ISS retirement 2030: 2030 तक अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन को रिटायर करने का फैसला लिया गया है. लेकिन इसके साथ ही 2035 तक कई लगभग तीन दशकों तक विज्ञान और अंतरिक्ष के क्षेत्र में अहम योगदान देने के बाद, अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) को 2030 तक रिटायर किया जाएगा. ISS ने इस समय के दौरान पृथ्वी की निचली कक्षा में कई जरूरी प्रयोग और अनुसंधान किए हैं, जिससे स्वास्थ्य, कृषि, जल और ऊर्जा जैसी अनेक क्षेत्रों में नई तकनीकें विकसित हुई हैं.
ISS का सुनहरा युग
ISS के संचालन निदेशक रोबिन गैटेंस ने बताया कि हम अभी भी ISS के सुनहरे युग में हैं और 2030 तक इसे अधिकतम उपयोग करने की कोशिश की जा रही है. उनका कहना है कि ISS ने अंतरिक्ष में मानव मिशन, विज्ञान और तकनीक को आगे बढ़ाने में बेमिसाल योगदान दिया है.
प्राइवेट स्पेस स्टेशन
गैटेंस ने यह भी बताया कि ISS के बाद कमर्शियल यानी निजी कंपनियों द्वारा चलने वाले स्पेस स्टेशन तैयार किए जा रहे हैं. कंपनियां जैसे Axiom Space भविष्य में ISS का स्थान लेने के लिए अपने व्यावसायिक स्टेशन विकसित कर रही हैं. इससे कम लागत और अधिक अवसरों के साथ अंतरिक्ष में शोध जारी रहेगा.
ISS की सेवानिवृत्ति के बाद भी मानव और विज्ञान की दुनिया में नई खोजों का सफर जारी रहेगा. यह न केवल अंतरिक्ष की समझ बढ़ाएगा, बल्कि पृथ्वी पर जीवन को बेहतर बनाने में भी मदद करेगा. साथ ही 2035 तक कई नए स्पेस स्टेशन लॉन्च होने वाले हैं.
तियांगोंग स्पेस स्टेशन
चाइनीज स्पेस स्टेशन की बात करें तो उसका नाम तियांगोंग है जिसे पृथ्वी से 340 से 450 किलोमीटर के बीच लो अर्थ ऑर्बिट में बनाने का काम किया गया है. यह चीन के मानवयुक्त अंतरिक्ष कार्यक्रम का हिस्सा और देश का पहला लंबे समय वाला स्पेस स्टेशन है.
एक्सिओम स्पेस स्टेशन
एक्सिओम स्पेस स्टेशन एक मॉड्यूलर अंतरिक्ष स्टेशन है जिसे एक्सिओम स्पेस नामक कंपनी द्वारा बनाया जा रहा है. जो कई तरह के खोज को करने का काम करेगा.
ब्लू ओरिजिन
ब्लू ओरिजिन एक अमेरिकी प्राइवेट एयरोस्पेस कंपनी है जिसकी स्थापना 2000 में अमेजन के संस्थापक जेफ बेजोस ने की थी. इस कंपनी के प्लान की बात करें तो ये स्पेस की यात्रा को सुरक्षित और आसान बनाना चाहते हैं. इसलिए जल्द ही ये ब्लू ओरिजिन स्पेस स्टेशन को अंतरिक्ष में भेजने वाले हैं.
भारत का स्पेस स्टेशन
इस रेस में भारत भी पीछे नहीं है, इसरो भी अपना स्पेस स्टेशन बना रहा है, जिसे BAS कहा जाता है. इसका पहला मॉड्यूल 2028 में लॉन्च होगी.
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