Last Updated:July 25, 2025, 18:28 IST
DRDO Drone Missile Test: DRDO ने आंध्र प्रदेश में ड्रोन से चलने वाली मिसाइल ULPGM-V3 का सफल परीक्षण किया. यह मिसाइल बिना सैनिकों को जमीन पर भेजे दुश्मन पर सटीक निशाना लगा सकती है.

हाइलाइट्स
DRDO ने ड्रोन से चलने वाली ULPGM-V3 मिसाइल का टेस्ट पूरा किया.यह मिसाइल बिना सैनिक भेजे दुश्मन पर सटीक वार करने में सक्षम है.ड्रोन में दिशा पहचानने वाला इन्फ्रारेड सीकर लगाया गया है.ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पूरी दुनिया के भारत की सैन्य शक्ति का उदाहरण देख लिया था. लेकिन असल में वो तो भारत के जवाब की सिर्फ एक झांकी थी. भारत की सुरक्षा ताकत अब पहले से कहीं ज्यादा मजबूत हो गई है. देश ने एक नई मिसाइल तैयार की है जो दुश्मन पर बिल्कुल सटीक वार कर सकती है, वो भी बिना सैनिकों को भेजे. इस मिसाइल का नाम है ULPGM-V3.
यह मिसाइल एक खास तरह के ड्रोन से छोड़ी जाती है और सीधा अपने टारगेट को निशाना बनाती है. इस तकनीक का सफल परीक्षण हाल ही में आंध्र प्रदेश में किया गया है. इस बड़ी कामयाबी की जानकारी खुद देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सोशल मीडिया पर दी और इसे भारत की सेना के लिए एक “बड़ा बूस्ट” बताया.
क्या है ULPGM-V3, और क्यों है ये खास?
ULPGM-V3 एक नई और एडवांस मिसाइल है जिसे ड्रोन से उड़ाकर दागा जाता है. यानी अब भारतीय सेना को दुश्मन के इलाके में जाकर गोली चलाने या बम गिराने की जरूरत नहीं है. ड्रोन अपने साथ इस मिसाइल को लेकर जाएगा और हवा में रहते हुए ही टारगेट को ढूंढेगा और उस पर वार करेगा. इससे हमारे सैनिकों की जान को कोई खतरा नहीं रहेगा और दुश्मन को भी करारा जवाब मिलेगा.
In a major boost to India’s defence capabilities, @DRDO_India has successfully carried out flight trials of UAV Launched Precision Guided Missile (ULPGM)-V3 in the Open Area Range (NOAR), test range in Kurnool, Andhra Pradesh.
इस मिसाइल को खास बात यह है कि ये पुरानी मिसाइल की अगली और बेहतर पीढ़ी है. पहले वाली मिसाइल को ULPGM-V2 कहा जाता था, जो पहले से ही काफी कारगर थी. लेकिन अब जो नया वर्जन आया है, उसमें नई टेक्नोलॉजी जोड़ी गई है ताकि ये आज के हाईटेक युद्ध में भी पूरी तरह कारगर साबित हो.
कैसे काम करती है ये मिसाइल?
इस मिसाइल में एक खास तकनीक लगी है जिसे इमेजिंग इन्फ्रारेड सीकर कहते हैं. इसका काम है टारगेट यानी दुश्मन की लोकेशन को पहचानना, चाहे वो दिन हो या रात. इसके बाद ये मिसाइल खुद-ब-खुद उस टारगेट पर जाकर हमला करती है.
इसके अलावा इसमें ड्यूल-प्रोपल्शन सिस्टम लगाया गया है, जिससे इसकी रफ्तार और रेंज यानी दूरी तक मार करने की ताकत दोनों बढ़ गई हैं. और सबसे खास बात – इसका डिज़ाइन इतना हल्का है कि इसे किसी भी तरह के ड्रोन से आसानी से उड़ाया जा सकता है. इसका मतलब ये है कि अब भारत के पास ऐसा हथियार है जो पहाड़, जंगल, रेगिस्तान जैसे खतरनाक इलाकों में भी बिना जवान भेजे दुश्मन को मार गिरा सकता है.
कहां हुआ टेस्ट, और क्यों है यह जगह खास?
ULPGM-V3 का परीक्षण आंध्र प्रदेश के कुरनूल जिले में स्थित राष्ट्रीय मुक्त क्षेत्र रेंज (NOAR) में किया गया. ये जगह अब भारत की डिफेंस टेक्नोलॉजी के लिए बहुत अहम बन चुकी है. यहां पर नई मिसाइलों और रक्षा उपकरणों को असली हालात में परखा जाता है, यानी जैसे किसी जंग में इस्तेमाल किया जाएगा, वैसे ही माहौल में.
इस रेंज में पहले भी कई अहम रक्षा परीक्षण किए जा चुके हैं. इस बार भी DRDO ने यहीं पर ULPGM-V3 को टेस्ट किया और मिसाइल ने एकदम सटीक वार कर दिखाया.
आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक और कदम
इस मिसाइल की सबसे बड़ी बात ये है कि इसे भारत में ही डिजाइन और तैयार किया गया है. इसे बनाने में DRDO के वैज्ञानिकों के साथ-साथ कई निजी कंपनियों, छोटे उद्योगों (MSME) और स्टार्टअप्स ने भी हिस्सा लिया है. यह दिखाता है कि अब भारत अपने रक्षा उपकरणों को बनाने के लिए खुद पर ही निर्भर होता जा रहा है.
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी अपने संदेश में यही कहा कि अब भारतीय इंडस्ट्री इतनी सक्षम हो गई है कि वह बड़े-बड़े रक्षा सिस्टम खुद तैयार कर सकती है.
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New Delhi,Delhi