Last Updated:May 14, 2025, 22:46 IST
ऑपरेशन सिंदूर की सफलता पर देश जश्न मना रहा है. पीएम मोदी के नेतृत्व में एनडीए सरकार ने मंहगाई दर को काबू में रखा है. अप्रैल 2025 में रिटेल मंहगाई दर 3.16 फीसदी रही, जो पिछले 6 सालों में सबसे कम है.

युद्ध खत्म, महंगाई भी कंट्रोल. (News18)
हाइलाइट्स
ऑपरेशन सिंदूर की सफलता पर देश में जश्न.अप्रैल 2025 में मंहगाई दर 3.16% रही.मोदी सरकार ने मंहगाई दर को काबू में रखा.पूरा देश ऑपरेशन सिंदूर की सफलता पर जश्न मना रहा है. हमारी सेनाओं ने न सिर्फ पाकिस्तान के हमलों को नाकाम किया बल्कि पलटवार भी ऐसा कि बिना उनकी सीमा में घुसे उन्हे ऐसी तबाही का मंजर दिखाया है कि पाकिस्तान के हौसले पस्त हो गए. एक्सपर्ट्स को लग रहा है कि इस ऑपरेशन के कारण मंहगाई बढ़ती चली जाएगी. लेकिन खुशी की लहर देश के इस आंतरिक फ्रंट पर भी है. पीएम मोदी के नेतृत्व में एनडीए सरकार ने ये सुनिश्चित किया है कि मंहगाई न सिर्फ काबू में रहे. सरकार के लिए पीठ थपथपाने के लिए ये अच्छी खबर है कि अप्रैल 2025 मे मंहगाई दर पिछले 6 सालों में सबसे कम रही. मंहगाई के ताजा आंकड़ों के मुताबिक अप्रैल 2025 में रिटेल मंहगाई दर 3.16 फीसदी तक पहुंच गयी. ये जुलाई 2019 से अब तक 6 सालों की सबसे कम मंहगाई दर रही. ये आंकड़े साबित कर रहे है कि मंहगाई धीरे धीरे लगातार नीचे आ रही है.
मंहगाई काबू मे रखने मे यूपीए के दस साल की तुलना में मोदी सरकार अब तक काफी आगे रही
वित्त वर्ष 2024-25 में रिटेल मंहगाई दर 4.6 फीसदी रही. ये 2018-19 के मुकाबले अब तक की सबसे कम मंहगाई दर रही. ये ताजा आंकड़े भी बता रहे हैं कि पिछले तीन सालों में लगातार रिटेल मंहगाई की दर में कमी आ रही है. यूपीए की सरकार के दौर में मंहगाई की दर 10 फीसदी तक जा पहुंची थी. यूपीए के दौर का ये संकट अब मोदी सरकार के लिए चिंता का विषय नहीं रहा है. ये कमाल है पीएम मोदी के सफल गवर्नेंस का और कीमतों को काबू में रखने के लिए पिछले एक दशक में उठायी गयीं उनकी कोशिशों का. 2014 में जब से पीएम मोदी ने सत्ता संभाली है , रिटेल मंहगाई दर 8 फीसदी से आगे नहीं बढ़ी है. इसके विपरित यूपीए के दस साल के शासन काल में 2004-14 तक ये मंहगाई दर औसतन 8.1 फीसदी रही थी और 2009-14 तक ये बढ कर 10.4 फीसदी तक जा पहुंची थी. यूपीए सरकार के दौरान जारी आंकड़ों पर जाएं तो जनवरी 2012 से अप्रैल 2014 तक के 28 में से 22 महीनों मे मंहगाई की दर 9 फीसदी रही और 10 से ज्यादा मंहगाई दर 9 बार से ज्यादा जा पहुंची थी.
खाद्य वस्तुओं की मंहगाई के आंकडों की तुलना करें तो पीएम अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने 1999 से 2004 तक मंहगाई दर पर काबू करते हुए महज 2.2 फीसदी तक सीमित रखी थी. जबकि यूपीए-1 के दौर में 2004-09 में ये 6.5 फीसदी तक जा पहुंची थी और यूपीए-2 के दौरान ये मंहगाई दर 11 फीसदी की उंचाईंयां य़ू रही थी. लेकिन पीएम मोदी नेतृत्व में एनडीए सरकार ने मंहगाई की दर औसतन 5.3 फीसदी तक ही सीमित रखी है. उधर तेल की मंहगाई दर यूपीए-2 के दौर मे 8.9 फीसदी रही तो एनडीए के 2014-24 यानि दस साल के शासन काल मे 4.4 फीसदी तक सीमित रखने में सफल रही.
