Last Updated:July 08, 2025, 10:12 IST
Kerala Zumba Row: केरल में एक टीचर को स्कूल में जुम्बा डांस सिखाने से इनकार करने पर गिरफ्तार किया गया था. हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए सस्पेंशन के आदेश को रद्द कर दिया है.

स्कूल टीचर टी.के. अशरफ
हाइलाइट्स
टीचर ने स्कूल में जुम्बा डांस सिखाने से इनकार किया था.स्कूल से टीचर सस्पेंड होने के बाद पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया.हाईकोर्ट ने सस्पेंशन रद्द कर टीचर को दी कानूनी राहत दी.केरल: कोच्चि में बीते दिनों एक अजीब और चौंकाने वाली घटना सामने आई थी. जहां एक स्कूल टीचर को सिर्फ इसलिए गिरफ्तार कर लिया गया था क्योंकि उसने स्कूल में जुम्बा डांस सिखाने से मना कर दिया. ये वही डांस है जो म्यूजिक पर एक्सरसाइज की तरह किया जाता है और आजकल स्कूलों में नशा विरोधी अभियान के तहत सिखाया जा रहा है. लेकिन टीचर का कहना है– “मैंने ये डांस सिखाने से मना किया क्योंकि ये हमारी सोच और संस्कृति के खिलाफ है.”
क्या था पूरा मामला?
सरकारी और सहायता प्राप्त स्कूलों में जुम्बा डांस सिखाना अब एक तरह से अनिवार्य कर दिया गया है. लेकिन विजडम इस्लामिक संगठन से जुड़े एक स्कूल टीचर टी.के. अशरफ ने इससे साफ इनकार कर दिया. उनका कहना था कि वो इस कार्यक्रम में हिस्सा नहीं लेंगे और न ही अपना बच्चा इसमें भेजेंगे. इसके बाद स्कूल ने उन्हें सस्पेंड कर दिया और बाद में पुलिस ने गिरफ्तार भी कर लिया.
कोर्ट ने टीचर का पक्ष सुना
अब इस मामले पर हाईकोर्ट ने टीचर के पक्ष में फैसला सुनाया है. कोर्ट ने स्कूल के सस्पेंशन ऑर्डर को गलत बताया और उसे रद्द कर दिया है. साथ ही राज्य शिक्षा विभाग का जो आदेश था, उसे भी रद्द कर दिया गया है. कोर्ट ने स्कूल मैनेजमेंट को आदेश दिया कि वो इस सस्पेंशन के फैसले पर दोबारा विचार करें और टीचर द्वारा दिए गए जवाब को भी ध्यान से पढ़ें.
“बिना जवाब सुने सस्पेंड कर दिया”
टी.के. अशरफ ने अदालत में कहा कि उन्हें 5 जुलाई तक “कारण बताओ नोटिस” का जवाब देने का समय मिला था. लेकिन स्कूल ने 2 जुलाई को ही उन्हें सस्पेंड कर दिया. उन्होंने कहा कि ये गलत है और ऐसा करना उनके साथ अन्याय है.
अशरफ ने जून के आखिरी हफ्ते में फेसबुक पर एक पोस्ट लिखी थी, जिसमें उन्होंने कहा कि वे जुम्बा कार्यक्रम में शामिल नहीं होंगे. उन्होंने साफ कहा कि उनके बेटे को भी वो इसमें नहीं भेजेंगे. उनका कहना था कि बच्चों को स्कूल में पढ़ाई के लिए भेजा जाता है, न कि ऐसे कार्यक्रमों में हिस्सा लेने के लिए जहां लड़के-लड़कियां एक साथ डांस करें, तेज़ म्यूजिक बजे और अजीब कपड़े पहनाए जाएं.
“ये सब बच्चों पर जबरन थोपा जा रहा है”
अशरफ का कहना है कि इस तरह के डांस और कार्यक्रम बच्चों पर जबरदस्ती थोपे जा रहे हैं, और ये चीज़ें हमारे समाज की सोच से मेल नहीं खातीं. उन्होंने कहा कि वो इसके खिलाफ आवाज़ उठाते रहेंगे, चाहे इसके लिए उन्हें कोई भी सजा क्यों न भुगतनी पड़े.