कांग्रेस के सबसे मजबूत गढ़ में बवाल, CM की कुर्सी को लेकर सिरफुटव्वल तेज

1 month ago

Last Updated:April 06, 2025, 08:50 IST

Karnataka Congress: कर्नाटक में कांग्रेस के भीतर सीएम सिद्दारमैया और डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार के बीच तकरार जारी है. शिवकुमार अध्यक्ष पद छोड़ने को तैयार नहीं हैं, वहीं सिद्दारमैया कैंप उनको हटाने की मुहिम में ल...और पढ़ें

कांग्रेस के सबसे मजबूत गढ़ में बवाल, CM की कुर्सी को लेकर सिरफुटव्वल तेज

कर्नाटक में सीएम की कुर्सी को लेकर तकरार चरम पर है.

हाइलाइट्स

कर्नाटक कांग्रेस में सीएम पद को लेकर तकरार जारी.शिवकुमार अध्यक्ष पद छोड़ने को तैयार नहीं.हाईकमान ने शिवकुमार का समर्थन किया.

Karnataka Congress: देश में गिने-चुने तीन राज्यों में कांग्रेस पार्टी की सरकार है. ये तीन राज्य राज्य हैं कर्नाटक, तेलंगाना और हिमाचल प्रदेश. इसके अलावा वह झारखंड में इंडिया अलायंस की सरकार में साझेदार है. लेकिन, पार्टी के इस स्तर पर सिकुड़ जाने के बावजूद उसके भीतर का सिरफुटव्वल थमने का नाम नहीं ले रहा है. इस वक्त कांग्रेस एक मात्र बड़े राज्य कर्नाटक में सबसे मजबूत स्थिति में है. लेकिन, वहां सीएम की कुर्सी को लेकर डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार और सीएम सिद्दारमैया के बीच तकरार किसी से छिपी नहीं है. ताजा विवाद प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के पद को लेकर है. मौजूदा वक्त में डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार के पास यह पद है. वह प्रदेशाध्यक्ष का पद छोड़ना नहीं चाहते हैं. सूत्रों का कहना है कि दिल्ली में कांग्रेस हाईकमान से दो दिन की मुलाकात के बाद बेंगलुरु लौटे शिवकुमार ने साफ कहा कि वे यह पद तभी छोड़ेंगे, जब उन्हें मुख्यमंत्री की कुर्सी मिले. सूत्रों के मुताबिक, हाईकमान ने अभी के लिए शिवकुमार का समर्थन किया है, लेकिन मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उनके करीबी मंत्रियों को यह बात पसंद नहीं आई है.

टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक सिद्धारमैया के समर्थक मंत्री शिवकुमार को अध्यक्ष पद से हटाने की मांग कर रहे थे. लेकिन हाईकमान ने साफ कर दिया कि इस साल के अंत में होने वाले जिला और तालुक पंचायत चुनावों से पहले पार्टी में कोई बदलाव नहीं होगा. जानकारों का मानना है कि शिवकुमार अध्यक्ष पद छोड़ना नहीं चाहते, क्योंकि इससे उनकी मुख्यमंत्री बनने की राह कमजोर हो सकती है.

सिद्धारमैया गुट एक्टिव
सिद्धारमैया के करीबी मंत्रियों का एक गुट शिवकुमार को हटाने की मुहिम चला रहा था. उनका तर्क था कि कांग्रेस का नियम है- एक व्यक्ति, एक पद. लेकिन हाल ही में एक हनीट्रैप विवाद ने इस मुहिम को झटका दिया. राजन्ना ने खुद खुलासा किया कि वे उन 48 नेताओं में शामिल थे, जिन्हें इस कथित साजिश का निशाना बनाया गया. इसके बाद यह अभियान ठंडा पड़ गया.

शिवकुमार ने अपने विरोधियों को जवाब देते हुए कहा कि केपीसीसी का पद दुकान में नहीं मिलता, न ही मीडिया में बयान देकर हासिल किया जा सकता है. वे मानते हैं कि नेतृत्व का पद मेहनत से कमाया जाता है. दूसरी ओर, लोक निर्माण मंत्री सतीश जरकीहोली भी अध्यक्ष पद के लिए दावेदारी जता रहे हैं. उन्होंने कहा कि 2024 लोकसभा चुनावों के बाद अध्यक्ष बदलने का लिखित प्रस्ताव एआईसीसी महासचिव केसी वेणुगोपाल के पास है. उनका मानना है कि 2028 के विधानसभा चुनावों से पहले जमीनी स्तर पर पार्टी को मजबूत करने के लिए एक पूर्णकालिक अध्यक्ष जरूरी है.

तनाव नया नहीं
शिवकुमार और सिद्धारमैया के बीच यह तनाव नया नहीं है. दोनों नेता लंबे समय से कर्नाटक कांग्रेस में अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं. शिवकुमार को लगता है कि अध्यक्ष पद उनके लिए एक मजबूत आधार है, जिससे वे भविष्य में मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंच सकते हैं. वहीं, सिद्धारमैया के समर्थक चाहते हैं कि उनकी सत्ता पर पकड़ बनी रहे.

फिलहाल दिल्ली से आए संकेतों ने शिवकुमार को राहत दी है. आने वाले पंचायत चुनाव इस सत्ता संघर्ष का अगला बड़ा इम्तिहान होंगे. अगर शिवकुमार इस दौरान पार्टी को मजबूत करने में कामयाब रहे, तो उनकी स्थिति और मजबूत हो सकती है.

First Published :

April 06, 2025, 08:50 IST

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