लगातार बढ़ रही हैं. मनोज कुमार ने चेतावनी दी कि, ‘यह सिर्फ पर्यावरण मुद्दा नहीं, सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट है. प्रदूषण कम न होने पर श्वसन रोग, हृदय रोग और कैंसर से मौतें और बढ़ेंगी.’ रिपोर्ट में कहा गया कि प्रभावी प्रदूषण नियंत्रण से लाखों लोगों की जिंदगी बचाई जा सकती है.

एक्सपर्ट्स की राय

AIIMS के एडिशनल प्रोफेसर डॉ. हर्षल रमेश सल्वे ने कहा, ‘प्रदूषण से अतिरिक्त मौतें हो रही हैं, लेकिन संख्या पर बहस हो सकती है. ये अनुमान गणितीय मॉडल पर आधारित हैं. भारतीय आबादी के लिए एक्सपोजर रिस्पॉन्स फंक्शन परफेक्ट नहीं है. फिर भी, बढ़ती मौतें मल्टी-सेक्टरल एक्शन की मांग करती हैं.’ इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल्स के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. निखिल मोदी ने 15% आंकड़े को विश्वसनीय बताया है. उन्होंने कहा, ‘प्रदूषण लंबे समय तक बीमारियों को बिगाड़ता है, जो मौत का कारण बनती हैं. हाल के वर्षों में यह बढ़ा है और जल्द सुधार न हुआ तो और मौतें होंगी. PSRI हॉस्पिटल की सीनियर पुल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. नीतू जैन ने स्पष्ट किया, ‘15% का मतलब तत्काल मौत नहीं, बल्कि क्रॉनिक स्ट्रेसर है जो PM2.5 से सूजन, ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस और फेफड़े-हृदय की क्षति पहुंचाता है. ये अनुमान एपिडेमियोलॉजिकल मॉडल से आते हैं, जो दिल्ली के हाई पॉल्यूशन को देखते हुए सही लगते हैं.’ डॉ. जैन ने आगे कहा, ‘हालांकि यह सच है कि मौत की सटीक संख्याएं तय करना जटिल है क्योंकि मृत्यु प्रमाणपत्रों पर मौतों को ‘प्रदूषण के कारण’ दर्ज नहीं किया जाता है. ये अनुमान जनसंख्या जोखिम डेटा, रोग की वजह और मृत्यु दर के रुझानों का उपयोग करके मज़बूत विज्ञान मॉडल से प्राप्त किए गए हैं.

Deep Raj Deepak

दीप राज दीपक 2022 में न्यूज़18 से जुड़े. वर्तमान में होम पेज पर कार्यरत. राजनीति और समसामयिक मामलों, सामाजिक, विज्ञान, शोध और वायरल खबरों में रुचि. क्रिकेट और मनोरंजन जगत की खबरों में भी दिलचस्पी. बनारस हिंदू व...और पढ़ें

दीप राज दीपक 2022 में न्यूज़18 से जुड़े. वर्तमान में होम पेज पर कार्यरत. राजनीति और समसामयिक मामलों, सामाजिक, विज्ञान, शोध और वायरल खबरों में रुचि. क्रिकेट और मनोरंजन जगत की खबरों में भी दिलचस्पी. बनारस हिंदू व...

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First Published :

November 01, 2025, 09:59 IST

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