पाकिस्तान की बदनाम खुफिया एजेंसी है आईएसआई यानि इंटर सर्विसेज इंटैलिजेंस, ये पाकिस्तान की सबसे गुप्त और शक्तिशाली एजेंसी है. ये भारत के खिलाफ हमेशा कुचक्र रचती रहती है. इस काम के लिए वो हर साल 2000 करोड़ से ज्यादा खर्च करती है. बेशक पाकिस्तान की हालत खस्ता हो लेकिन भारत के खिलाफ साजिश रचने में वह अपने लोगों का पेट काटकर आतंकवादियों की जेब भरती है और इस पैसे से उन्हें भारत के खिलाफ खड़ा करती है. पहलगाम में आतंकवादियों ने जिस तरह पर्यटकों पर हमला करके करीब 28 पर्यटकों को मार दिया, उसके बाद फिर ये कहा जाने लगा कि ये पूरी आतंकवादी गतिविधि पाकिस्तान की आईएसआई द्वारा पोषित थी. इस पूरे हादसे के पीछे पाकिस्तान की यही बदनाम एजेंसी है.
आईएसआई की फंडिंग और ऑपरेशन्स पर बहुत कम आधिकारिक जानकारी सार्वजनिक होती है. आईएसआई का बजट पाकिस्तान के कुल डिफेंस बजट का कुछ हिस्सा होता है. ये सीधे पाकिस्तान के प्रधानमंत्री और सेना प्रमुख के अंडर में आता है. 2024-25 में पाकिस्तान का कुल डिफेंस बजट लगभग 1.8 ट्रिलियन पाकिस्तानी रुपये (लगभग 6.5 बिलियन USD) था. इसमें अनुमानित रूप से 15-20% हिस्सा खुफिया एजेंसियों के लिए जाता है.
आईएसआई का वार्षिक बजट 200-300 बिलियन पाकिस्तानी रुपये (लगभग 700-1000 मिलियन USD) के बीच माना जाता है. भारत के खिलाफ आईएसआई का ऑपरेशन लगातार चलता रहता है, जिसे वो “कश्मीर सेंट्रिक स्ट्रैटेजिक ऑपरेशन” कहते हैं, उसके लिए उनके पास अलग से मोटा बजट होता है.
क्या करते हैं भारत के खिलाफ आतंकी बजट से
– आतंकवादी संगठनों (TRF, LeT, JeM आदि) को फंडिंग
– सोशल मीडिया प्रोपेगेंडा
– हैकर्स और साइबर अटैक
– मानव तस्करी व आर्म्स स्मगलिंग
पाकिस्तान की बदनाम खुफिया एजेंसी है आईएसआई, हमेशा भारत के खिलाफ कुचक्र रचती रहती है.
कश्मीर के लिए आतंकी बजट कितने का
कई रिपोर्ट्स के मुताबिक, आईएसआई भारत विरोधी ऑपरेशन्स पर सालाना करीब 150-200 मिलियन USD खर्च करती है. ये भारतीय रुपए में 2000 करोड़ से कुछ कम रकम है. हालांकि कश्मीर में प्रॉक्सी वॉर के लिए 70-80 मिलियन USD का अलग फंड होता है.
इन खर्चों का ज्यादातर हिस्सा ब्लैक फंड्स से आता है, जो नॉर्मल डिफेंस बजट में मेंशन नहीं होता. इसके लिए आईएसआई हेरोइन, आर्म्स स्मगलिंग और मिडल ईस्ट व खाड़ी देशों में पाकिस्तानी डोनर्स से डोनेशन भी जुटाती है.
ये पैसे कैसे खर्च किए जाते हैं
– एलओसी पर टेरर लांच पैड्स की मेंटेनेंस
– ड्रग्स और हथियारों की तस्करी
– भारत में स्लीपर सेल्स को फंडिंग
– सोशल मीडिया पर फेक न्यूज और हेट प्रोपेगेंडा फैलाना
– हवाला चैनल्स के ज़रिए पैसों की सप्लाई
कैसे बना दुनिया का सबसे कुख्यात संगठन
80 के दशक में जब अमेरिका की जासूसी एजेंसी सीआईए ने अफगानिस्तान में सोवियत संघ की फौजों को खदेड़ने के लिए वहां तालिबानियों और अलकायदा जैसे आतंकी संगठनों को तैयार करना शुरू किया तो उसके इस काम में सबसे ज्यादा काम आया पाकिस्तान का आईएसआई, जो अब दुनिया का सबसे कुख्यात संगठन बन चुका है.
सीआईए से सीखे तरीके अब भारत के खिलाफ
सीआईए के साथ आईएसआई ने जो तौरतरीके सीखे. अब उसका इस्तेमाल वो भारत में आतंक की फौज खड़ी करने से लेकर दहशत फैलाने की साजिश रचने में लगातार करता रहता है. भारत में हुए हर आतंकी हमले के पीछे ना केवल उसका हाथ होता है बल्कि हर आतंकी संगठन को उसी की देखरेख में सीमा पार तैयार किया जाता है.
