जिस केस में महुआ की चली गई थी सांसदी उस मामले में हाईकोर्ट से मिली बड़ी राहत

1 hour ago

Last Updated:December 19, 2025, 14:01 IST

जिस केस में महुआ की चली गई थी सांसदी उस मामले में हाईकोर्ट से मिली बड़ी राहतटीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा को दिल्ली हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है.

Mahua Moitra News: तृणमूल कांग्रेस की लोकसभा सांसद महुआ मोइत्रा को कैश फॉर क्वेरी मामले में बड़ी कानूनी राहत मिली है. दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को लोकपाल के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें सीबीआई को मोइत्रा के खिलाफ चार्जशीट दाखिल करने की अनुमति दी गई थी. कोर्ट ने प्रक्रियात्मक खामी का हवाला देते हुए लोकपाल से एक महीने के अंदर स्वीकृति के मुद्दे पर नए सिरे से विचार करने को कहा. जस्टिस अनिल क्षेत्रपाल और जस्टिस हरिश वैद्यनाथन शंकर की बेंच ने मोइत्रा की याचिका पर फैसला सुनाते हुए कहा कि लोकपाल ने जांच एजेंसी की रिपोर्ट को सिर्फ रबर स्टैंप करने की तरह मंजूरी दे दी. बेंच ने मोइत्रा की दलीलों या सबूतों पर विचार नहीं किया.

कोर्ट ने लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम की धारा 20(7) का जिक्र करते हुए कहा कि सार्वजनिक सेवक की टिप्पणियां प्राप्त करने और हर रिपोर्ट पर विचार करने के बाद ही चार्जशीट दाखिल करने, केस बंद करने या विभागीय कार्रवाई की अनुमति दी जा सकती है. मोइत्रा ने याचिका में तर्क दिया था कि लोकपाल ने उनकी सबमिशन्स को पूरी तरह नजरअंदाज कर दिया और स्वीकृति आदेश जारी कर दिया, जो प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन है. उन्होंने कहा कि चार्जशीट दाखिल करने की मंजूरी वास्तव में अभियोजन की स्वीकृति के समान है. इसे उनके बचाव के अधिकार पर विचार किए नहीं दिया जा सकता.

क्या था पूरा मामला?

यह मामला अक्टूबर 2023 में भाजपा सांसद निशिकांत दुबे की शिकायत से शुरू हुआ था, जिसमें मोइत्रा पर व्यापारी दर्शन हीरानंदानी से नकद और महंगे उपहार लेकर संसद में अडाणी समूह से जुड़े सवाल पूछने का आरोप लगा था. मोइत्रा ने अपना लॉगिन पासवर्ड हीरानंदानी को देने की बात स्वीकार की थी, लेकिन रिश्वत लेने से इनकार किया था. लोकपाल ने शिकायत पर सीबीआई से प्रारंभिक जांच कराई, फिर मार्च 2024 में औपचारिक जांच का आदेश दिया. जून 2025 में सीबीआई ने रिपोर्ट लोकपाल को सौंपी, जिसके बाद मोइत्रा से टिप्पणियां मांगी गईं.

अक्टूबर में सुनवाई के बाद लोकपाल की फुल बेंच ने 12 नवंबर 2025 को धारा 20(7)(ए) और 23(1) के तहत चार हफ्ते में चार्जशीट दाखिल करने का आदेश दिया. मोइत्रा ने इसे चुनौती दी और हाईकोर्ट ने 21 नवंबर को फैसला सुरक्षित रख लिया था. कोर्ट ने स्पष्ट किया कि लोकपाल की भूमिका जांच रिपोर्ट को सिर्फ मंजूरी देने की नहीं है, बल्कि स्वतंत्र रूप से मूल्यांकन करने की है. इस फैसले से सीबीआई की चार्जशीट प्रक्रिया पर रोक लग गई है और लोकपाल को अब कानून के मुताबिक नए सिरे से विचार करना होगा. मोइत्रा पहले दिसंबर 2023 में लोकसभा से निष्कासित हो चुकी हैं, जब एथिक्स कमिटी ने उन्हें अनैतिक आचरण का दोषी पाया था. हालांकि, उन्होंने सभी आरोपों को राजनीतिक साजिश बताया था.

About the Author

संतोष कुमार

न्यूज18 हिंदी में बतौर एसोसिएट एडिटर कार्यरत. मीडिया में करीब दो दशक का अनुभव. दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण, आईएएनएस, बीबीसी, अमर उजाला, जी समूह सहित कई अन्य संस्थानों में कार्य करने का मौका मिला. माखनलाल यूनिवर्स...और पढ़ें

First Published :

December 19, 2025, 14:01 IST

homenation

जिस केस में महुआ की चली गई थी सांसदी उस मामले में हाईकोर्ट से मिली बड़ी राहत

Read Full Article at Source