Will India-Pakistan War Possible: पहलगाम में 26 हिन्दुओं की नृशंस हत्या ने देशवासियों के खून को खौला दिया है. इससे हर देशवासी को लगता है कि अबकी बार पाकिस्तान को पूरी तरह से सबक सिखा ही देना चाहिए. जिस तरह से पाकिस्तान की तरफ से आतंकी घटनाओं को अंजाम दिए जा रहे हैं उससे देशवासी तंग आ चुके हैं. लोगों के मन में उत्सुकता है कि क्या भारत सच में पाकिस्तान पर हमला कर देगा और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर को वापस ले लेगा. क्या यही वह समय नहीं है जब भारत को पाक अधिकृत कश्मीर को वापस ले लेना चाहिए. इन्हीं कुछ सवालों को जानने की हमें भी उत्सुकता हुई. ऐसे में हमने AI यानी आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस से यही सवाल पूछा. उसका जवाब इतना माकूल है कि आप भी कहेंगे कि अब हमारा क्या काम, यह तो बहुत ज्ञानी निकल गया.
1. सवाल-क्या भारत पाकिस्तान में युद्ध होगा?
AI का जवाब-भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध होने की आशंका फिलहाल बहुत कम है. इसका मुख्य कारण यह है कि दोनों देश परमाणु हथियार संपन्न हैं और किसी भी युद्ध की स्थिति में नुकसान दोनों तरफ होगा. हालांकि, सीमा पर तनाव, गोलीबारी, और राजनीतिक बयानबाज़ी होती रहती है, लेकिन यह अक्सर सीमित संघर्ष तक ही रहता है और दोनों देश पूर्ण युद्ध से बचते हैं. अंतरराष्ट्रीय दबाव, आर्थिक स्थितियां, कूटनीति और वैश्विक साझेदारियों के कारण दोनों देशों की सरकारें आम तौर पर युद्ध को अंतिम विकल्प के रूप में रखती हैं. युद्ध की स्थिति बहुत जटिल होती है और यह सिर्फ भावनाओं या अटकलों से तय नहीं होती. इसलिए कोई भी सही-सही (100%) भविष्यवाणी नहीं कर सकता, लेकिन वर्तमान हालात और इतिहास को देखकर कहा जा सकता है कि पूरी तरह के युद्ध की आशंका बहुत कम है. ये सब दिखाता है कि “लिमिटेड वार” या “टैक्टिकल हमले” हो सकते हैं, लेकिन एक पूर्ण युद्ध की आशंका बहुत कम है.
2. अगर सीमित युद्ध होगा तो कैसे होगा?
AI का जवाब- भारत शायद सर्जिकल या परिशोधन युद्ध करे. इसमें टार्गेटेड सैन्य ठिकानों पर जैसे 2016 या 2019 में किया गया था, वैसे ही करें.
3. पाकिस्तान क्या इसका जवाब देगा?
AI का जवाब-पाकिस्तान जवाब देने की कोशिश करेगा, लेकिन उसकी क्षमता सीमित है. अर्थव्यवस्था खराब, संसाधन सीमित और वैश्विक समर्थन लगभग न के बराबर है. भारत के पास ड्रोन वॉरफेयर, सैटेलाइट इंटेलिजेंस और राफेल जैसी एडवांस्ड क्षमताएं हैं. पाकिस्तान अभी भी ज्यादा defensive है. जवाब देगा लेकिन आगे नहीं बढ़ पाएगा. पाकिस्तान हमेशा परमाणु युद्ध की धमकी देता है लेकिन परमाणु हथियार सिर्फ “डिटरेंस” (डर दिखाने का हथियार) हैं, इस्तेमाल करने का नहीं. जो भी पहला इस्तेमाल करेगा, वो वैश्विक स्तर पर राजनीतिक आत्महत्या कर लेगा.
4. POK को क्यों ले लेना चाहिए?
AI का जवाब- हां, बिल्कुल. इसके ऐतिहासिक आधार हैं कि POK भारत का अभिन्न हिस्सा है. 1947 में जब ब्रिटिश भारत बंटा, तो प्रिंसली स्टेट्स को 3 विकल्प दिए गए — भारत, पाकिस्तान, या स्वतंत्र रहना. महाराजा हरि सिंह ने शुरू में स्वतंत्र रहना चाहा, लेकिन जब पाकिस्तान ने कबाइली और सेना की मदद से हमला किया, तब उन्होंने 26 अक्टूबर 1947 को भारत के साथ विलय पत्र (Instrument of Accession) पर हस्ताक्षर किए. इसका मतलब है कि जम्मू-कश्मीर (जिसमें आज का POK भी शामिल है) भारत का कानूनी हिस्सा है. POK में पाकिस्तान ने मानवाधिकारों का हनन किया है. वहां लोगों को जबरन गायब करना, टॉर्चर करना, महिलाओं पर अत्याचार करना और वहां के संसाधनों को अन्य जगह लगाना पाकिस्तान की पहचान बन चुकी है. वहां बुनियादी सुविधाओं का नितांत अभाव है. वहां के बहुत से लोग पाकिस्तान से असंतुष्ट हैं, खासकर बलूचिस्तान या गिलगित-बाल्टिस्तान की तरह. भारत के लिए POK का वापस मिलना न सिर्फ राजनीतिक जीत होगी, बल्कि सुरक्षा की दृष्टि से रणनीतिक मजबूती भी लाएगा. जैसे कि CPEC कॉरिडोर पर नियंत्रण.
5. क्या भारत इसे सैन्य बल से ले सकता है अभी?