पीएम मोदी द्वारा शुरु की गयी कल्याणकारी योजनाओं से मिली जनता को मंहगाई से राहत
बीजेपी नेता अमित मालविय ने ट्वीट कर कहा कि मोदी सरकार ने मंहगाई को काबू में रखने के लिए कई कदम उठाएं हैं. कोरोना काल में शुरु हुई पीएम गरीब कल्याण योजना के तहत 80 करोड से ज्यादा लोगों को मुफ्त राशन देने की समयसीमा 2029 तक के लिए बढा दी गयी है. साथ ही भारत ब्रांड ने दालें जनता को उचित कीमतों पर मिले इसके लिए नेफेड, एनसीसीएफ, केन्द्रीय भंडारों के माध्यम से बेचने की शुरुआत भी कर दी है. अक्टूबर 2024 से भारत आटा की एमआरपी 30 रुपये प्रति किलो और चावल 34 रुपये प्रति किलो के भाव से ही आम आदमी तक पहुंचायी जा रही हैं. दालों की कीमतों लेकर बवाल मचता था तो मोदी सरकार ने भारत चना दाल की एमआरपी 70 रुपये प्रति किलो, भारत चना की 58 रुपये प्रति किलो, भारत मूंग दाल 107 रुपये, भारत मसूर दाल 89 रुपये प्रति किलो की एमआरपी पर बेची जा रही है.
प्राईस स्टबिलाईजशन फंड के तह दालों का एक बफर स्टॉक भी सरकार ने रखा है और जब भी जरुर त पड़े इसे बाजार में उतारा जा रहा ताकि इसकी उपलब्धता भी बनी रहे है और खरीददार इन दालों को खरीद पाने में सक्षम रहे.
उधर केन्द्र सरकार ने केन्द्र के कोटे से चावल और गेहूं खुले बाजार में बेचने की योजना के तहत काम कर रही है ताकि ये न सिर्फ बाजार में आसानी से उपलब्ध रहे बल्कि रिटेल कीमतों को भी काबू में रखा जा सके. मोदी सरकार ने एलपीजी सब्सिडी और सीलिंडरों की कीमतों में भी कमी की ताकि उज्जवला योजना के लाभार्थियों के साथ साथ रोजमर्रा इस्तेमाल करने वाले आम आदमी को भी इससे राहत पहुंचे. मार्च 9, 2024 को मोदी सरकार ने गैर सब्सिडी वाले 14.2 किलो के गैस सीलिंडरों की कीमतों मे 100 रुपये की कमी की थी. मार्च 2024 मे ही पीएम मोदी की कैबिनेट ने एक टारगेटेड सब्सिडी योजना के तहत साल 2024-25 में उज्जवला के लाभार्थियों को मिलने वाले 14.2 किलों के सीलिंडरों में 300 रुपये की कमी की थी.
वित्त मंत्रालय ने भी कीमतों की काबू में रखने की पीएम मोदी की मुहिम में बखूबी अपना रोल निभाया. सभी मंत्रालयों से समन्वय कर वित्त मंत्रालय ने कृषि, खाद्य वस्तुएं, तेल, खाद सब्सिडी से लेकर उन तमाम चीजों पर आयात और निर्यात शुल्क लगाते रहे जिनसे आम आदमी पर असर पड़ रहा हो. जहां सब्सिडी की जरुरत रही, वहां वित्त मंत्रालय ने उचित फंड भी जारी किए ताकि कीमतो पर असर नहीं पड़े.
पत्रकारिता में 14 साल से भी लंबे वक्त से सक्रिय हूं. साल 2010 में दैनिक भास्कर अखबार से करियर की शुरुआत करने के बाद नई दुनिया, दैनिक जागरण और पंजाब केसरी में एक रिपोर्टर के तौर पर काम किया. इस दौरान क्राइम और...और पढ़ें
पत्रकारिता में 14 साल से भी लंबे वक्त से सक्रिय हूं. साल 2010 में दैनिक भास्कर अखबार से करियर की शुरुआत करने के बाद नई दुनिया, दैनिक जागरण और पंजाब केसरी में एक रिपोर्टर के तौर पर काम किया. इस दौरान क्राइम और...
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