पटना. …हमेशा से हम व्याकुल रहे कि तेजस्वी जी के साथ, जो हमारे अर्जुन हैं… उनके कार्यक्रम में जाएं, लेकिन वह पहले से ही हेलिकॉप्टर से उड़ जाते थे और हम रह जाते थे जमीन पर… 13 मई 2019 को एक चुनावी मंच पर जब दोनों भाई साथ थे तो तेज प्रताप यादव ने सामने ही तेजस्वी यादव के सामने ही अपनी यह टीस जाहिर की थी. इसी वर्ष इस वक्तव्य से एक महीने पहले 28 मार्च को न्यूज़ 18 से बात करते हुए तेज प्रताप यादव ने स्पष्ट तौर पर कहा था कि, वह तेजस्वी को सुझाव भर देने की ही हैसियत रखते हैं न कि कोई निर्णायक भूमिका की. इन दोनों ही वक्तव्यों के दिये अब 6 वर्ष से अधिक हो गए और बिहार में राजनीति का पूरा सीन भी बदल गया है. आरजेडी में लालू यादव की जगह पर तेजस्वी यादव काबिज हो चुके हैं यह स्पष्ट है, मगर तेज प्रताप यादव कहां हैं, उनकी भूमिका क्या है? आखिर तेज प्रताप यादव ने ऐसा क्या किया है जो उनकी चर्चा एक बार फिर सियासी गलियारों में होने लगी है और उनकी राजद में भूमिका को लेकर सवाल उठ रहे हैं.
बता दें कि तेज प्रताप यादव हमेशा ही तेजस्वी यादव के साथ खड़े रहने की बात करते हैं और वह कई मौकों पर ऐसा करके दिखाते भी रहे हैं. लेकिन, कभी-कभार उनके मन की कसक भी जाहिर हो जाती है. दरअसल, बिहार की राजनीति के गलियारों में यह आम तौर पर कहा जाता है कि लालू यादव का असली अक्स (छवि या इमेज) तो तेज प्रताप यादव में ही दिखता है. उनके हाव-भाव, उनकी शैली, उनका बिंदासपन और भदेसपन से लेकर तमाम वो बातें जिसके बल पर लालू यादव आम लोगों के बीच अति लोकप्रिय रहे, तेज प्रताप यादव उस अंदाज को फॉलो करते दिखते हैं. कई बार वह उनकी नकल भी करते हैं और मीडिया की सुर्खियों मं आ जाते हैं. हालांकि, राजनीति के जानकार इसे अलग नजरिये से देखते हैं और कहते हैं कि इस दौरान तेज प्रताप यादव अपने खास अंदाज में कुछ मैसेज भी देते दिखते हैं और यह नकल एक विशेष सियासी संदेश देने की कोशिश भी होती है. अब वर्तमान संदर्भ से जुड़े मुद्दे पर आते हैं.
तेज प्रताप यादव के पोस्ट का स्क्रीन शॉट. पिता के अक्स का असली हकदार होने का दावा!
तेज प्रताप यादव का लालू यादव वाला अंदाज!
दरअसल, जब जातिगत जनगणना कराने की घोषणा केंद्र सरकार ने की तो एक बार फिर तेज प्रताप यादव का लालू यादव वाला अंदाज सामने आ गया और उन्होंने इसे सोशल मीडिया के माध्यम से जाहिर भी किया. बात एक तस्वीर की हो रही है जो तेज प्रताप यादव ने सोशल मीडिया में शेयर किया है और इससे सियासी मायने तलाशे जा रहे हैं. इस तस्वीर में में लालू प्रसाद यादव साइकिल चलाते हुए दिख रहे हैं और पटना सचिवालय के आसपास का यह दृश्य है. वहीं, इसी पोस्ट में दूसरी तस्वीर भी है जिसमें साइकिल चलाते हुए तेज प्रताप यादव नजर आ रहे हैं और इन दोनों की तस्वीरों को तेज प्रताप यादव ने शेयर किया है. ऐसे में इस तस्वीर के सियासी मायने तलाशे जा रहे हैं कि आखिर जातिगत जनगणना के फैसले के मौके पर तेज प्रताप ने लालू यादव के अंदाज वाली तस्वीर क्यों पोस्ट की.