पाकिस्तान बनने के एक साल बाद बना आईएसआई
आईएसआई का पूरा नाम इंटर सर्विसेज इंटैलिजेंस है. पाकिस्तान बनने के एक साल बाद ही इसकी स्थापना हुई. लेकिन 80 के दशक तक ये आमतौर पर ढीली ढाली गुप्तचर एजेंसी के तौर पर जानी जाती थी. हालांकि पाकिस्तानी इलाकों से भारत में कई बार हुई कबायली हमलों के पीछे यही संगठन रहा था लेकिन 1971 के युद्ध में पाकिस्तान सेना के साथ आईएसआई के दांत टूट चुके थे. इसे इसके बाद फिर नए सिरे से खड़ा किया गया.
इसके पंजों को पैना बनाने और आतंकी नेटवर्क जैसी साजिश रचने का काम मुख्य तौर पर अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए ने तब सिखाया, जब अफगानिस्तान में सोवियत फौजें डटी हुईं थीं. अमेरिका आतंकी संगठनों का एक नेटवर्क खड़ा कर छदम युद्ध के जरिए उन्हें मात देना चाहता था.
दुनिया की सबसे मक्कार एजेंसियों में एक
ये खेल करीब दो दशक तक चला. इतने समय में सीआईए ने आईएसआई को इतना पारंगत कर दिया कि अब वो दुनिया की सबसे मक्कार और कुख्यात एजेंसी बन चुकी है. उसने सीआईए के साथ मिली ट्रेनिंग और खाड़ी देशों से मिलने वाली इस्लामी फंड के जरिए भारत में पिछले दो दशकों में आतंकवाद की पूरी फसल खड़ी कर दी है, जो कश्मीर में लगातार सक्रिय रहती है.
भारत में हर आतंकी हमले के पीछे है ये
ये हकीकत है कि पिछले दो दशकों में भारत में जो भी आतंकी हमले हुए हैं, उन सब की साजिश और रणनीति के पीछे आईएसआई का हाथ रहा है. जिसे भारत पर होने वाले ना केवल हर आतंकी हमले की जानकारी रहती है बल्कि वो सक्रिय तौर पर इसमें भूमिका भी निभाता है.
किस तरह रचता है कुचक्र
माना जाता है कि ये पाकिस्तानी एजेंसी स्टाफ के मामले में दुनिया की सबसे बड़ी खुफिया एजेंसी है. लगता नहीं है कि उसके पास फंड की कमी है. खासकर एशियाई देशों में कुचक्र रचने के लिए वो बड़े पैमाने पर स्थानीय लोगों को पैसा देकर फुसलाती है. फिर उनसे आतंक से लेकर खुफिया जानकारियां लेने के तमाम काम करती है.
पाकिस्तानी सेना का हिस्सा
आमतौर पर आईएसआई में बड़े पैमाने पर पाकिस्तानी सेना से ही अफसर आते हैं. एक तरह से वो पाकिस्तानी सेना का ही एक हिस्सा माना जाता रहा है. उसके प्रमुख की नियुक्ति से लेकर आपरेशंस तक में पाक सेना का खास रोल रहता है. इसका नाम ही इंटर सर्विसेज इसलिए रखा गया था ताकि उसमें पाकिस्तानी सेना के तीन अंग यानि आर्मी, एयरफोर्स और नेवी के अफसरों को रखा जा सके.हालांकि पिछले कुछ सालों से इस संस्था की क्षमता बढाने के लिए पाकिस्तान के कई अलग सरकारी विभागों से भी लोग इसमें नियुक्त किए जाने लगे हैं.
कौन होता है इसका प्रमुख
आईएसआई का हेड पाकिस्तानी सेना का जनरल रैंक का कोई अधिकारी ही होता है. उसके नीचे तीन डिप्टी होते हैं, जो तीन अलग विंग की अगुवाई करते हैं. ये तीन विंग इंटरनल विंग, एक्सटर्नल और फॉरेन रिलेशन विंग हैं. फिलहाल आईएसआई के हेड लेफ्टिनेंट जनरल असीम मलिक है, जो लंबे समय तक पाकिस्तानी सेना का हिस्सा रह चुका है.
ये विंग तैयार कराता है आतंकी
आईएसआई के एक्सटर्नल और फॉरेन रिलेशन विंग सीमापार कश्मीर में आतंकवादियों के संगठन तैयार करने से लेकर उन्हें ट्रेनिंग, पैसा और हथियार देने का काम करते हैं. भारत के किसी भी आतंकवादी हमले में इन दोनों विंग्स की भूमिका खास रहती है.
