Last Updated:December 01, 2025, 10:57 IST
Bihar politics News : बिहार की राजधानी पटना का 10 सर्कुलर रोड… यह कोई साधारण पता नहीं है यह पूर्व मुख्यमंत्री रबड़ी देवी का सरकारी आवास है. यह वह जगह है जहां लालू यादव परिवार की राजनीति रचती, बसती और चलती रही है. 2006 से यहीं कई रणनीतियां बनीं, यहीं विरोध खड़े हुए और कई बार तो बिहार की सत्ता का गणित भी बदल गया. अब वही बंगला चर्चा में है, क्योंकि 25 नवंबर को नीतीश सरकार ने पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी को इसे खाली करने का नोटिस भेज दिया. लेकिन, इसके साथ ही 2022 की वो कहानी भी स्मरण में आ गई जब यहां हुई हलचल ने बिहार की सियासत बदल दी थी.
पटना 1 अणे मार्ग और बिहार की राजनीति में सीएम नीतीश से जुड़ी सत्ता परिवर्तन की कहानी पटना. बिहार की राजधानी के दिल में बसा 10 सर्कुलर रोड का बंगला आजकल सुर्खियों में है. 25 नवंबर को पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी को बंगला खाली करने का नोटिस मिला है. नीतीश सरकार की ओर से जारी इस आदेश ने बिहार में राजनीतिक हलचल मचा दी है. यहां राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) ने साफ कह दिया-हम नहीं हटेंगे. लेकिन, यह सिर्फ एक बंगले की बात नहीं. यह बंगला लालू प्रसाद यादव परिवार की राजनीतिक जड़ों का प्रतीक है. यहीं से बिहार की सत्ता के उलटफेर रचे गए और अब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के 1 अणे मार्ग वाले आवास से इसकी दूरी 300 मीटर से बढ़कर 800 मीटर हो गई है. मतलब 500 मीटर का फासला. सड़क का तो है ही, राजनीतिक रिश्तों का भी.
10 सर्कुलर रोड -एक पता नहीं, बिहार की राजनीति का अध्याय
दरअसल, यह बंगला कोई साधारण बिल्डिंग नहीं. 2006 के दशक से यह लालू परिवार का केंद्रीय ठिकाना रहा. यह बंगला आरजेडी का मुख्यालय सरीखा बन गया है. यहां सियासी रणनीतियां बनीं, गठबंधन टूटे और सियासी नारे गूंजे. अब 2025 के विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद बनी नई सरकार ने सख्ती दिखाई है. भवन निर्माण विभाग के आदेश से राबड़ी देवी को विधान परिषद में विपक्ष की नेता के नाते 39 हार्डिंग रोड का बंगला आवंटित किया गया और पुराना बंगला खाली करने को कहा गया. तेजस्वी यादव को भी उनका आवास बदलना पड़ेगा. आरजेडी के प्रदेश अध्यक्ष मंगनी लाल मंडल ने इसे ‘राजनीतिक प्रतिशोध’ बताया है. उन्होंने कहा, यह बदले की कार्रवाई है. नीतीश कुमार बीजेपी के इशारे पर ऐसा कर रहे हैं.
300 मीटर चलकर आई थी सत्ता, अब बढ़ी दूरी क्या कह रही है?
वहीं, जनता दल (यूनाइटेड) ने पलटवार किया है. पार्टी के प्रवक्ता नीरज कुमार बोले, कानून सबके लिए बराबर है. लालू परिवार कितने दिनों तक बंगलों की बात करता रहेगा? यह टकराव बिहार की सियासत को और गर्म कर रहा है. आरजेडी ने विरोध प्रदर्शन की तैयारी की है. लेकिन इस बंगले का इतिहास सिर्फ विवादों का नहीं. यह सत्ता के करीबियों और फासलों का गवाह रहा है. याद कीजिए अप्रैल 2022 का वक्त. तब नीतीश कुमार एनडीए के मुख्यमंत्री थे और राबड़ी देवी के बंगले पर इफ्तार पार्टी थी. तब सब कोई हैरान रह गए जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पैदल ही राबड़ी देवी के आवास में चले गए. मात्र 300 मीटर का फासला तय किया, राबड़ी देवी के बंगले के लॉन में वे लालू परिवार के साथ बैठे, हंसे-बोले. वो तस्वीरें आज भी याद हैं. इसके चार महीने बाद, अगस्त 2022 में नीतीश कुमार ने पाला बदल लिया और महागठबंधन में शामिल होकर फिर मुख्यमंत्री बने.
