Last Updated:June 15, 2025, 21:01 IST
Telangana Politics: BRS नेता के कविता की सियासी राह में परिवार ही सबसे बड़ी चुनौती बन गया है। 'जागृति' के बैनर तले वो अलग पहचान बना रही हैं, लेकिन पार्टी से दूरी उनके लिए खतरा बनती जा रही है. पढ़िए इस खबर में क...और पढ़ें

कविता के लिए सबसे बड़ा झटका तब आया जब उन्होंने अपने पिता केसीआर से मिलने की कोशिश की लेकिन उन्हें मिलने नहीं दिया गया.
हाइलाइट्स
के कविता की राजनीतिक राह में परिवार बना चुनौतीजागृति के बैनर तले अलग पहचान बना रहीं कविताकेटीआर के समर्थन में कविता की चुप्पी पर उठे सवालन्यूज18 कन्नड़
Telangana Politics: BRS एमएलसी के कविता की राजनीतिक राह इन दिनों ऐसी हो गई है जैसे हर मोड़ पर खाई हो और हर मोड़ के पीछे कुआं. जिस परिवार की छांव में वो राजनीति में आगे बढ़ीं आज उसी परिवार की अंदरूनी खींचतान उन्हें सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचा रही है. ‘जागृति’ के बैनर तले अपनी अलग पहचान बनाने की कोशिश में अब वो ऐसी दोराहे पर खड़ी हैं जहां से न आगे जाना आसान है न पीछे लौटना.
जब कविता ने ‘जागृति’ को अपनी दूसरी आंख बताया और BRS में रहकर भी अपने अलग तेवर दिखाने शुरू किए तभी यह तय हो गया था कि पार्टी में सब कुछ सामान्य नहीं है. उनके पत्र और बयान भाई केटीआर पर अप्रत्यक्ष निशाने के रूप में देखे गए. हालांकि उन्होंने खुद को BRS का हिस्सा बताया लेकिन उनके राजनीतिक इशारे और हालिया फैसलों ने यह भी साफ कर दिया कि अब वो संगठन के भीतर अपनी जगह फिर से गढ़ना चाहती हैं लेकिन अलग अंदाज़ में.
कविता ने केसीआर को मिले कालेश्वरम आयोग के नोटिस के खिलाफ इंदिरा पार्क और निजामाबाद में धरने दिए.
KCR की खामोशी, एक बड़ी नाराजगी का संकेत?
कविता के लिए सबसे बड़ा झटका तब आया जब उन्होंने अपने पिता केसीआर से मिलने की कोशिश की लेकिन उन्हें मिलने नहीं दिया गया. फार्महाउस की लिफ्ट से केसीआर नीचे उतरते रहे और कविता सीढ़ियों से ऊपर जाने को थीं. न कोई नजर, न कोई संवाद. यह दृश्य ही बता गया कि परिवार के भीतर सियासी रिश्ते अब सिर्फ भावनाओं के मोहताज नहीं रह गए.
BRS कार्यकर्ताओं और अंदरूनी हलकों में यह चर्चा गर्म है कि अगर कविता इस पर चुप रहती हैं तो उन्हें पक्षपाती कहा जाएगा.
अब सवाल केटीआर को लेकर: क्या कविता देंगी साथ?
अब जब केटीआर को फॉर्मूला-ई रेस मामले में एसीबी से नोटिस मिले हैं तो सवाल उठने लगे हैं कि क्या कविता उनके समर्थन में भी धरना देंगी? BRS कार्यकर्ताओं और अंदरूनी हलकों में यह चर्चा गर्म है कि अगर कविता इस पर चुप रहती हैं तो उन्हें पक्षपाती कहा जाएगा. और अगर वो धरना देती हैं तो ये माना जाएगा कि वो फिर से पार्टी लाइन पर लौट आई हैं.
कविता की मुश्किल यही है… धरना दें तो भी परेशानी, न दें तो भी. ऐसे में उनकी हर रणनीति उन्हें एक कदम आगे बढ़ाने की बजाय, दो कदम पीछे धकेल रही है.
Sumit Kumar is working as Senior Sub Editor in News18 Hindi. He has been associated with the Central Desk team here for the last 3 years. He has a Master's degree in Journalism. Before working in News18 Hindi, ...और पढ़ें
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