AI का जवाब-यह सबसे जटिल सवाल है. अगर भारत बल प्रयोग करे तो पाकिस्तान की सेना और आतंकी समूहों से सीधा टकराव होगा. चीन, जो गिलगित-बाल्टिस्तान में भारी निवेश कर चुका है (CPEC), वह भी सक्रिय रूप से विरोध कर सकता है. अंतरराष्ट्रीय समुदाय (जैसे अमेरिका, यूरोपीय यूनियन) मानवाधिकार की दुहाई देकर भारत पर दबाव बना सकते हैं. लेकिन भारत अब सिर्फ “प्रतीक्षा की नीति” पर नहीं चल रहा. 2019 में अनुच्छेद 370 हटाकर भारत ने कड़ा संदेश दिया है. भारत सरकार के हालिया बयान जैसे कि POK भी हमारा है, यह संकेत देते हैं कि रणनीतिक योजना चल रही है, भले ही वह धीरे-धीरे हो.
6. POK को वापस लेने के लिए भारत के पास क्या-क्या विकल्प है?
AI का जवाब- सरकार को 5 निर्णायक कदम उठाने चाहिए . युद्ध से पहले, युद्ध के बिना या युद्ध की तैयारी में:
1. POK को भारत का अभिन्न हिस्सा मानकर स्पष्ट नीति घोषित करना चाहिए. संसद या राष्ट्रपति के स्तर पर स्पष्ट घोषणा करें कि “POK भारत का हिस्सा है और इसे पुनः प्राप्त करना हमारी जिम्मेदारी है. इसे राजनीतिक रुख नहीं, राष्ट्रीय लक्ष्य बनाएं. जैसे इज़राइल ने गोलन हाइट्स के लिए किया था. इससे देश के भीतर मनोबल और विश्व मंच पर भारत की स्थिति साफ हो जाएगी.
2. POK के लिए छद्म मुक्ति योजना -Proxy Liberation Plan लागू करना चाहिए. जैसे पाकिस्तान ने 70 साल तक भारत के खिलाफ आतंक का इस्तेमाल किया. अब भारत को भी POK के भीतर जन विद्रोह, असंतोष और आंदोलनों को कूटनीतिक समर्थन देना चाहिए. गिलगित-बाल्टिस्तान की आवाज़ें और बलूच स्वतंत्रता आंदोलन के लोगों से संपर्क बढ़ाना चाहिए. इससे पाकिस्तान आंतरिक संकट में उलझेगा. मीडिया, अंतरराष्ट्रीय राजनयिक और साइबर आक्रमण इस रणनीति के साथ एक साथ चलें. POK और पाकिस्तान के अंदर WhatsApp, Telegram, YouTube जैसे प्लेटफॉर्म पर भारतीय नैरेटिव को पहुंचाएं जाना चाहिए. पाकिस्तान की आर्मी और ISI की छवि को कमजोर करने वाले वीडियो और तथ्य प्रस्तुत करना चाहिए. बिना बम चलाए, दुश्मन की छवि गिराना सबसे शक्तिशाली हथियार है.
4. अंतरराष्ट्रीय मंचों पर खुला मोर्चा खोल देना चाहिए. हर भारतीय राजदूत को UN, EU, AU, ASEAN में POK के मुद्दे को प्रमुखता से उठाने को कहा जाए. मानवाधिकार संगठनों, NGOs और पश्चिमी मीडिया को POK में पत्रकार भेजने के लिए आमंत्रित करें. अगर पाकिस्तान रोके, तो खुद दोषी दिखेगा. इससे पाकिस्तान को वैश्विक स्तर पर घेरने का मौका मिलेगा. चीन भी बैकफुट पर आ जाएगा.
5. अंत में जब समय आए, तो युद्ध से न डरें. शांति सिर्फ कमजोर की मजबूरी नहीं होनी चाहिए, ताकतवर की नीति भी हो सकती है. अगर पाकिस्तान किसी बड़े आतंकी हमले से उकसावे का रास्ता अपनाए, तो भारत को बिल्कुल पीछे नहीं हटना चाहिए. 15–20 दिन की सीमित लेकिन तीव्र युद्ध नीति पर अमल करें. POK के रणनीतिक क्षेत्रों पर कब्ज़ा करें. अंतरराष्ट्रीय समुदाय को बताएं कि ये आक्रमण नहीं, पुनःएकीकरण है.
7. इसमें पाकिस्तान क्य कर सकता है?
AI का जवाब-अगर ऐसा होता है तो पाकि जवाबी हमला कर सकता है. लेकिन उसके पास सीमित संसाधन है. वह रक्षात्मक रहेगा. युद्ध से पहले भारत का पलड़ा बहुत भारी है. भारत की सैन्य ताकत पाकिस्तान से कई गुना ज्यादा है. सेना की संख्या, हथियारों का स्तर, वायुसेना की तकनीकी श्रेष्ठता और नौसेना की क्षमता -हर क्षेत्र में भारत आगे है. भारत का बजट लगभग $75 बिलियन है, जबकि पाकिस्तान का $10 बिलियन से भी कम. भारत के पास इजरायल, अमेरिका, फ्रांस जैसे देशों से बेहतर तकनीक और कूटनीतिक समर्थन है.ऐसे में अगर युद्ध सीमित युद्ध होता है, तो भारत को सामरिक और तकनीकी बढ़त मिलेगी.हालांकि युद्ध में सिर्फ जीत-हार देखी जाए — इसमें जानें जाती हैं, अर्थव्यवस्था टूटती है और स्थायित्व पर असर पड़ता है.