अगस्त 2022 में नीतीश कुमार जब राबड़ी देवी से मिलने उनके 10 सर्कुलर रोड स्थित सरकारी आवास पर पहुंचे तो उस वक्त लालू प्रसाद के दोनों बेटे तेजस्वी और तेजप्रताप यादव वहीं मौजूद थे. इसके बाद जब राजभवन गए और फिर वहां से वापस लौटे तो भी ये दोनों ही भाई और संजय यादव CM नीतीश के साथ थे.
राबड़ी देवी के बंगले ने सियासत-सत्ता का मौसम बदलते देखा है!
उस दिन भी यही बंगला सियासी मंत्रणा का केंद्र था. लालू प्रसाद ने नीतीश कुमार को फोन किया और गठबंधन तय हो गया. बंगले के बाहर समर्थक जमा हो गए. महज 300 मीटर की दूरी वाले इसी बंगले की गतिविधियों ने बिहार की सत्ता उलट दी. नीतीश कुमार का एनडीए से फासला बढ़ा और आरजेडी से करीबी हो गई. 2022 इफ्तार में नीतीश कुमार ने कहा था, हम भाई जैसे हैं. लेकिन अब, 300 मीटर से बढ़कर यह फासला 800 मीटर का हो रहा है तो इससे साथ ही सबकुछ बदल रहा है.
राजनीतिक संकेतों और बदलते समीकरणों की गवाह
जाहिर है यह बंगला बिहार की राजनीति के आईने जैसा है. यहां 2005 के चुनाव में लालू यादव की हार के बाद 2006 में बुरा दौर देखा. 2010 में नीतीश कुमार की जीत पर और मातम हो गया और गेट पर लगी लालटेन की रोशनी बुझा दी गई थी. फिर 2015 का दौर भी आया जब यहां रौनक लौट आई और मुख्यमंत्री आवास जैसा जलवा और रुतबा इस 10 सर्कुलर रोड वाले बंगले का रहा. फिर 2017 भी आया और बाजी पलटी और नीतीश कुमार ने एनडीए का दामन थाम लिया. इस बंगले की दरो दीवार में तब भी उदासी छा गई थी. लेकिन, तेजस्वी यादव की रणनीति यहीं से परवान भी चढ़ी और 2020 में वह नीतीश कुमार के विकल्प बनते भी दिखे. बहुमत के काफी करीब पहुंचकर सत्ता से दूर तो रह गए, लेकिन हौसला इतना बढ़ गया कि 2022 में यह फिर कमाल कर गया और नीतीश कुमार इसी बंगले तक पैदल चलकर पहुंचे और सत्ता की बाजी पलट गई.
बिहार की सियासत में अचानक अगस्त 2022 में ट्विस्ट आया था और नीतीश कुमार एनडीए से अलग होकर बिहार में महागठबंधन का नेता चुने गए थे. तब लालू यादव की मौजूदगी के कारण राजनीतिक हलचल का केंद्र पटना के 10 सर्कुलर रोड स्थित राबड़ी आवास ही था.
जहां कदमों ने इतिहास लिखा, अब फासले नया संदेश दे रहे हैं!
2022 की वापसी ने फिर इस बंगले में रौनक ला दी. बंगले के गार्डन में लालू यादव की पत्रकारों से बातें, लॉन में चाय की महफिलें-सब कुछ सियासत से जुड़ा हुआ और यह सब हो पाया था नीतीश कुमार के 300 मीटर के फासले को कम करने के फैसले से. मगर 2025 में फिर से सियासी सीन बदल गया, क्योंकि विधानसभा चुनाव में महागठबंधन हार गया. नीतीश कुमार ने बीजेपी के साथ एनडीए मजबूत किया है. अब बंगला विवाद गहरा रहा है और संभव है कि यह विवाद बिहार की सियासत को नई दिशा दे सकता है. सीएम नीतीश कुमार और लालू यादव के बीच का 300 मीटर का फासला 500 मीटर और बढ़ने वाला है. 10 सर्कुलर रोड का बंगला शायद खाली हो जाए, लेकिन इसकी कहानी बिहार के इतिहास में बसी रहेगी. जहां दूरी ने कभी जोड़ा, कभी तोड़ा.
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First Published :
December 01, 2025, 10:57 IST

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