पाक की मिसाइलें भारत को छू भी नहीं सकतीं, ये हैं हमारे 4 किलर डिफेंस सिस्टम

13 hours ago

दो दुश्मन और दोनों परमाणु ताकतवर—भारत की भू-राजनीतिक हकीकत कोई साधारण चुनौती नहीं है. जब आपकी सरहदें दो परमाणु शक्तियों से घिरी हों, तो नींद भी चौकन्नी रखनी पड़ती है. इन दोनों देशों के साथ भारत के संबंध अक्सर तनावपूर्ण रहे हैं, और सीमा पर हालात कभी भी पूरी तरह से स्थिर नहीं कहे जा सकते. ऐसे में यह ज़रूरी हो जाता है कि भारत हर समय चौकस रहे और अपनी रक्षा प्रणाली को न केवल तकनीकी रूप से मजबूत बनाए, बल्कि उसे हर परिस्थिति में तुरंत प्रतिक्रिया देने के लिए भी तैयार रखे. खासकर एयर डिफेंस सिस्टम की भूमिका यहां सबसे अहम हो जाती है, क्योंकि किसी भी संभावित मिसाइल या हवाई हमले को नाकाम करना समय की सबसे बड़ी ज़रूरत है. भारत को आसमान से आने वाले हर खतरे के लिए पूरी तरह तैयार रहना होगा.

परमाणु मिसाइल? अब नहीं बच पाएगी!
आज के दौर में जंग का पहला वार आसमान से होता है, और उसका जवाब भी चंद सेकंडों में देना पड़ता है. ऐसे हालात में यह ज़रूरी हो जाता है कि हमारा एयर डिफेंस इतना तेज़ और सटीक हो कि दुश्मन की कोई भी चाल नाकाम हो जाए. बात सिर्फ फाइटर जेट या ड्रोन गिराने तक सीमित नहीं है, असली चुनौती उनकी मिसाइलों को—खासतौर पर परमाणु मिसाइलों को—उड़ान भरते ही पहचान कर तबाह करना है.

भारत इस चुनौती के लिए तैयार है—हमारे पास चार-स्तरीय एयर डिफेंस सिस्टम मौजूद है, जो अलग-अलग ऊँचाई और दूरी से आने वाले खतरे को पहचानकर उसका जवाब देने की क्षमता रखता है. यही वो ताकत है जो भारत को सुरक्षित बनाती है.

एयर डिफेंस: हर रेंज में अजेय!
भारत का एयर डिफेंस सिस्टम दुनिया के सबसे सशक्त प्रणालियों में से एक है, जो कई स्तरों पर सुरक्षा प्रदान करता है. यह मल्टी-लेयर अप्रोच सुनिश्चित करता है कि देश हर प्रकार के हवाई खतरे से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है. लंबी, मध्यम और छोटी दूरी के सिस्टम्स के संयोजन से भारत के पास हर हालात में दुश्मन को जवाब देने की ताकत है.

1. टू-टियर – बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस सिस्टम (BMD)
यह एक अत्याधुनिक रक्षा प्रणाली है, जिसका उद्देश्य बैलिस्टिक मिसाइलों से होने वाले हमलों को नष्ट करना है. बैलिस्टिक मिसाइलें खासतौर पर परमाणु बम लेकर जाती हैं. भारत का बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस (BMD) प्रोग्राम दो हिस्सों में काम करता है—एक जो धरती के माहौल (वायुमंडल) के अंदर मिसाइल को मार गिराता है, और दूसरा जो मिसाइल को अंतरिक्ष में ही खत्म कर देता है. BMD सिस्टम दुश्मन की इन मिसाइलों को उनके लॉन्च होने के बाद ट्रैक करके उन्हें हवा में ही नष्ट करने का काम करता है.

भारत ने BMD सिस्टम को दो चरणों में विकसित किया है – आइए थोड़ा पीछे चलते हैं
2002 में जब अमेरिका के राष्ट्रपति जॉर्ज बुश ने एंटी-बैलिस्टिक मिसाइल (ABM) संधि से बाहर निकलने का फैसला लिया, तो भारत पहला देश था जिसने अपने मिसाइल डिफेंस सिस्टम पर काम शुरू कर दिया. 1947 में आज़ादी के बाद से अब तक भारत और पाकिस्तान देशों के बीच चार बार युद्ध हो चुके हैं. 1999 का कारगिल युद्ध के वक्त परमाणु जंग का खतरा काफी बढ़ गया था. जिसके बाद भारत को ये महसूस हुआ कि उसे मिसाइल हमलों से बचाने वाला एक मज़बूत सिस्टम चाहिए.

भारत ने मिसाइल हमलों से बचने के लिए दो तरह के सिस्टम बनाए हैं.
पृथ्वी एयर डिफेंस (PAD) सिस्टम को ऊँचाई पर उड़ने वाली दुश्मन की मिसाइलों को मार गिराने के लिए बनाया गया है, जबकि एडवांस्ड एयर डिफेंस (AAD) सिस्टम नीचे की ऊंचाई पर आने वाली मिसाइलों को रोकने के लिए तैयार किया गया है.

