Last Updated:May 14, 2025, 23:52 IST
Operation Sindoor: भारत के मल्टी लेयर एयर डिफेंस सिस्टम ने ऑपरेशन सिंदूर में कमाल दिखाया है. पाकिस्तानी एयर स्ट्राइक को रोकने में इसने कामयाबी हासिल की. इसकी इनसाइड स्टोरी पढ़ें.

भारत ने पाकिस्तान के सैकड़ों ड्रोन को तबाह किया. (Image:ANI)
हाइलाइट्स
भारतीय मल्टी लेयर एयर डिफेंस ने पाकिस्तानी हमले विफल किए.आकाशतीर और IACCS सिस्टम ने हवाई खतरों को बेअसर किया.प्रधानमंत्री मोदी ने भारतीय सेनाओं की तकनीकी कुशलता की प्रशंसा की.(आकाश शर्मा)
नई दिल्ली. पाकिस्तान ने ऑपरेशन सिंदूर के बाद सीमा पर आक्रामक सैन्य रुख अपनाया. उसने भारत के सीमावर्ती शहरों, जिलों पर ड्रोन से हमला किया तथा भारत के सैन्य ठिकानों को निशाना बनाने की कोशिश की. तो भारतीय सेना ने पाकिस्तान के हवाई खतरों के जवाब में स्थिर और मोबाइल दोनों प्लेटफार्मों को मिलाकर एक मल्टी लेयर एयर डिफेंस तैनात किया. ऑपरेशन सिंदूर के तहत आतंकी ठिकानों को सफलतापूर्वक निशाना बनाने के बाद, पाकिस्तानी सेना ने ड्रोन, मिसाइल, यूएवी भेजे और सीमा पार से गोलाबारी और गोलीबारी की. जिसमें सेना और नागरिक दोनों को निशाना बनाया गया. पाकिस्तानी सेना उन आतंकवादियों को बचाने के लिए कोशिश कर रही थी, जिन्हें भारत ने पहलगाम नरसंहार का बदला लेने के लिए निशाना बनाया था.
सूत्रों ने न्यूज18 को बताया कि पाकिस्तानी हवाई खतरे को विफल करने के लिए देशभर में आकाशतीर और भारतीय वायु सेना के एकीकृत वायु कमान और नियंत्रण प्रणाली (आईएसीसीएस) के कम से कम छह नोड्स एक्टिव किए गए थे. उन्होंने कहा कि ये सिस्टम हवाई क्षेत्र की निगरानी करने, खतरों की पहचान करने और उनसे निपटने की प्रतिक्रियाओं का समन्वय करने के लिए मिलकर काम करते हैं. भारतीय सेना और वायुसेना ने एंटी-एयरक्राफ्ट गन का उपयोग करके महत्वपूर्ण स्थानों पर पॉइंट एयर डिफेंस सिस्टम भी स्थापित किए. इन्हें S-400 जैसी लंबी दूरी की प्रणालियों द्वारा संरक्षित किया गया, जिससे एक मल्टी लेयर एयर डिफेंस सिस्टम बना. सेना के लिए विकसित मोबाइल कमांड और कंट्रोल प्रणाली आकाशतीर को लक्ष्य का पता लगाने, उसे पहचानने और उस पर फैसला लेने में सहायता करने का काम सौंपा गया था.
कई रडार से लिया डेटा
इसमें 3डी टैक्टिकल रडार, लो-लेवल लाइटवेट रडार और आकाश हथियार प्रणाली सहित कई रडार से डेटा एकीकृत किया गया. समन्वित कार्रवाई के लिए यह जानकारी भारतीय वायुसेना के नियंत्रण केंद्रों के साथ साझा की गई. IACCS, जो स्थिर प्रतिष्ठानों से संचालित होता है, रडार इनपुट, सेंसर डेटा और मैनुअल रिपोर्ट को एक आम हवाई तस्वीर बनाने के लिए जोड़ता है. कई मामलों में, आने वाले खतरों को उनके स्रोत पर ही पहचान लिया गया और लक्ष्यों को हिट करने से पहले भारतीय हथियारों द्वारा बेअसर कर दिया गया. विशेष रूप से कम ऊंचाई पर एल-70 और पेचोरा प्रणालियों जैसी पारंपरिक वायु रक्षा तोपों का भी उपयोग प्रतिक्रिया को मजबूत करने के लिए किया गया.
वायु रक्षा प्रणाली चार स्तरों में कार्य करती है
पहली परत में काउंटर-ड्रोन सिस्टम और मैन-पोर्टेबल एयर-डिफेंस सिस्टम शामिल थे, जिन्हें सैन्य भाषा में MANPADS कहा जाता है. दूसरी परत में गन और शॉर्ट-रेंज सिस्टम के साथ पॉइंट एयर डिफेंस शामिल था. रक्षा की तीसरी परत मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल (MRSAM) सिस्टम द्वारा प्रदान की गई थी. रक्षा की अंतिम परत S-400 जैसी लंबी दूरी की मिसाइल प्रणालियों द्वारा प्रदान की गई थी. इससे यह सुनिश्चित हुआ कि पाकिस्तान के हवाई हमलों को भारतीय क्षेत्र में कोई नुकसान पहुंचाए बिना प्रभावी ढंग से विफल कर दिया गया.
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पाक का चीनी सिस्टम ध्वस्त
इसके विपरीत, भारतीय वायु सेना ने पाकिस्तान की चीन द्वारा आपूर्ति की गई वायु रक्षा प्रणालियों को दरकिनार कर दिया और उन्हें जाम कर दिया, तथा मिशन को केवल 23 मिनट में पूरा कर भारतीय सशस्त्र बल की तकनीकी बढ़त का प्रदर्शन किया. लाहौर HQ-9 वायु रक्षा प्रणाली (चीन द्वारा आपूर्ति की गई), तुर्की YIWA ड्रोन और पाकिस्तानी मिसाइलें भारतीय वायु रक्षा को भेदने में विफल रहीं, जबकि भारत ने पाकिस्तान में नौ से अधिक वायु ठिकानों को व्यापक नुकसान पहुंचाया, जिसमें नूर खान वायु ठिकाना भी शामिल था, जो पाकिस्तान वायु सेना (PAF) के सबसे रणनीतिक ठिकानों में से एक है. भारतीय सेनाओं की तकनीकी कुशलता और क्षमताओं की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी प्रशंसा की. उन्होंने बुधवार को पंजाब के आदमपुर एयर बेस में भारतीय वायुसेना के जवानों से मुलाकात की और उनकी बहादुरी के लिए उनका आभार जताया. प्रधानमंत्री ने कहा कि भारतीय सेनाओं ने युद्ध के मैदान में बढ़त हासिल करने के लिए तकनीक और सामरिक दोनों को एक साथ जोड़ दिया है.
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