दक्षिणी राज्य में करोड़ों लोगों का सपना हुआ पूरा, 78 साल से चल रही थी कोशिश

17 hours ago

Last Updated:November 01, 2025, 12:38 IST

Kerala Become Poverty Free State: दक्षिण भारतीय राज्य ने इतिहास रच दिया है. ये राज्य भारत का पहला गरीबी मुक्त राज्य बन गया है. आजादी के 78 साल बाद भी पूरे देश के लिए गरीबी चुनौती बनी हुई है, मगर इस राज्य ने गरीबी को दूर करने में सफल रहा है. नीति आयोग ने इस राज्य को गरीबी मुक्त घोषित किया है.

दक्षिणी राज्य में करोड़ों लोगों का सपना हुआ पूरा, 78 साल से चल रही थी कोशिशकेरल की गिनती भारत के विकसित राज्यों में होती है.

बिहार चुनाव में गरीबी और रोजगार की हो रही चर्चाओं के बीच अपने ही देश के एक राज्य से बेहद सुखद खबर आई है. जहां बिहार में आज भी समाज का एक बड़ा तबका गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने को मजबूर है. लाखों की संख्या में मजदूर पलायन करते हैं. करोड़ों लोग बेरोजगार हैं वहीं दक्षिण का यह राज्य आज गरीब मुक्त हो गया है. इसने न केवल बिहार, यूपी, ओडिशा जैसे राज्यों को चुनौती दी है बल्कि कई मानकों में यह दुनिया के विकसित देशों को भी चुनौती दे रहा है. जी हां, आप सही पढ़ रहे हैं. हम बात कर रहे हैं दक्षिण ही नहीं पूरे भारत के एक सबसे विकसित राज्य केरल की. इस राज्य ने एक नवंबर 2025 को आधिकारिक तौर पर घोषित कर दिया कि यहां अब कोई भी व्यक्ति गरीब नहीं है.

केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने शुक्रवार को इसकी आधिकारिक घोषणा की. उन्होंने बताया कि राज्य ने भारत में सबसे पहले अत्यधिक गरीबी को समाप्त कर दिया है. ये केरल पिरवी दिवस पर एक ऐतिहासिक मील का पत्थर है. उन्होंने कहा कि राज्य के गठन के 69 साल पूरे होने का जश्न (पिरवी दिवस ) मनाता है. विधानसभा को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने इसकी जानकारी दी. विधानसभा के संबोधन में उन्होंने जानकारी देते हुए कहा, ‘यह उपलब्धि 2021 के राज्य चुनावों के दौरान किए गए एक प्रमुख वादे को पूरा करती है. यह समावेशी विकास के प्रति केरल की दीर्घकालिक प्रतिबद्धता को दर्शाती है.

कैसे हुआ ये संभव

विजयन ने बताया कि अत्यधिक गरीबी को समाप्त करना उनके वर्तमान सरकार की पहली कैबिनेट बैठक में लिया गया एक महत्वपूर्ण निर्णय था. सबसे गरीब परिवारों की पहचान दो महीने बाद एक राज्यव्यापी भागीदारी प्रक्रिया शुरू हुई. इसमें स्थानीय निकायों, कुदुम्बश्री कार्यकर्ताओं और केरल इंस्टीट्यूट ऑफ लोकल एडमिनिस्ट्रेशन (KILA) के मार्गदर्शन में स्वयंसेवकों ने भाग लिया. बड़े स्तर सर्वेक्षणों और समीक्षा किया गया. इसमें 1,032 स्थानीय निकायों में 64,006 परिवारों के 1,03,099 व्यक्तियों को अत्यधिक गरीब के रूप में पहचाना गया.

गरीबी के मुख्य कारक क्या थे?

विजयन ने कहा, ‘भोजन, स्वास्थ्य, आवास और आय को संकट को गरीबी का मुख्य कारक माना गया. प्रत्येक परिवार के लिए सूक्ष्म योजनाएं बनाई गईं. अब तक ₹1,000 करोड़ से अधिक खर्च किए जा चुके हैं, जिसमें 2023-24 और 2024-25 के लिए ₹50 करोड़ और 2025-26 के लिए ₹60 करोड़ के विशेष बजट आवंटन भी शामिल हैं. इस पहल के तहत, 4,677 परिवारों को लाइफ मिशन के माध्यम से घर मिले, जबकि 2,713 परिवारों को घर बनाने के लिए जमीन और सहायता प्रदान की गई. हजारों अन्य लोगों को राशन कार्ड, स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा और आजीविका ट्रेनिंग मिला.

नीति आयोग ने जारी किया डाटा

नीति आयोग के नए आंकड़ों का हवाला देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि केरल की बहुआयामी गरीबी दर केवल 0.48% है. वहीं, राष्ट्रीय दर 11.28% है. उन्होंने कहा कि यह एक शानदार उपलब्धि है. विजयन राज्य के भूमि सुधार, सामाजिक कल्याण नीतियों और सार्वजनिक स्वास्थ्य और शिक्षा पहलों के दशकों को श्रेय देते हुए कहा, ‘केरल की यात्रा, जिसमें सबसे अधिक गरीबी दरों में से एक से अत्यधिक गरीबी को समाप्त करने तक का सफर, हमारे लोगों की सामूहिक इच्छा का प्रमाण है.’

Deep Raj Deepak

दीप राज दीपक 2022 में न्यूज़18 से जुड़े. वर्तमान में होम पेज पर कार्यरत. राजनीति और समसामयिक मामलों, सामाजिक, विज्ञान, शोध और वायरल खबरों में रुचि. क्रिकेट और मनोरंजन जगत की खबरों में भी दिलचस्पी. बनारस हिंदू व...और पढ़ें

दीप राज दीपक 2022 में न्यूज़18 से जुड़े. वर्तमान में होम पेज पर कार्यरत. राजनीति और समसामयिक मामलों, सामाजिक, विज्ञान, शोध और वायरल खबरों में रुचि. क्रिकेट और मनोरंजन जगत की खबरों में भी दिलचस्पी. बनारस हिंदू व...

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First Published :

November 01, 2025, 12:38 IST

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