भारत ने अपने मिसाइल डिफेंस प्रोग्राम की शुरुआत 1996 में की थी, जब उसने इज़राइल से तकनीक लेकर लंबी दूरी तक दुश्मन की मिसाइलों को पकड़ने वाला रडार सिस्टम बनाया. इसे ‘लॉन्ग रेंज ट्रैकिंग रडार’ (LRTR) या ‘स्वॉर्डफिश’ कहा जाता है, जो 300 किमी दूर तक दुश्मन की मिसाइल को पकड़ने में सक्षम है.

2006 में भारत ने पहली बार अपने इंटरसेप्टर मिसाइल सिस्टम PAD और AAD का टेस्ट किया, जो दुश्मन की मिसाइलों को हवा में ही नष्ट कर सकते हैं. भारत ने अप्रैल 2019 में ऐलान किया कि उसका मिसाइल डिफेंस सिस्टम का पहला हिस्सा पूरा हो गया है. इस पहले हिस्से में ऐसे सिस्टम बनाए गए हैं जो धरती के वातावरण के अंदर उड़ने वाली दुश्मन की मिसाइलों को रोक सकते हैं. अब भारत दूसरे हिस्से पर काम कर रहा है, जिसमें अंतरिक्ष जैसी ऊंचाई पर आने वाली मिसाइलों को भी मार गिराया जा सकेगा. इसके लिए ‘पृथ्वी डिफेंस व्हीकल’ (PDV) का टेस्ट किया गया, जिसने 100 किलोमीटर की ऊंचाई पर एक मिसाइल को सफलतापूर्वक नष्ट किया.

1990 के दशक में भारत ने पाकिस्तान से आने वाले खतरे को देखते हुए ‘पृथ्वी एयर डिफेंस’ (PAD) सिस्टम पर काम करना शुरू किया. यह सिस्टम दुश्मन की मिसाइलों को ऊँचाई पर ही नष्ट करने के लिए था. 2006 में इस सिस्टम का सफल परीक्षण किया गया, और इसके साथ रूस, इज़राइल और अमेरिका के बादभारत एंटी-बैलिस्टिक मिसाइल बनाने वाला चौथा देश बन गया. पृथ्वी एयर डिफेंस (PAD) सिस्टम के साथ ‘एडवांस्ड एयर डिफेंस’ (AAD) भी है, जो कम ऊंचाई पर आने वाली मिसाइलों को रोकता है. दोनों मिलकर एक मजबूत सुरक्षा तंत्र बनाते हैं, जो दुश्मन की मिसाइल को 5,000 किलोमीटर दूर से पकड़ सकते हैं.

फरवरी 2017 में भारत ने ‘पृथ्वी डिफेंस व्हीकल’ (PDV) का परीक्षण किया, जो ऊँचाई पर मिसाइलों को रोकने वाला एक नया सिस्टम है, जो यू.एस. के THAAD सिस्टम जैसा है. PDV और उसका निचला स्तर वाला सिस्टम, ‘एडवांस्ड एयर डिफेंस’ (AAD), मिसाइलों को उनके आखिरी समय में रोकता है और उन्हें नष्ट करने के लिए विस्फोटक इस्तेमाल करता है.

2. रुसी S-400 एयर डिफेन्स सिस्टम: भारत की सुरक्षा में नई ताक़त!
S-400 एक अत्याधुनिक सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली है, जिसे रूस ने तैयार किया है. यह सिस्टम दुश्मन के लड़ाकू विमान, ड्रोन, क्रूज़ मिसाइल और बैलिस्टिक मिसाइलों को भी रोकने में सक्षम है. इसकी तुलना अमेरिका के पैट्रियट सिस्टम से की जाती है. S-400 पहली बार 2007 में रूस में तैनात किया गया था और यह 100 फीट से लेकर 40,000 फीट की ऊंचाई तक उड़ने वाले लक्ष्यों को पहचानकर नष्ट कर सकता है

इसकी खासियत यह भी है कि इसे केवल 10 मिनट में तैनात किया जा सकता है, जिससे यह युद्ध के हालात में बेहद तेज़ प्रतिक्रिया देने वाला सिस्टम बन जाता है. S-400 को चौथी पीढ़ी की रक्षा प्रणाली माना जाता है क्योंकि यह सिर्फ पहचान ही नहीं करता, बल्कि अपने रडार और मिसाइलों की मदद से दुश्मन के विमानों, बमवर्षकों, जासूसी विमानों और ड्रोन तक को 400 किलोमीटर की दूरी से मार गिरा सकता है.

