चिराग, मांझी और कुशवाहा से इस शर्त पर सीट बंटवारे की बन गई बात! फॉर्मूला फाइनल

7 hours ago

Last Updated:October 07, 2025, 18:50 IST

Bihar Chunav 2025 : बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए एनडीए गठबंधन में सीट बंटवारे पर सहमति बन गई है. बताया जा रहा है कि भाजपा और जेडीयू ने अपने सहयोगियों-चिराग पासवान, जीतन राम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा के साथ शर्तों के आधार पर समझौता किया है. सियासी सौदेबाजी की खबरों के बीच राजनीतिक हिस्सेदारी का भरोसा दिए जाने की बात सामने आई है. अब सीट बंटवारे की औपचारिक घोषणा जल्दी ही हो सकती है. यह फार्मूला एनडीए में संतुलन कायम करने की रणनीति के रूप में देखा जा रहा है.

चिराग, मांझी और कुशवाहा से इस शर्त पर सीट बंटवारे की बन गई बात! फॉर्मूला फाइनलउपेंद्र कुशवाहा, चिराग पासवान और जीतन राम मांझी. (फाइल फोटो)

पटना. बिहार विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर एनडीए गठबंधन के भीतर सीट बंटवारे को लेकर चल रही खींचतान अब अंतिम दौर में पहुंच गई है. सूत्रों के मुताबिक भाजपा और जेडीयू ने अपने सहयोगी दलों-लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के चिराग पासवान, हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के जीतन राम मांझी और राष्ट्रीय लोक जनतांत्रिक मोर्चा के उपेंद्र कुशवाहा से सहमति बना ली है. हालांकि यह सहमति बिना शर्तों के नहीं बनी है.जानकारी के अनुसार, एनडीए ने छोटे दलों को संतुष्ट करने के लिए ऐसा फॉर्मूला तैयार किया है, जिसमें सीटों के साथ-साथ राजनीतिक हिस्सेदारी का आश्वासन भी शामिल है.

बनी सहमति, पर चिराग की शर्तें बरकरार

सूत्र बताते हैं कि भाजपा और जेडीयू ने कुल 205 सीटों पर मिलकर चुनाव लड़ने का निर्णय लिया है, जबकि 38 सीटें सहयोगी दलों के खाते में जाएंगी. इनमें एलजेपी (रामविलास) को 25, मांझी की पार्टी को 7 और कुशवाहा की पार्टी को 6 सीटें देने का प्रस्ताव है. लेकिन चिराग पासवान ने ब्रह्मपुर, गोविंदगंज, महनार जैसी कुछ प्रमुख सीटों पर अपना दावा बरकरार रखा है, जहां पहले से जेडीयू या भाजपा का प्रभाव रहा है. चिराग ने कहा है कि यदि उनकी पार्टी को ‘प्रभाव क्षेत्र की सीटें’ नहीं दी गईं तो कार्यकर्ताओं में असंतोष फैल सकता है. इसी को देखते हुए भाजपा नेतृत्व ने उन्हें राज्यसभा या परिषद सीट के साथ संतुलन का प्रस्ताव दिया है.

मांझी और कुशवाहा भी बने मजबूत सौदेबाज

जीतन राम मांझी ने भी अपने जनाधार वाले इलाकों- गया, जहानाबाद और औरंगाबाद की कुछ सीटों पर जोर दिया है. उन्होंने खुलकर कहा था कि अगर पार्टी को ‘सम्मानजनक सीटें’ नहीं मिलीं तो वे स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ने को मजबूर होंगे. इसी तरह उपेंद्र कुशवाहा ने अपने प्रभाव वाले नालंदा और रोहतास जिले की सीटों को लेकर चर्चा में अपनी बात रखी. इन दोनों नेताओं को समझाने के लिए जेडीयू ने आगे बढ़कर भूमिका निभाई. नीतीश कुमार ने उन्हें भरोसा दिया कि चुनाव बाद सरकार में उन्हें नीति-निर्माण में हिस्सेदारी दी जाएगी.

भाजपा-जेडीयू का संतुलन साधने का प्रयास

दरअसल, भाजपा और जेडीयू दोनों जानते हैं कि छोटे दलों की नाराजगी चुनाव से पहले किसी भी वक्त बड़ा संकट बन सकती है. इसलिए एनडीए ने यह स्पष्ट किया कि सहयोगियों को केवल सीटों का नंबर नहीं, बल्कि राजनीतिक सम्मान और प्रतिनिधित्व दिया जाएगा. भाजपा ने यह भी साफ किया है कि जिन सीटों पर पुराने मतभेद हैं, वहां ‘दोनों पक्षों की आपसी सहमति’ से उम्मीदवार तय होंगे. इसी फार्मूले को अब एनडीए में ‘शर्तों वाला गठबंधन’ कहा जा रहा है.

घोषणा की तैयारी, जल्द हो सकता है ऐलान

दिल्ली में होने वाली एनडीए की बैठक में इस फॉर्मूले पर मुहर लगने की उम्मीद है. यदि सब कुछ तय हुआ तो 10 अक्टूबर तक सीटों की आधिकारिक घोषणा हो जाएगी. इसके बाद 15 अक्टूबर तक उम्मीदवारों की पहली सूची जारी होने की संभावना है. भाजपा-जेडीयू ने तय किया है कि घोषणा से पहले किसी दल के नेता सार्वजनिक बयान नहीं देंगे, ताकि गलत संदेश न जाए.

चिराग बने सबसे बड़ी चुनौती, पर बनी बात

गठबंधन में सबसे जटिल स्थिति चिराग पासवान को लेकर रही। उन्होंने लगभग 40 से 50 सीटों की मांग रख दी थी, जिससे वार्ता अटक गई थी. लेकिन, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और गृह मंत्री अमित शाह के हस्तक्षेप के बाद चिराग को समझाया गया कि यदि सीटों की संख्या सीमित रखी जाए तो चुनाव बाद केंद्र और राज्य दोनों में प्रतिनिधित्व का रास्ता खुला रहेगा. अब माना जा रहा है कि चिराग को 22–25 सीटों का कोटा मिल सकता है जिनमें उनकी पसंद की कुछ सीटें भी शामिल हैं.

राजनीतिक संदेश साफ, बराबरी वाला गठबंधन

जानकार कहते हैं कि इस पूरी प्रक्रिया में भाजपा ने यह संदेश देने की कोशिश की है कि एनडीए में कोई ‘छोटा या बड़ा भाई’ नहीं है. सभी दल बराबरी के साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगे. भाजपा और जेडीयू समान संख्या में सीटों पर उम्मीदवार उतारेंगे, ताकि गठबंधन में सामंजस्य बना रहे. राजनीति के जानकारो का मानना है कि यदि यह फार्मूला ठीक से काम कर गया तो विपक्षी महागठबंधन के लिए यह बड़ा सिरदर्द साबित होगा.बहरहाल, एनडीए के भीतर बनी यह सहमति गठबंधन की एकजुटता का संकेत मानी जा रही है. लेकिन अभी भी कुछ सीटों पर मतभेद बाकी हैं.

Vijay jha

पत्रकारिता क्षेत्र में 22 वर्षों से कार्यरत. प्रिंट, इलेट्रॉनिक एवं डिजिटल मीडिया में महत्वपूर्ण दायित्वों का निर्वहन. नेटवर्क 18, ईटीवी, मौर्य टीवी, फोकस टीवी, न्यूज वर्ल्ड इंडिया, हमार टीवी, ब्लूक्राफ्ट डिजिट...और पढ़ें

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First Published :

October 07, 2025, 18:50 IST

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