कश्मीर, लद्दाख, मेघालय जैसी बर्फबारी वाली जगहों पर स्कूल कैसे चलते हैं?

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Last Updated:October 20, 2025, 17:32 IST

Winter Bound Schools: भारत कई तरह के मौसम वाला देश है. यहां कहीं तेज बर्फबारी होती है तो कहीं उसी वक्त पर तेज धूप नजर आती है. बर्फबारी वाली जगहों पर स्थित सीबीएसई स्कूलों को विंटर बाउंड स्कूल कहा जाता है.

कश्मीर, लद्दाख, मेघालय जैसी बर्फबारी वाली जगहों पर स्कूल कैसे चलते हैं?Winter Bound Schools: सीबीएसई विंटर स्कूल अन्य स्कूलों से अलग होते हैं

नई दिल्ली (Winter Bound Schools). भारत विविधताओं से भरा देश है. यहां एक राज्य में बारिश होती है तो दूसरे में तेज धूप खिली होती है, कहीं ठंड पड़ती है तो कहीं उसी वक्त भयंकर गर्मी होती है. ऐसे में देश के अलग-अलग राज्यों में पढ़ाई का सिस्टम भी अलग-अलग होता है. सीबीएसई एक केंद्रीय शिक्षा बोर्ड है. इसके स्कूल भारत के साथ ही कई अन्य देशों में भी हैं. दूर-सुदूर पहाड़ी इलाकों में बसे सीबीएसई स्कूलों को विंटर बाउंड स्कूल कहा जाता है.

विंटर बाउंड स्कूल भारत के पहाड़ी और अत्यधिक ठंडे क्षेत्रों में स्थित होते हैं. इन क्षेत्रों में भारी बर्फबारी और बहुत कम तापमान के कारण सर्दियों के महीनों (आमतौर पर दिसंबर से फरवरी/मार्च तक) में स्कूल बंद रखना जरूरी हो जाता है. अन्य सामान्य स्कूलों की तरह ये साल के बीच में गर्मी की छुट्टियों के लिए बंद नहीं होते, बल्कि इनकी वार्षिक छुट्टियां सर्दियों में होती हैं. शिक्षा के इस अनूठे मॉडल से छात्र और शिक्षक, दोनों ही कठिन मौसम की मार से बचकर शिक्षा की प्रक्रिया बिना किसी रुकावट के जारी रख पाते हैं.

विंटर बाउंड स्कूलों में पढ़ाई कैसे होती है?

विंटर बाउंड स्कूलों का संचालन मौसम चक्र पर निर्भर करता है. उदाहरण के लिए, जब मैदानी इलाकों के स्कूल गर्मी की छुट्टियों के बाद खुलते हैं, तब इन विंटर बाउंड स्कूलों में शैक्षणिक सत्र पूरे जोरों पर चल रहा होता है. इसी तरह, जब मैदानी इलाकों में अक्टूबर-नवंबर में सामान्य छुट्टियां होती हैं, तब ये स्कूल अपनी बोर्ड परीक्षा या अन्य परीक्षाओं की तैयारी कर रहे होते हैं. सीबीएसई बोर्ड इन स्कूलों के लिए प्रैक्टिकल और इंटरनल असेसमेंट का शेड्यूल मुख्य बोर्ड परीक्षा से काफी पहले (अक्सर नवंबर-दिसंबर में) जारी करते हैं.

विंटर बाउंड स्कूल कहां हैं?

विंटर बाउंड स्कूल मुख्य रूप से भारत के उन राज्यों और क्षेत्रों में पाए जाते हैं, जहां सर्दियों में बड़े पैमाने पर बर्फबारी होती है और तापमान शून्य के आस-पास या उससे नीचे चला जाता है.

जम्मू और कश्मीर/लद्दाख: कश्मीर घाटी और लद्दाख के ऊंचाई वाले क्षेत्र. हिमाचल प्रदेश: शिमला, मनाली, कुल्लू और धर्मशाला जैसे ऊपरी क्षेत्र. उत्तराखंड: मसूरी, नैनीताल के ऊपरी क्षेत्र और उत्तरकाशी, चमोली जिले. उत्तर पूर्वी राज्य: सिक्किम, मेघालय और दार्जिलिंग (पश्चिम बंगाल) के कुछ पहाड़ी क्षेत्र.

विंटर बाउंड स्कूल देश के अन्य स्कूल से कैसे अलग हैं?

विंटर बाउंड स्कूल अपने समय-सारणी और शैक्षणिक कैलेंडर के मामले में मैदानी इलाकों के स्कूलों से काफी अलग होते हैं:

1. शैक्षणिक कैलेंडर

आधारविंटर बाउंड स्कूलमैदानी/सामान्य स्कूल
मुख्य अवकाशसर्दियों में (दिसंबर से फरवरी/मार्च)गर्मियों में (मई से जुलाई)
नया सत्र शुरूआमतौर पर फरवरी या मार्च मेंअप्रैल में
परीक्षा की समय-सीमाप्रैक्टिकल परीक्षा अक्सर नवंबर-दिसंबर में आयोजित की जाती है.बोर्ड की प्रैक्टिकल परीक्षाएं आमतौर पर जनवरी-फरवरी में होती हैं.

विंटर बाउंड स्कूल में सिलेबस कैसे पूरा होता है?

विंटर बाउंड स्कूलों को अपना सिलेबस कम समय-सीमा (सर्दियों की लंबी छुट्टी से पहले) में पूरा करना होता है. इसलिए वहां पढ़ाई की स्पीड अक्सर थोड़ी तेज होती है.

कठिन मौसम में एडजस्टमेंट: स्कूल को साल के सबसे ठंडे समय में बंद करना पड़ता है. इसलिए बाकी महीनों में पढ़ाई की क्वॉलिटी और रेगुलरिटी बनाए रखने पर ज्यादा जोर दिया जाता है.

पहाड़ी जीवन से जुड़ाव: इन स्कूलों में क्षेत्रीय ज्योग्राफी, कल्चर और लाइफस्टाइल से जुड़े पाठों को पाठ्यक्रम में शामिल किया जाता है.

Deepali Porwal

With over more than 10 years of experience in journalism, I currently specialize in covering education and civil services. From interviewing IAS, IPS, IRS officers to exploring the evolving landscape of academi...और पढ़ें

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First Published :

October 20, 2025, 17:32 IST

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कश्मीर, लद्दाख, मेघालय जैसी बर्फबारी वाली जगहों पर स्कूल कैसे चलते हैं?

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