Source: AP / S400 Air Defence System

इसमें चार तरह की मिसाइलें इस्तेमाल होती हैं, ये मिसाइलें एक साथ कई हवाई खतरों से निपट सकती हैं और इलेक्ट्रॉनिक जामिंग के ख़िलाफ़ भी असरदार हैं.
40N6: 400 किमी (बहुत लंबी दूरी)
48N6: 250 किमी (लंबी दूरी)
9M96E2: 120 किमी (मध्यम दूरी)
9M96E: 40 किमी (निकट दूरी)

15 अक्टूबर 2016 को भारत और रूस के बीच S-400 ट्रायम्फ एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम की आपूर्ति के लिए आधिकारिक समझौता हुआ. यह समझौता ब्रिक्स सम्मेलन के दौरान गोवा में किया गया था. इसके बाद 5 अक्टूबर 2018 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने 40,000 करोड़ रुपये की इस डील को औपचारिक रूप से पूरा किया. अमेरिका की संभावित पाबंदियों के बावजूद भारत ने इस सौदे को अंजाम दिया, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि भारत अपनी सुरक्षा को सर्वोपरि रखता है.

3. बराक 8 – Medium Range (MR-SAM)
Barak 8 का संयुक्त विकास भारत के रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) और इज़राइल की इज़राइल एयरोस्पेस इंडस्ट्री (IAI) ने मिलकर किया है. यह सिस्टम सबसोनिक और सुपरसोनिक मिसाइलें, फाइटर जेट, समुद्री गश्ती विमान, हेलीकॉप्टर और ‘Sea Skimming मिसाइलें’ को इंटरसेप्ट करने में सक्षम है.

ये सिस्टम एक मीडियम रेंज एयर डिफेंस सिस्टम है, जिसे MR-SAM के नाम से भी जाना जाता है. इस सिस्टम में आधुनिक बैटल मैनेजमेंट, कमांड, कंट्रोल, कम्युनिकेशन और इंटेलिजेंस (BMC4I), वर्टिकल लॉन्चिंग सिस्टम, मल्टी-फंक्शनल रडार और बाराक 8 इंटरसेप्टर्स शामिल हैं. इसकी सबसे खास बात यह है कि यह मिसाइल सीधे ऊपर (वर्टिकल) लॉन्च होती है और चारों ओर 360 डिग्री में खतरे से निपट सकती है. इसकी रेंज 70 से 100 किमी तक है.

Source: DRDO / DRDO successfully conducted four flight-tests of the MR-SAM (Army version) on April 3–4, 2025, off Odisha coast.

4. Spyder एयर डिफेन्स सिस्टम
ये एयर डिफेंस सिस्टम 20 से 80 किलोमीटर की दूरी तक काम कर सकते हैं और बड़े इलाकों को दुश्मन के हमलों से बचाने के लिए बनाए गए हैं. ये दुश्मन के लड़ाकू विमान, हेलिकॉप्टर, बम गिराने वाले विमान, क्रूज़ मिसाइल, ड्रोन और दूर से हमला करने वाले हथियारों को भी रोक सकते हैं.

SPYDER एयर डिफेंस सिस्टम में दो तरह की मिसाइलें लगती हैं – Python-5 और Derby. Python-5 मिसाइल एक खास सेंसर (इंफ्रारेड) से निशाना साधती है, जबकि Derby मिसाइल में रडार लगा होता है जो दुश्मन को पकड़ता है. Derby का एक और एडवांस वर्जन है Derby ER, जिसमें एक ताकतवर मोटर लगी होती है जो इसे ज्यादा दूरी तक मार करने की ताकत देती है.

SPYDER सिस्टम के दो वर्जन हैं – मीडियम रेंज (MR) और लॉन्ग रेंज (LR). दोनों में यही मिसाइलें लगती हैं. इसके अलावा, कुछ वर्जनों में एक्स्ट्रा बूस्टर भी होता है जिससे मिसाइल और दूर तक जा सकती है. यह सिस्टम पिछले 15 सालों से सफलतापूर्वक काम कर रहा है और कई बार अपनी ताकत साबित कर चुका है। आज यह दुनिया की आठ बड़ी और आधुनिक सेनाओं की पहली पसंद है. इनमें चेक रिपब्लिक भी शामिल है, जो NATO का पहला सदस्य देश है जिसने SPYDER सिस्टम को तैनात किया है.

Source: rafael.co.il

भारत का एयर डिफेंस सिस्टम अब सिर्फ एक रक्षात्मक ढांचा नहीं, बल्कि एक रणनीतिक ढाल बन चुका है—जो आसमान से आने वाले हर खतरे को पल भर में पहचान कर नष्ट करने की क्षमता रखता है. चाहे वो परमाणु मिसाइल हो, फाइटर जेट, या ड्रोन—भारत के पास हर ऊंचाई और हर दिशा से आने वाले हमलों के जवाब में तैयार चार-स्तरीय सुरक्षा कवच मौजूद है. PAD, AAD, PDV जैसे सिस्टम्स के साथ-साथ इज़राइल की तकनीक से लैस रडार नेटवर्क भारत की हवाई सीमाओं को अभेद्य बना रहे हैं. भारत ने यह साफ कर दिया है कि अब कोई भी दुश्मन मिसाइल उसकी संप्रभुता को चुनौती नहीं दे सकती—ना ज़मीन से, ना आसमान से.

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