Last Updated:August 13, 2025, 08:12 IST
IRCTC Scam News: आईआरसीटीसी घोटाला भारतीय रेलवे के इतिहास में एक काला धब्बा है जो लालू प्रसाद यादव के रेलमंत्री कार्यकाल (2004-2009) से जुड़ा है. रांची और पुरी के बीएनआर होटलों के ठेके में कथित भ्रष्टाचार ने ला...और पढ़ें

पटना. IRCTC घोटाले ने लालू यादव के रेलमंत्री कार्यकाल की उस चमक को धूमिल कर दिया जिसको लेकर उनके समर्थक ‘मैनेजमेंट गुरु’ कहकर लालू यादव के कसीदे गढ़ते हैं. कभी रेलवे को मुनाफे में लाने वाले लालू यादव पर इस मामले में भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं. बेनामी संपत्तियों और सत्ता के दुरुपयोग की यह कहानी बिहार की राजनीति सीधे तौर पर प्रभावित करती है, क्योंकि इसमें वर्तमान समय के सबसे रसूखदार राजनीतिक परिवार-लालू परिवार की संलिप्तता के आरोप हैं. अगर कोर्ट में आरोप तय होते हैं तो यह लालू परिवार के लिए नया संकट खड़ा करेगा. दरअसल, IRCTC घोटाला भारतीय रेलवे के इतिहास में एक बदनुमा दाग है जो लालू प्रसाद यादव के रेलमंत्री कार्यकाल (2004-2009) से जुड़ा है. रांची और पुरी के दो होटलों के ठेके में कथित भ्रष्टाचार ने लालू, राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव को कटघरे में ला खड़ा किया. सीबीआई की जांच ने बेनामी सौदों और सत्ता के दुरुपयोग की परतें खोलीं. अब राउज एवेन्यू कोर्ट में होने वाला फैसला लालू परिवार के भविष्य पर सवाल उठा रहा है.
IRCTC घोटाला 2004-2009 के बीच का है जब लालू प्रसाद यादव यूपीए सरकार में रेलमंत्री थे. भारतीय रेलवे ने रांची और पुरी के बीएनआर होटलों को IRCTC के तहत लीज पर देने का फैसला किया, लेकिन ठेका प्रक्रिया में कथित अनियमितताओं ने इस सौदे को विवादों में ला दिया. सीबीआई के मुताबिक, सुजाता होटल्स प्राइवेट लिमिटेड को ठेका देने में नियमों को ताक पर रखा गया और इसके बदले लालू परिवार को बेशकीमती जमीन हस्तांतरित की गई.
बेनामी सौदा है घोटाले की पृष्ठभूमि
सीबीआई का आरोप है कि सुजाता होटल्स के मालिक विनय और विजय कोचर को ठेका देने के बदले लालू परिवार को पटना में तीन एकड़ की जमीन मिली. यह जमीन डिलाइट मार्केटिंग लिमिटेड से लारा प्रोजेक्ट्स (राबड़ी और तेजस्वी की कंपनी) को मात्र 65 लाख रुपये में ट्रांसफर हुई, जबकि इसका बाजार मूल्य 94 करोड़ और सर्कल रेट 32 करोड़ था. यह सौदा सत्ता के दुरुपयोग और भ्रष्टाचार का स्पष्ट उदाहरण माना गया.
IRCTC घोटाले की जांच का सफर
सीबीआई ने 7 जुलाई 2017 को लालू, राबड़ी, तेजस्वी और अन्य के खिलाफ FIR दर्ज की. दिल्ली, पटना, रांची और गुरुग्राम में छापेमारी के बाद कई दस्तावेज और सबूत जब्त किए गए. 16 अप्रैल 2018 को सीबीआई ने चार्जशीट दाखिल की जिसमें आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत आरोप लगाए गए. जांच में IRCTC के तत्कालीन MD पीके गोयल की भूमिका भी सामने आई, जिन्होंने कथित तौर पर टेंडर प्रक्रिया में हेरफेर किया. कौन हैं आरोपी?
इस मामले में 14 लोग आरोपी हैं, जिनमें शामिल हैं-
लालू प्रसाद यादव: तत्कालीन रेलमंत्री, मुख्य साजिशकर्ता के रूप में.
राबड़ी देवी: लालू यादव की पत्नी, बेनामी संपत्ति की लाभार्थी.
तेजस्वी यादव: लालू यादव के बेटे, लारा प्रोजेक्ट्स के जरिए शामिल.
विनय और विजय कोचर: सुजाता होटल्स के मालिक.
प्रेमचंद गुप्ता: पूर्व केंद्रीय मंत्.।
पीके गोयल: IRCTC के तत्कालीन MD.
अन्य सरकारी अधिकारी और निजी व्यक्ति भी सह-अभियुक्त हैं.
कोर्ट में कहां तक पहुंचा मामला?
बता दें कि राउज एवेन्यू कोर्ट में यह मामला लंबे समय से चल रहा है. विशेष न्यायाधीश विशाल गोगने ने 29 मई 2025 को सीबीआई और आरोपियों के वकीलों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया. सीबीआई का कहना है कि उसके पास ठोस सबूत हैं, जबकि लालू परिवार इसे राजनीतिक प्रतिशोध बताता है. इस मामले में बीते 5 अगस्त को टलने के बाद अब 13 अगस्त 2025 को कोर्ट यह तय करेगा कि आरोप तय होंगे या नहीं.
IRCTC घोटाले में अब तक की स्थिति
अब तक कोई भी दोषी ठहराया या बरी नहीं हुआ है. लालू यादव और राबड़ी देवी को 2019 में जमानत मिली थी, लेकिन अगर कोर्ट आरोप तय करता है तो मुकदमा शुरू होगा. दोषी पाए जाने पर 7 साल तक की सजा हो सकती है. यह मामला लालू यादव के राजनीतिक करियर और RJD की साख पर बड़ा सवाल खड़ा करता है.
पत्रकारिता क्षेत्र में 22 वर्षों से कार्यरत. प्रिंट, इलेट्रॉनिक एवं डिजिटल मीडिया में महत्वपूर्ण दायित्वों का निर्वहन. नेटवर्क 18, ईटीवी, मौर्य टीवी, फोकस टीवी, न्यूज वर्ल्ड इंडिया, हमार टीवी, ब्लूक्राफ्ट डिजिट...और पढ़ें
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First Published :
August 13, 2025, 08:12 IST