Maldives Economic Crisis: मालदीव इस समय एक गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर रहा है. इस समय मालदीव का उपयोग योग्य विदेशी मुद्रा भंडार घटकर मात्र 18.8 मिलियन डॉलर रह गया है. जानकारी के अनुसार, ये मुद्रा भंडार मुश्किल से 1 महीने के आयात के लिए भी पर्याप्त नहीं है. यह छोटा सा द्वीपीय राष्ट्र भारी विदेशी ऋण से जूझ रहा है जिसका ऋण 2025 में 600 मिलियन डॉलर और 2026 में 1 बिलियन डॉलर तक पहुंच जाएगा, जिसमें चीन और भारत प्रमुख ऋणदाता हैं.
बता दें कि मालदीव की अर्थव्यवस्था पर्यटन पर बहुत अधिक निर्भर है, जो कोविड-19 महामारी और भारतीय पर्यटकों की संख्या में गिरावट के कारण काफी प्रभावित हुई है. देश का ऋण-जीडीपी अनुपात 110-116.5% के स्तर पर है और कुल ऋण 8-9.4 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया है. सेवा योग्य विदेशी मुद्रा भंडार अगस्त में 25 मिलियन डॉलर घटकर 188 मिलियन डॉलर रह गया.
भारत ने बढ़ाया मदद का हाथ
इस बीच भारत ने एक बार फिर मालदीव की मदद करने के लिए हाथ आगे बढ़ाया है. जानकारी के अनुसार, भारत ने 50 मिलियन डॉलर के ऋण की चुकौती एक वर्ष के लिए स्थगित कर दी है. भारत ने इस ऋण पर इस अवधि के लिए ब्याज भी माफ कर दिया है. बता दें कि मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज़्ज़ू को चीन समर्थक माना जाता है. सत्ता में आने के शुरुआती समय में उनके भारत के साथ संबंध तनावपूर्ण रहे थे.
मुइज्जू ने राष्ट्रपति बनते ही न सिर्फ भारतीय सैनिकों को मालदीव से बाहर निकलने का आदेश दिया था बल्कि भारत से मिले हेलीकॉप्टरों, डोर्नियर विमान और एक गश्ती पोत के संचालन पर भी रोक लगा दी थी. हाल ही में, मुइज़्ज़ू ने अपना रुख बदला है और भारत के साथ संबंधों को प्राथमिकता दी है. मालदीव के आर्थिक संकट ने क्षेत्र में प्रभाव के लिए भारत और चीन के बीच प्रतिस्पर्धा को बढ़ा दिया है.