Last Updated:October 05, 2025, 17:34 IST
S Jaishankar after operation sindoor: विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कौटिल्य आर्थिक सम्मेलन में वैश्विक अशांति, अमेरिका की ऊर्जा भूमिका, स्टैंडऑफ हथियारों, ऑपरेशन सिंदूर और भारत की विदेश नीति पर अहम विचार साझा किए.

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने मौजूदा वैश्विक परिदृश्य और अमेरिका की भूमिका को लेकर अहम बातें कही है. उन्होंने दिल्ली में आयोजित चौथे कौटिल्य आर्थिक सम्मेलन के समापन अवसर पर वैश्विक अशांति के दौर में हथियारों और युद्ध की बदलती प्रकृति पर अपनी राय रखी. साथ ही उन्होंने ऊर्जा क्षेत्र में अमेरिका की भूमिका को लेकर भी बात की. उन्होंने कहा कि कुछ ही साल पहले अमेरिका ऊर्जा सुरक्षा को लेकर बहुत चिंतित रहता था लेकिन अब वह पेट्रोलियम प्रोडक्ट की बिक्री कर रहा है.
जयशंकर ने जोर दिया कि आज का युद्ध संपर्क रहित हो गया है, जहां स्टैंडऑफ हथियार निर्णायक भूमिका निभा रहे हैं. उन्होंने कहा- आज हथियारों की प्रकृति, युद्ध की प्रकृति मूल रूप से बदल गई है. हमने इसे कई संघर्षों में देखा है, जो अजरबैजान-अर्मेनिया, यूक्रेन-रूस और इजरायल-ईरान से शुरू होता है. इसलिए स्टैंडऑफ हथियारों के साथ संपर्क रहित युद्ध निर्णायक परिणाम दे सकते हैं.
ऑपरेशन सिंदूर में दिखी थी झांकी
ऑपरेशन सिंदूर के बाद आया विदेश मंत्री का यह बयान काफी अहमियत रखता है. भारत ने भी ऑपरेशन सिंदूर में एक तरह से कॉन्टेक्टलेस वार लड़ा और बेहद कम समय में अपना 100 फीसदी लक्ष्य पूरा कर लिया. ऐसे में जयशंकर का यह बयान काफी अहम है. इस कॉन्टेक्टलेस वार में ड्रोन, मिसाइल और साइबर हमले पारंपरिक सीमाओं को धुंधला कर देते हैं.
सम्मेलन का तीन अक्टूबर को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने उद्घाटन किया था. इस तीन दिनों में एशिया के उदय, ब्रिक्स के भविष्य, वित्तीय स्थिरता और औद्योगिक नीति जैसे विषयों पर चर्चा हुई. इकोनॉमिक ग्रोथ इंस्टीट्यूट (आईईजी) द्वारा आयोजित यह मंच, वित्त मंत्रालय के सहयोग से 2022 से चल रहा है. जयशंकर का समापन भाषण सम्मेलन का उच्च बिंदु साबित हुआ, जहां उन्होंने भारत की विदेश और आर्थिक नीति पर चिंतन साझा किया.
जयशंकर ने वैश्विक अशांति के भाव को भी रेखांकित किया. उन्होंने कहा कि अशांत समयों को विशेषता देने वाला भाव दुनिया के कई हिस्सों में वैश्वीकरण के विरोध में वृद्धि है. यह टिप्पणी अमेरिका में व्यापार संरक्षणवाद, यूरोप में आपूर्ति श्रृंखला संकट और विकासशील देशों में आर्थिक असमानता से जुड़ी है. भारत खुद वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं का केंद्र बनने की दिशा में अग्रसर है. उसको इन चुनौतियों से निपटने के लिए सक्रिय भूमिका निभानी होगी, जैसा कि सीतारमण ने उद्घाटन में कहा था.
उन्होंने आगे कहा कि हाल के वर्षों में हमने प्रतिबंधों के प्रयोग में पूरी तरह से नया स्तर देखा है, यहां तक कि संप्रभु संपत्तियों की जब्ती भी. क्रिप्टो का उदय और दुर्लभ पृथ्वी तथा महत्वपूर्ण खनिजों के लिए प्रतिस्पर्धा वैश्विक प्रतिद्वंद्विताओं को आकार देने वाले प्रमुख कारक बन गए हैं. यह बयान रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद पश्चिमी प्रतिबंधों और चीन की खनिज प्रभुत्व की पृष्ठभूमि में अहम जाता है.
न्यूज18 हिंदी में बतौर एसोसिएट एडिटर कार्यरत. मीडिया में करीब दो दशक का अनुभव. दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण, आईएएनएस, बीबीसी, अमर उजाला, जी समूह सहित कई अन्य संस्थानों में कार्य करने का मौका मिला. माखनलाल यूनिवर्स...और पढ़ें
न्यूज18 हिंदी में बतौर एसोसिएट एडिटर कार्यरत. मीडिया में करीब दो दशक का अनुभव. दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण, आईएएनएस, बीबीसी, अमर उजाला, जी समूह सहित कई अन्य संस्थानों में कार्य करने का मौका मिला. माखनलाल यूनिवर्स...
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First Published :
October 05, 2025, 17:31 IST