लालू यादव के साथ शेयर की तेज प्रताप की तस्वीर
बता दें कि सचिवालय वह स्थान है जहां मुख्यमंत्री समेत तमाम मंत्रियों के कार्यालय होते हैं. यहीं से शासन चलता है और शासनादेश भी यहीं से आते हैं. इसी सचिवालय की ओर जाते हुए लालू यादव की तस्वीर और इसके साथ तेज प्रताप यादव भी साइकिल चलाते हुए जाते हुए कुछ सियासी संदेश भी दे रहे हैं. सिर पर हरी गमछी, हरी टोपी(राजद के कार्यकर्ताओं का सिंबल बन गया है) उसको पहन कर जाते हुए फोटो के साथ उन्होंने इस मौके पर कोट करते हुए लिखा, 29 साल पहले जनता दल के नेतृत्व वाली संयुक्त मोर्चा की समाजवादी सरकार के केंद्रीय कैबिनेट द्वारा जातिगत जनगणना के निर्णय को पलटने वाली NDA सरकार को दुबारा उस निर्णय पर निर्णय लेने के लिए बाध्य करने वाले आदरणीय लालू जी समेत सभी समाजवादियों की जीत पर पटाखा फोड़ सामाजिक न्यायवादियों को बधाई दी.
जातिगत जनगणना पर केंद्र सरकार के फैसले को अपनी जीत बताते हुए सेलिब्रेट करते हुए तेजस्वी यादव और अन्य राजद नेता.
लालू यादव को फॉलो करे वाले अब पिछले पायदान पर
दरअसल, केंद्रीय सरकार के जातीय जनगणना कराने के निर्णय को लेकर तेजस्वी यादव ने राजद के नेताओं और कार्यकर्ताओं के साथ पटाखा फोड़कर सेलिब्रेट किया और इसे अपनी उपलब्धि बताया. वहीं, इसको लेकर तेज प्रताप यादव ने भी सोशल मीडिया पोस्ट किया और लालू यादव के साथ अपनी साइकिल चलाने वाली तस्वीर पोस्ट कर अपनी उपस्थिति का अहसास कराने की कोशिश की. राजनीति के जानकार इसे लालू यादव के बड़े बेटे की उस कोशिश से जोड़कर देखते हैं जिसके तहत अपनी ही पारटी राजद में अभी वह किनारे खड़े दिखते हैं, लेकिन वह लाइम लाइट में रहने की इच्छा रखते हैं. वहीं, वरिष्ठ पत्रकार रवि उपाध्याय इस स्थिति को अपने दृष्टिकोण से बयां करते हुए कहते हैं, आरजेडी अब तेजस्वी यादव की हो गई है और लालू यादव जी को जो फॉलो करते हैं वह पीछे पायदान पर हैं. अब सच्चाई भी यही है. अब तो पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक भी तेजस्वी यादव ही करेंगे और अब सभी शक्ति उन्हें ही निहित है.लालू यादव के बड़े लाल अपने आपको कहां पाते हैं यह साफ दिखता है.
राजद की फुल कमान अब लालू प्रसाद यादव के छोटे बेटे तेजस्वी यादव के हाथ में है.
राजद की बदली राजनीतिक युग में तेजस्वी बने सिरमौर!
