Dubai Best Dosa Survey News: इडली डोसा ऐसी डिश हैं, जो पूरे देश में चाव से खाई जाती हैं. यह डिश अब भारत ही नहीं बल्कि बाहर के देशों में तेजी से फेमस हो रही है. अरब मुस्लिम शहर दुबई भी इसका अपवाद नहीं है, जहां पर ढेर सारे डोसा कैफे खुले हुए हैं. लेकिन दुबई में सबसे टेस्टी डोसा कहां मिलता है? यह सवाल अक्सर कई लोगों को कंफ्यूज कर देता होगा. इसी कंफ्यूजन को दूर करने के लिए दुबई के मशहूर कंटेंट क्रिएटर और यूट्यूबर खालिद अल अमेरी ने एक मजेदार मिशन शुरू किया है.
टीओआई की रिपोर्ट के मुताबिक, खालिद अल अमेरी ने इस मिशन का नाम रखा है 'दुबई का सबसे बेस्ट डोसा कौन सा है?' अपने कैमरे और पांच दोस्तों के साथ, उन्होंने शहर के अलग-अलग डोसा रेस्तरां का दौरा किया. वीडियो की शुरुआत में खालिद बताते हैं कि यह मिशन सोशल मीडिया पर लोगों की राय के आधार पर है. यह सफर जल्दी ही मज़ेदार और स्वाद से भरा हो गया, जिसमें हर स्टॉप पर अलग कहानी और यादें जुड़ी हुई थीं.
मालगुड़ी रेस्तरां
मिशन में पहले स्टॉप पर वे मालगुड़ी रेस्तरां पहुंचे, जहां मंग्लोरियन कॉमेडियन अनिल गए. यहां का खास डोसा है बेनेट डोसा — मोटा और छोटे आकार का. ऊपर डाला गया मक्खन कर्नाटक से आया है, जो इसे और भी स्वादिष्ट बनाता है. नारियल, टमाटर और 'पुली इन वा' जैसी चटनियाँ इसे मज़ेदार बनाती हैं. अनिल कहते हैं, 'यह डोसा मेरे बचपन की यादें ताज़ा करता है.' खालिद भी इसकी खुशबू और स्वाद की तारीफ़ करते हैं.
यम्मी डोसा
उनका दूसरा स्टॉप रहा 'यम्मी डोसा', जहां क्रिएटिव कपल रैफ और मेल गए. यहां डोसा परंपरा में क्रिएटिव ट्विस्ट है. उनकी खासियत है मटका डोसा यानी परतदार, चीज़ी और मसालेदार. खालिद इसे 'डोसा ऑन स्टेरॉइड्स' कहते हैं. अंत में नुटेला डोसा, जोकि मीठा और मज़ेदार. यह जगह दिखाती है कि डोसा सिर्फ़ खाने की चीज़ नहीं, बल्कि इसमें क्रिएटिविटी और मज़ा भी हो सकता है.
वसंथा भवन
उनके मिशन का तीसरा स्टॉप रहावसंथा भवन, जहां रोहित गए. यह जगह हल्का, कुरकुरा और हेल्दी डोसा देती है. कम घी का इस्तेमाल इसे रोज़ खाने लायक बनाता है. रोहित इसे सादगी और संतुलन के लिए पसंद करते हैं. खालिद कहते हैं कि यह अब तक का सबसे हेल्दी डोसा है. यहां डोसा साधारण दिखता है, लेकिन स्वाद में पूरा भरोसा देता है.
संगीता रेस्तरां
चौथा स्टॉप संगीता रेस्तरां, जहां जैस्मिन गईं. यह रेस्तरां दुबई में 1984 से है. यहां पेपर रोस्ट डोसा परोसा जाता है, जो कि बहुत पतला और कुरकुरा होता है. केले के पत्ते पर परोसना अनुभव को और भी घर जैसा बनाता है. जैस्मिन कहती हैं, 'यह डोसा घर की यादें ताज़ा करता है.' चटनी और फिल्टर कॉफी पूरी अनुभव को बढ़ाते हैं.
सरवणा भवन
अंतिम स्टॉप सरवणा भवन, जहां पर शाज़ गए. यह जगह दक्षिण भारतीय खाने का वैश्विक नाम है. यहां का घी रोस्ट डोसा और आलू-प्याज़ मसाला बेहद पारंपरिक और संतुलित स्वाद देता है. साथ में वड़ा और फिल्टर कॉफी का मज़ा, जो चेन्नई की याद दिलाता है. खालिद और शाज़ इसे पूरी तरह सत्यापन और परंपरा का प्रतीक मानते हैं.
खालिद का यह सफर सिर्फ़ खाने तक सीमित नहीं था. हर रेस्तरां में डोसा अपने कहानियों और यादों के साथ आया. कुछ डोसा बच्चों की याद दिलाता है, कुछ क्रिएटिविटी दिखाता है और कुछ सादगी और संतुलन का मज़ा देता है. डोसा यहां सिर्फ़ व्यंजन नहीं, बल्कि भावनाओं और संस्कृति का माध्यम बन गया.
आखिर में कौन बना विजेता?
तो किसका डोसा सबसे अच्छा है? इस सवाल पर खालिद ने मुस्कराते हुए कहा, 'सभी विजेता हैं. हर डोसा अपने अंदाज में खास है. कोई मक्खन से भरा, कोई क्रिएटिव और मीठा, कोई हल्का और संतुलित, कोई पारंपरिक और यादगार. हर निवाला अपने आप में अलग अनुभव देता है.'
खालिद अल अमेरी की यह डोसा यात्रा दर्शाती है कि खाने का मतलब सिर्फ पेट भरना नहीं, बल्कि यादें, भावनाएं और संस्कृति को जीना है. हर डोसा अपने आप में कहानी कहता है और हर निवाले में थोड़ी यादें और खुशियां छिपी होती हैं.