Last Updated:September 23, 2025, 17:46 IST
अदालत से आदेश के बाद जेल से रिहाई किस तरह होती है.. किन स्थितियों में इसमें बांड की जरूरत पड़ती है. कई बार अदालत के आदेश के बाद भी रिहाई में देर क्यों लग जाती है.

उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री और समाजवादी पार्टी के नेता आजम खान को अदालत ने कई दिन पहले रिहा करने का आदेश दे दिया था लेकिन उनकी रिहाई में देर हो गई. जब उन्होंने अपने कई मामलों में सजा से संबंधित जुर्माने की रकम जमा कराई, तभी उनकी रिहाई हो पाई. समझते हैं कि कोर्ट के आदेश के बाद जेल से रिहाई कैसे होती है कब बांड की जरूरत पड़ती है और जुर्माने की रकम का रिहाई से क्या रिश्ता है.
जब अदालत किसी अभियुक्त को सज़ा सुनाती है, तो अक्सर यह दो हिस्सों में होती है. कैद और जुर्माना. कई बार कोर्ट किसी सजा में कैद और जुर्माने का आदेश देती है.
जैसे
“अमुक को 2 साल की कैद और ₹25,000 जुर्माने की सज़ा दी जाती है. जुर्माना नहीं भरने पर 3 महीने की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी.”
इसका मतलब यह हुआ कि कैदी को या तो जुर्माना भरना पड़ेगा या फिर वह अतिरिक्त कैद भुगतेगा.
आजम खान का मामला क्यों अटका
आज़म ख़ान के खिलाफ कई केस थे. जिनमें से कुछ मामलों में उन्हें सज़ा सुनाई गई थी और जुर्माना भी लगाया गया था. जब उन्होंने उन मामलों में जमानत हासिल की, तब भी जेल प्रशासन ने देखा कि एक या अधिक मामलों में जुर्माना बकाया है. जब तक वह जुर्माना जमा नहीं हुआ, तब तक कानूनी रूप से उनकी सज़ा पूरी नहीं मानी जा सकती थी. इस वजह से उनकी रिहाई का आदेश आने के बावजूद जेल से बाहर निकलने में देर हुई, क्योंकि पहले जुर्माना भरना ज़रूरी था.
जुर्माना नहीं भरने पर क्या होता है
अगर कोई कैदी जुर्माना नहीं भरता, तो उसे अदालत द्वारा तय की गई “डिफॉल्ट कैद” भुगतनी पड़ती है यानि जुर्माना नहीं देने पर अदालत द्वारा तक की गई अतिरिक्त कैद की सजा का सामना करना पड़ता है.
मसलन मान लीजिए अदालत ने किसी को ये सजा दी है, “₹10,000 जुर्माना न भरने पर 1 महीने की अतिरिक्त कैद.”
इस स्थिति में व्यक्ति तब तक जेल से नहीं छूटेगा जब तक वह जुर्माना जमा नहीं कर दे या फिर वह अतिरिक्त कैद की अवधि काट न ले.
जमानत बनाम जुर्माना
जमानत तब लागू होती है जब मामला अपील में हो या सज़ा स्थगित की गई हो. जुर्माना सीधे सज़ा का हिस्सा होता है. इसलिए अगर किसी व्यक्ति को जमानत मिल भी जाए, लेकिन उसकी पिछली सज़ा का जुर्माना न जमा हुआ हो, तो जेल से रिहाई अटक सकती है.
अदालत के आदेश के बाद रिहाई की प्रक्रिया क्या
– अदालत जब जमानत या रिहाई का आदेश देती है, तो उसका लिखित आदेश तैयार होता है.
– यह आदेश संबंधित जेल अधीक्षक को भेजा जाता है, आमतौर पर न्यायालय के नाज़िर या रनर या कुरियर के जरिए.
– कुछ जगह अब ये प्रक्रिया ऑनलाइन भी हो गई है, जिससे आदेश सीधे जेल को भेजा जाता है.
किन स्थितियों में बांड की ज़रूरत पड़ती है
– अगर अदालत ने साधारण जमानत दी है, तो रिहाई तभी होगी जब आरोपी बेल बांड और श्योरिटी यानि गारेंटर पेश करता है.
– बांड का मतलब है कि आरोपी या उसका ज़मानती लिखित में ये आश्वासन देता है कि आरोपी आगे की तारीखों पर अदालत में मौजूद रहेगा.
– कुछ मामलों में पर्सनल बांड पर भी रिहाई हो सकती है, जिसमें केवल आरोपी का आश्वासन पर्याप्त माना जाता है, श्योरिटी नहीं देनी पड़ती.
– अगर अदालत ने रिहाई आदेश बिना बांड (पहले से सजा पूरी होने पर या दोषमुक्ति मिलने पर) दिया है, तो केवल आदेश की कॉपी पर ही रिहाई हो जाएगी.
रिहाई में देरी क्यों हो जाती है
कई बार आदेश आने के बाद भी कैदी की रिहाई तुरंत नहीं हो पाती। इसके पीछे कारण हो सकते हैं
– आदेश जेल तक पहुंचने में देर – अगर आदेश देर शाम पहुंचा या छुट्टी का दिन है, तो अगली सुबह ही प्रक्रिया पूरी होती है.
– दस्तावेज़ की जांच – जेल प्रशासन आदेश की सत्यता की पुष्टि करता है. अगर दस्तावेज़ संदिग्ध लगे तो वे अदालत से पुष्टि करवाते हैं.
– बांड या श्योरिटी की कमी – कभी-कभी ज़मानती या पैसे (बॉन्ड राशि) जमा करने में वक्त लग जाता है.
– अन्य मामलों की जांच – अगर आरोपी पर एक से ज़्यादा केस दर्ज हैं, तो भले ही एक मामले में जमानत मिल गई हो, लेकिन दूसरे केस में हिरासत जारी रह सकती है. तब तक रिहाई नहीं होगी.
– प्रशासनिक प्रक्रिया से भी होती है देरी. जेल रजिस्टर में प्रविष्टि, पहचान की पुष्टि, कैदी के सामान की वापसी आदि औपचारिकताएं पूरी करने में समय लगता है.
– e-prison, e-court सिस्टम में लिंक फेल होना, दस्तावेज़ अपलोड न होना या हस्ताक्षर या स्टाम्प की गड़बड़ी भी रुकावट डाल सकती है.
तुरंत रिहाई कब होती है
अगर अदालत ने तुरंत रिहाई का आदेश दिया. उसमें कोई शर्त नहीं लगाई, तो आदेश जेल में पहुंचते ही कैदी छोड़ा जा सकता है. हालांकि ये व्यवहार में दिन में ही संभव होता है, रात को अधिकांश जेलें आदेश लागू नहीं करतीं.
Sanjay Srivastavaडिप्टी एडीटर
लेखक न्यूज18 में डिप्टी एडीटर हैं. प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में काम करने का 30 सालों से ज्यादा का अनुभव. लंबे पत्रकारिता जीवन में लोकल रिपोर्टिंग से लेकर खेल पत्रकारिता का अनुभव. रिसर्च जैसे विषयों में खास...और पढ़ें
लेखक न्यूज18 में डिप्टी एडीटर हैं. प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में काम करने का 30 सालों से ज्यादा का अनुभव. लंबे पत्रकारिता जीवन में लोकल रिपोर्टिंग से लेकर खेल पत्रकारिता का अनुभव. रिसर्च जैसे विषयों में खास...
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Location :
Noida,Gautam Buddha Nagar,Uttar Pradesh
First Published :
September 23, 2025, 17:46 IST

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