हालांकि इन तीनों विंगों को आठ डिविजन में बांटा गया गया है. इसमें ज्वाइंट इंटैलिजेंस नार्थ सीधे सीधे जम्मू-कश्मीर और अफगानिस्तान में आतंकवादियों की फसल तैयार करता है. विशेषज्ञों का मानना है कि आईएसआई आतंकवाद संचालन बेल्ट की तरह काम को अंजाम देता रहता है.
लगातार आतंकी गुटों को शह
इन दोनों विंग्स की कोशिश रहती है कि भारत और खासकर कश्मीर में लगातार अस्थिरता बनाकर रखी जाए. इसलिए वो लगातार आतंकी गुटों को अपने जरिए शह देने का काम करते रहते हैं. भारत और अफगानिस्तान में गड़बड़ी फैलाने वाले आतंकवादी ग्रुप्स को नई नई ट्रिक्स सिखाने के साथ नए तरह के
भारत हमेशा से रहा है निशाना
थिंक टैंक ग्लोबल सेक्यूरिटी रिव्यू ने कुछ साल पहले आईएसआई पर एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी. इस रिपोर्ट के अनुसार आईएसआई हमेशा इस कोशिश में रहती है कि उसके दो पड़ोसियों भारत और अफगानिस्तान में बड़ी आतंकी गतिविधियां होती रहें-क्योंकि इससे उसके अपने सुरक्षा हित सधते हैं.
अफगानिस्तान में आईएसआई ने तीन बड़े आतंकी सगंठन तैयार किए, इसमें हक्कानी नेटवर्क, अफगान तालिबान और अलकायदा शामिल थे. हालांकि अब ये सभी पाकिस्तान को ही आंख दिखाने लगे हैं और उसके हाथ से निकल चुके हैं.
वहीं भारत को पाकिस्तान बंटवारे के बाद से अपना दुश्मन मानता आया है. कश्मीर में वो हमेशा गड़बड़ी फैलाने की कोशिश में लगा रहता है. इसलिए हर कुछ समय के बाद आईएसआई की मदद से सशस्त्र घुसपैठियों को भारत में घुसाया जाता है. अब तो वो कश्मीरी युवाओं को जिहाद के नाम पर अपनी ओर खींचने में सफल हो रहा है.
प्रॉक्सी वार पाकिस्तान की फॉरेन पॉलिसी का अंग
अब सारी दुनिया मानने लगी है कि आईएसआई के जरिए पाकिस्तान अपने पडोसी देशों के साथ प्रॉक्सी वार चलाता रहता है. इस इंटैलिजेंस एजेंसी के जरिए आतंकवादी संगठनों का इस्तेमाल एक तरह से पाकिस्तान की फॉरेन पॉलिसी का अंग बन चुका है.
माना जाता है कि 1990 के दशक में आईएसआई का सबसे खास काम जिहादियों को तैयार करना बन गया. मुंबई में वर्ष 2008 में हुए अटैक के पीछे लश्कर ए तैयबा का हाथ था, जिसके नजदीकी रिश्ते आईएसआई से थे. हाल ही में कश्मीर में आतंकवादी गतिविधियां करने में आगे दीख रहे जैश ए मोहम्मद को खड़ा करने से लेकर फंडिंग तक में इसी कुख्यात एजेंसी का हाथ है. हिज्बुल मुजाहिदीन को भी आईएसआई ने खड़ा किया था ताकि वो उस जम्मू कश्मीर लिब्रेशन फ्रंट की काट कर सके, जो आजाद कश्मीर की मांग करता था.
वो बड़े आतंकी दल जो आईएसआई ने खड़े किए
– लश्कर ए तैयबा
– जैश ए मोहम्मद
– हिज्बुल मुजाहिदीन
– अल बदर
– अल कायदा
– हरकत उल मुजाहिदीन
– हक्कानी नेटवर्क
– अफगान तालिबान
– अब उसके द्वार तैयार आतंकी दल द रेजिस्टेंस फ्रंट है, जिसने पहलगाम में पर्यटकों की हत्या की
80 के दशक में किसने कराई शुरुआत
1984 में जब पाकिस्तान के राष्ट्रपति जनरल जिया उल हक बने तो उन्होंने आईएसआई के साथ मिलकर आतंकवादियों की फौज तैयार करने की साजिश पर काम करना शुरू किया. फिर जनरल परवेज मुशर्रफ ने इसे गति दी.
किस तरह एशियाई देशों में हैं आईएसआई के एजेंट
-दूतावासों में
– मल्टीनेशनल संगठनों में
– गैर सरकारी संगठनों और सांस्कृतिक प्रोग्राम्स के दल के रूप में
– मीडिया प्रतिनिधि के रूप में
एशिया में किन देशों में सक्रिय
एशिया के तकरीबन सभी देशों में आईएसआई जानकारियां जुटाने और अपने आपरेशंस के जरिए सक्रिय है, मुख्य तौर पर ये देश हैं-नेपाल, अफगानिस्तान, भारत, बांग्लादेश, श्रीलंका, ईरान.