खाने-पीने की पैकेट पर ORS लिखा तो खैर नहीं, FSSAI ने लगा दिया प्रतिबंध

5 hours ago

Last Updated:October 18, 2025, 07:24 IST

FSSAI vs ORS : खाद्य नियामक ने सभी कंपनियों को सख्‍त निर्देश देते हुए कहा है कि अपने किसी भी खाद्य प्रोडक्‍ट पर अब ओआरएस शब्‍द का इस्‍तेमाल न किया जाए. ऐसा होता है तो इसे नियमों का उल्‍लंघन माना जाएगा.

खाने-पीने की पैकेट पर ORS लिखा तो खैर नहीं, FSSAI ने लगा दिया प्रतिबंधखाने-पीने की चीजों पर ओआरएस शब्‍द के इस्‍तेमाल पर रोक.

नई दिल्‍ली. भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने सभी खाद्य व्यवसाय संचालकों को अपने लेबलिंग और विज्ञापनों में ‘ओआरएस’ (ओरल रिहाइड्रेशन सॉल्यूशन) शब्द का इस्तेमाल तुरंत बंद करने का निर्देश दिया है. उन्होंने इस तरह की गतिविधियों को उपभोक्ताओं के लिए भ्रामक बताया है. खाद्य सुरक्षा नियामक ने अपने 14 अक्टूबर के आदेश में स्पष्ट किया कि ट्रेडमार्क वाले नामों में या किसी भी खाद्य उत्पाद के नामकरण में ‘ओआरएस’ शब्द का प्रयोग खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम, 2006 का उल्लंघन माना जाएगा.

नवीनतम आदेश जुलाई 2022 और फरवरी 2024 में जारी किए गए पहले के निर्देशों को वापस लेता है, जिसमें खाद्य लेबल पर ‘ओआरएस’ शब्द के इस्तेमाल की अनुमति दी गई थी, बशर्ते कि यह घोषणा या चेतावनी दी जाए कि ‘उत्पाद डब्ल्यूएचओ द्वारा अनुशंसित ओआरएस फॉर्मूला नहीं है.’ मामले की समीक्षा के बाद, एफएसएसएआई ने निष्कर्ष निकाला कि इस तरह की गतिविधियां झूठे, भ्रामक, अस्पष्ट और त्रुटिपूर्ण नामों या लेबल घोषणाओं के माध्यम से उपभोक्ताओं को गुमराह कर रही हैं और अधिनियम का उल्लंघन हैं.

नियम तोड़ा तो 5 लाख का जुर्माना
नियामक ने कहा कि अब इस शब्द का प्रयोग गलत ब्रांडिंग और भ्रामक माना जाएगा और एफएसएसएआई अधिनियम 2006 के तहत दंडनीय होगा. सभी खाद्य व्यवसाय संचालकों को निर्देश दिया जाता है कि वे अपने खाद्य उत्पादों से ‘ओआरएस’ शब्द को हटा दें, चाहे वह एक स्वतंत्र शब्द के रूप में इस्तेमाल किया गया हो या किसी उपसर्ग या प्रत्यय के रूप में या उत्पाद के नाम में उपसर्ग या प्रत्यय वाले ट्रेडमार्क के हिस्से के रूप में इस्तेमाल किया गया हो. साथ ही, खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम, 2006 और उसके तहत बनाए गए नियमों के तहत निर्धारित लेबलिंग और विज्ञापन आवश्यकताओं का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित करें. नियमों का उल्‍लंघन किया तो उन पर 5 लाख का जुर्माना ठोक दिया जाएगा. हालांकि, ओआरएस के विकल्प उत्पादों के भ्रामक विज्ञापन और विपणन के संबंध में धारा 6(5) के तहत जारी आठ अप्रैल, 2022 का निर्देश अभी भी प्रभावी है.

क्‍या है धारा 52 और 53
FSSAI ने नियमों का उल्‍लंघन करने पर फूड सिक्‍योरिटी एक्‍ट 2006 की धारा 52 और 53 के तहत कार्रवाई करने की चेतावनी दी है. धारा 52 किसी खाद्य उत्‍पाद को मिसब्रांडेड या गलत लेबल के साथ बेचने से रोकता है. अगर उत्‍पाद का नाम, लेबल, क्‍वालिटी या कोई अधूरी अथवा भ्रामक जानकारी दी जाती है तो इसे उपभोक्‍ताओं के साथ धोखाधड़ी माना जाता है और 5 लाख तक जुर्माना लगाया जा सकता है. धारा 53 उन विज्ञापनों पर लागू होती है जो किसी फूड प्रोडक्‍ट की प्रकृति, क्‍वालिटी आदि को लेकर भ्रामक जानकारी देते हैं. इसमें 10 लाख रुपये तक जुर्माने का प्रावधान है.

क्‍यों लगाना पड़ा प्रतिबंध
एफएसएसएआई को कई बार शिकायतें मिल चुकी थीं कि कुछ कंपनियों अपने खाद्य प्रोडक्‍ट और कार्बोनेटेड पेय पदार्थों पर ओआरएस के लेबल लगाकर बेचती हैं. ओआरएस शब्‍द इस्‍तेमाल करने के साथ सरकार ओर से जारी सूचना का उल्‍लेख भी नहीं करती हैं, जिससे ग्राहकों में भ्रम पैदा होता है और वह इसे विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन की ओर से जारी जीवन रक्षक घोल ओआरएस समझ लेते हैं. लिहाजा इस पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाना ही उचित रहा.

Pramod Kumar Tiwari

प्रमोद कुमार तिवारी को शेयर बाजार, इन्‍वेस्‍टमेंट टिप्‍स, टैक्‍स और पर्सनल फाइनेंस कवर करना पसंद है. जटिल विषयों को बड़ी सहजता से समझाते हैं. अखबारों में पर्सनल फाइनेंस पर दर्जनों कॉलम भी लिख चुके हैं. पत्रकारि...और पढ़ें

प्रमोद कुमार तिवारी को शेयर बाजार, इन्‍वेस्‍टमेंट टिप्‍स, टैक्‍स और पर्सनल फाइनेंस कवर करना पसंद है. जटिल विषयों को बड़ी सहजता से समझाते हैं. अखबारों में पर्सनल फाइनेंस पर दर्जनों कॉलम भी लिख चुके हैं. पत्रकारि...

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Location :

New Delhi,Delhi

First Published :

October 18, 2025, 07:24 IST

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