India Morocco News: ‘मेक विद फ्रेंड्स’ से चीनी ‘BRI’ को टक्कर देगा भारत, मोरक्को में टाटा प्लांट से बदल जाएगा पूरा खेल

1 month ago

Significance of Tata Manufacturing Plant in Morocco: भारत शांत रहकर अब चीन को उसी के खेल में धीरे-धीरे मात दे रहा है. आज रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अफ्रीकी मुस्लिम देश मोरक्को के बेरेशिद शहर में टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड के नए मैन्युफैक्चरिंग प्लांट का उद्घाटन किया. मोरक्को में यह प्लांट शुरु होना महज एक कारोबारी पहल ही नहीं है  बल्कि भारत की वैश्विक महत्वाकांक्षाओं का ऐलान भी है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने प्लांट का उद्घाटन करते हुए कहा, 'हम केवल मेक इन इंडिया नहीं, बल्कि मेक विद फ्रेंड्स भी कर रहे हैं.' उनके इस भाषण का संदेश साफ था कि भारत अब चीन जैसी महाशक्तियों के प्रभाव क्षेत्र में अपनी मजबूत मौजूदगी दर्ज कराने के लिए मैदान में उतर चुका है. 

अफ्रीका में चुपचाप चीन को घेर रहा भारत!

पिछले दो दशकों में अफ्रीका चीन का इकोनॉमिक ‘प्लेग्राउंड’ रहा है. अपनी बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) पहल के जरिए चीन ने अफ्रीका महाद्वीप के देशों में सड़कें, रेलमार्ग, बंदरगाह और पावर प्लांट बनाकर अपनी गहरी पैठ बनाई है. लेकिन रक्षा क्षेत्र अब तक उसकी एकतरफा पकड़ नहीं बना पाई है. यहीं पर भारत ने सधी रणनीति अपनाकर उसे घेर लिया है. 

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रिपोर्ट के मुताबिक, मोरक्को में शुरु हुए टाटा मैन्युफैक्चरिंग प्लांट में अत्याधुनिक बख्तरबंद वाहन बनाए जाएंगे, जिन्हें दूसरे देशों को भी एक्सपोर्ट किया जा सकेगा. ऐसा होने पर मोरक्को न केवल रक्षा उत्पादन का केंद्र बनेगा बल्कि अफ्रीका, यूरोप और मध्य पूर्व तक भारत के लिए रणनीतिक दरवाजा खोलेगा. यह वही क्षेत्र है, जिसे चीन ने लंबे समय से अपनी ‘कनेक्टिविटी डिप्लोमेसी’ के जरिए साधने की कोशिश की है.

‘मेक विद फ्रेंड्स’: कूटनीति का नया फॉर्मूला

राजनाथ सिंह ने उद्घाटन समारोह में ‘मेक विद फ्रेंड्स’ की जो बात कही, वह दरअसल चीन के मॉडल के विपरीत है. दूसरे देशों में किए जाने वाले चीन के निवेश को अक्सर शक की नजरों से देखा जाता है और स्थानीय देश उसे ‘डेब्ट ट्रैप’ यानी कर्ज जाल कहकर आलोचना करते रहे हैं. इसके मुकाबले भारत सधी रणनीति इस्तेमाल कर निवेश वाले देशों में स्थानीय साझेदारी और रोज़गार सृजन पर जोर दे रहा है.

रिपोर्ट के मुताबिक, टाटा के नए मैन्युफैक्चरिंग प्लांट के शुरुआती चरण में एक-तिहाई पुर्जे मोरक्को से लिए जाएंगे. इसके बाद आगे चलकर यह हिस्सा आधा हो जाएगा. इसका मतलब है कि मोरक्को के इंजीनियर, तकनीशियन और छोटे उद्योग सीधे इस प्रक्रिया से जुड़े रहेंगे. भारत का यह मॉडल चीन की तरह हावी होने का नहीं, बल्कि साथ मिलकर बढ़ने का संदेश है.

