Last Updated:September 25, 2025, 19:33 IST
BSF Drone School: ऑपरेशन सिंदूर के बाद बीएसएफ ने टेकनपुर में देश का पहला ड्रोन वॉरफेयर स्कूल खोला, जहां जवानों को ड्रोन युद्ध और एंटी-ड्रोन सिस्टम्स की ट्रेनिंग दी जा रही है.

ग्वालियर. ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद भारत की सीमाओं पर बदलते खतरों के जवाब में, सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) ने आक्रामक और डिफेंसिव मानव रहित हवाई (अनमैन्ड एरियल) क्षमताओं का निर्माण करने के लिए टेकनपुर में अपने ट्रेनिंग एकेडमी में देश का पहला ड्रोन वॉरफेयर स्कूल स्थापित किया है. पिछले महीने गठित, 40 अधिकारियों वाले पहले बैच ने एक सप्ताह का “ड्रोन ओरिएंटेशन” कोर्स किया. वर्तमान में, 47 स्टाफ का एक दूसरा समूह छह सप्ताह के इंटेंसिव “ड्रोन कमांडो कोर्स” में इनरोल है.
बीएसएफ पाकिस्तान और बांग्लादेश से लगी भारत की 6,000 किलोमीटर से अधिक लंबी सीमा की पहरेदारी करता है, साथ ही स्पेशल ऑपरेशन के लिए गृह मंत्रालय की एयर ब्रांच को भी ऑपरेट करता है. ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान, बीएसएफ ने ड्रोन हमलों, गोलाबारी का मुकाबला किया और सीमा पर पाकिस्तानी ठिकानों पर प्रभावी गोलाबारी की. बाईस अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद, चलाए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान साहस का परिचय देने के लिए 18 बीएसएफ कर्मियों को वीरता पदक से सम्मानित किया गया, जिनमें से दो को मरणोपरांत इससे नवाजा गया.
जंग में ड्रोन की अहमियत को देखते हुए ही बीएसएफ ने अपने ट्रेनिंग कोर्स को अपडेट किया है और बीएसएफ जवानों एवं अधिकारियों के लिए ड्रोन युद्ध को एक अनिवार्य विषय के रूप में जोड़ा है. इसके अलावा, ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद नये युग के युद्ध के लिए स्वदेशी उपकरण विकसित करने के उद्देश्य से एक इनोवेशन सेंटर भी स्थापित किया है.
बीएसएफ के आईजी और सीटीएसएस (रणनीति एवं सामरिक अध्ययन केंद्र) के कमांडर उमेद सिंह ने एएनआई से कहा, “ड्रोन जंग एक नया और उभरता हुआ क्षेत्र है. रूस-यूक्रेनी युद्ध में ड्रोन का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया जा रहा है. इसलिए, ऑपरेशन सिंदूर के बाद, हमें भी ऐसी ही स्थिति का सामना करना पड़ा था. दुश्मन देश ने पश्चिमी सीमाओं से ड्रोन का व्यापक रूप से उपयोग किया था. यह देखते हुए कि हम डिफेंस की पहली लाइन हैं, यह बेहद जरूरी है कि हम ड्रोन युद्ध की कला में पूरी तरह से सुसज्जित और ट्रेंड हों. इसी के अनुरूप, हमने तैयारी शुरू कर दी है और हमने ड्रोन युद्ध का एक स्कूल खोला है, जहां हम अपने कमांडरों और ड्रोन ऑपरेटरों को जरूरी स्किल्स और स्ट्रैटेजिक नॉलेज प्रदान कर सकते हैं… हमें एंटी-ड्रोन और एंटी-ड्रोन सिस्टम्स की जरूरत है. काउंटर-ड्रोन सिस्टम एक बहुत ही जटिल प्रणाली है… इसलिए, कुल मिलाकर, इस पूरे सिस्टम को डी4 कहा जाता है – जिसमें पता लगाना, स्पूफिंग, जैमिंग और मार गिराना शामिल है. हम फील्ड फ़ॉर्मेशन की ज़रूरतों के अनुसार इन सभी प्रणालियों को लागू करने का प्रयास कर रहे हैं…”
बीएसएफ की टेकनपुर एकेडमी के ट्रेनर ब्रिगेडियर रुपिंदर सिंह कहते हैं, “ऑपरेशन सिंदूर के दौरान हमने देखा कि पाकिस्तान ने बहुत बड़ी संख्या में मिलिट्री ग्रेड ड्रोन का इस्तेमाल किया है. उसे देखते हुए, हमने यह स्कूल स्थापित किया है, ताकि हम अपने सभी अधिकारियों और जवानों को ड्रोन के साथ-साथ एंटी ड्रोन ऑपरेशंस से जुड़ी मूल बातों की भी ट्रेनिंग दे सकें. हम उन्हें ऑपरेशनल हालात में ड्रोन को संभालना सिखाएंगे और इक्विपमेंट्स, ड्रोन और एंटी-ड्रोन दोनों के टेक्निकल डिटेल्स के बारे में भी सिखाएंगे. हम उन्हें यह भी बताएंगे कि विभिन्न युद्धों में ड्रोन का उपयोग कैसे किया जा रहा है… यह एक टेक्निकल ट्रेनिंग है; इक्विपमेंट्स बहुत ही तकनीकी प्रकृति के हैं… हमारे पास एक बैच में लगभग 40 का आंकड़ा है. जैसे-जैसे हम अधिक इक्विपमेंट्स शामिल करते हैं और ज्यादा इंस्ट्रक्टर होते हैं, तो बैच की सख्या भी बढ़ेगी…”
राकेश रंजन कुमार को डिजिटल पत्रकारिता में 10 साल से अधिक का अनुभव है. न्यूज़18 के साथ जुड़ने से पहले उन्होंने लाइव हिन्दुस्तान, दैनिक जागरण, ज़ी न्यूज़, जनसत्ता और दैनिक भास्कर में काम किया है. वर्तमान में वह h...और पढ़ें
राकेश रंजन कुमार को डिजिटल पत्रकारिता में 10 साल से अधिक का अनुभव है. न्यूज़18 के साथ जुड़ने से पहले उन्होंने लाइव हिन्दुस्तान, दैनिक जागरण, ज़ी न्यूज़, जनसत्ता और दैनिक भास्कर में काम किया है. वर्तमान में वह h...
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Location :
Gwalior,Madhya Pradesh
First Published :
September 25, 2025, 19:16 IST