रवि उपाध्याय कहते हैं कि बदले दौर में राजद की राजनीति भी बदली है और तेजस्वी यादव ने इसकी सूरत भी बदलने की भरपूर कवायद की है. लालू यादव के चाहने वाले आगे की पंक्ति में कहीं नहीं दिखते हैं और वे पीछे किसी पंक्ति में भी हैं कि नहीं यह बड़ा सवाल है.रवि उपाध्याय कहते हैं राजद की चमक-धमक राजनीति में भी लालू से बड़े लाल कहीं नहीं दिखाई पड़ते हैं. निर्णायक मंडल में भी कहीं इनका ठिकाना नहीं है. एनडीए के लोग भी अक्सर इस बात को कहते हैं कि लालू यादव के बड़े लाल को राजद में साइड कर दिया गया है. हालांकि, लाइम लाइट में रहने की उनकी इच्छा कम नहीं रहती है और लगातार वह कुछ न कुछ ऐसा करते हैं कि सुर्खियों में आते हैं. लेकिन, राजनीति सुर्खियों में रहने से नहीं, बल्कि संगठन की शक्ति के साथ होने से आगे बढ़ती है जिसकी कमान अब पूरी तरह से तेजस्वी यादव के हाथों में है.
तेजस्वी यादव के लिए बदला गया आरजेडी का संविधान!
गौरतलब है कि बीते 18 जनवरी को पटना में राष्ट्रीय जनता दल की राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक में पार्टी की सारी कमान तेजस्वी यादव को सौंपने पर सर्वसम्मति से फैसला लिया गया था.हालांकि, लालू प्रसाद यादव राष्ट्रीय अध्यक्ष बने रहेंगे, लेकिन रिमोट कंट्रोल तेजस्वी यादव के हाथों में है क्योंकि आरजेडी पार्टी के संविधान की धारा 35ए में बदलाव करते हुए तेजस्वी को अब राष्ट्रीय अध्यक्ष के बराबर दर्जा दिया गया था. जाहिर है, लालू प्रसाद यादव अध्यक्ष तो हैं, लेकिन अब वह सीन से लगभग गायब हैं. ऐसे में अब पार्टी की बागडोर तेजस्वी यादव के हाथों में है. चुनाव में उम्मीदवारों को सिंबल देने का अधिकार भी तेजस्वी के पास ही है.बता दें कि यह काम पहले राष्ट्रीय अध्यक्ष के पास होता था, लेकिन अब यह अधिकार तेजस्वी यादव के पास भी है और आरजेडी से संबंधित सभी बड़े फैसले के साथ चुनाव में सिंबल जारी करने का अधिकार भी उनके पास है.
राजनीति के जानकार बताते हैं कि लालू यादव और राबड़ी देवी की सक्रियता तक ही तेज प्रताप यादव राजद की मेन लाइन में दिखेंगे.
जब तक लालू यादव और राबड़ी देवी तब तक विरासत ही बात
वहीं, वरिष्ठ पत्रकार अशोक कुमार शर्मा कहते हैं कि राजद ने खुद को बदने की कोशिश की है और इसमें लालू प्रसाद यादव का भी तेजस्वी यादव को आशीर्वाद प्राप्त है. हाल में ही जब लालू यादव ने नीतीश कुमार का नाम लेकर महागठबंधन में आने का ऑफर दिया था तो तेजस्वी यादव ने अगले दिन ही इसका खंडन कर दिया था और यही बात लागू भी हुई, यह सभी जानते हैं. जाहिर है अब राजद में लालू यादव की नहीं, बल्कि तेजस्वी यादव का युग है. हालांकि, लालू यादव के बड़े बेटे होने गौरव अभी भी तेज प्रताप यादव के साथ है और अपने आपको प्रासंगिक बनाए रखने की उनकी कोशिश भी लगातार रहती है और खुद को जनता की नजरों में लाने के लिए जतन करते रहते हैं. वहीं, अशोक कुमार शर्मा कहते हैं कि यह भी हकीकत है जो आने वाले समय में दिखेगा कि जब तक लालू यादव और रबड़ी देवी राजनीति की मुख्य धारा से जुड़े हुए दिखते रहेंगे तभी तक लालू यादव के बड़े बेटे की चर्चा भी होती रहेगी. लेकिन लालू यादव और राबड़ी देवी के निष्क्रिय होने के बाद…इसका जवाब भविष्य देगा.