रक्षा बाजार में भारत की जोरदार दस्तक

दुनिया के सबसे बड़े हथियार आयातक देशों में भारत लंबे समय से शामिल रहा है. लेकिन पिछले दस सालों में ‘आत्मनिर्भर भारत’ और ‘मेक इन इंडिया’ अभियानों ने तस्वीर बदली है. अब भारत हथियारों का आयातक ही नहीं, बल्कि निर्यातक भी बनता जा रहा है. मोरक्को में टाटा का यह प्लाटं इस बदलाव का प्रतीक है. यह पहली बार है जब किसी भारतीय कंपनी ने विदेश में रक्षा उत्पादन शुरू किया हो. यह कदम चीन के उन सौदों को चुनौती देता है, जिनके तहत वह अफ्रीका को सस्ती तकनीक और हथियार उपलब्ध कराता रहा है.

मोरक्को में मैन्युफैक्चरिंग प्लांट लगाने के मायने

भारत ने यह प्लांट लगाने के लिए मोरक्को को ही क्यों चुना, इस सवाब के जवाब में भारत की शानदार रणनीति है. असल में मोरक्को भौगोलिक रूप से बेहद अहम है. यह अफ्रीका का प्रवेश द्वार भी है और यूरोप-मध्य पूर्व से सीधा जुड़ाव भी रखता है. इसके ठीक सामने एक छोटा सा समुद्र पार कर यूरोपीय देश स्पेन शुरु हो जाता है. ऐसे में यहां पर भारत का डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग प्लांट स्थापित होना, वैश्विक बाजारों तक पहुंच का नया रास्ता खोलेगा. राजनाथ सिंह के शब्दों में, 'यह सिर्फ व्यापार नहीं, बल्कि असली साझेदारी है, जो क्षमता निर्माण करती है और साझा विकास की नींव रखती है.'

डिफेंस एक्सपर्टों के मुताबिक, अफ्रीका महाद्वीप अब विभिन्न देशों की आपसी प्रतिद्वंदिता का सबसे बड़ा केंद्र बनता जा रहा है. इस दौड़ में फिलहाल चीन सबसे आगे है, जबकि अमेरिका और यूरोप भी छोटे स्तर पर काम कर रहे हैं. हालांकि वे अफ्रीका में उस स्तर तक सक्रिय नहीं हैं कि चीन को टक्कर दे पाएं. अब भारत अपनी सधी हुई रणनीति के साथ पूरी योजना बनाकर अफ्रीका में उतर गया है, जिसके चलते चीन के लिए खतरे की घंटी बज गई है. 

अपनी सॉफ्ट-हार्ड पावर से जवाब दे रहा भारत

अफ्रीका महाद्वीप में जहां चीन अपने निवेश और बुनियादी ढांचे से वहां के देशों को प्रभावित करने की कोशिश कर रहा है. वहीं भारत रक्षा, शिक्षा, आईटी और फार्मा जैसी सॉफ्ट पावर ताकतों का इस्तेमाल कर रहा है. मोरक्को में टाटा का प्लांट शुरु होना इस बात का संकेत है कि भारत अब अपनी हार्ड पावर यानी रक्षा क्षेत्र में भी सीधी मौजूदगी दर्ज कराना चाहता है.

यह प्लांट चीन को भी साफ संदेश है कि अफ्रीका अब केवल ‘मेड इन चाइना’ का क्षेत्र नहीं रहेगा बल्कि अब भारत भी वहां है. वह स्थानीय देशों के साथ साझेदारी, विकास और सुरक्षा की पेशकश के साथ अब अफ्रीका में पांव जमाने में जुट गया है. यह भारत के उस सफर की कहानी है, जिसमें वह आयातक से निर्यातक और स्थानीय खिलाड़ी से वैश्विक दावेदार में बदल रहा है और अब चीन को उसके अपने खेल में चुनौती दे रहा है.

(एजेंसी ANI)

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