Australia Ghost Bat: भारत से 8,015 किमी दूर इस देश ने तैयार किया 'नरभक्षक', बनाने में लगे 50 साल, दुश्मन को पल भर में खा जाएगा Ghost Bat

2 hours ago

ऑस्ट्रेलियाई डिफेंस सिस्टम इन दिनों रक्षा को लेकर काफी खर्च कर रहा है. पिछले महीने ऑस्ट्रेलियाई डिफेंस सिस्टम ने बोइंग के मानव रहित युद्धक  MQ-28A का परीक्षण किया. इस खतरनाक ड्रोन को 'घोस्ट बैट' का नाम दिया. इस ड्रोन को एक बिलियन ऑस्ट्रेलियाई डॉलर के अनुबंध के तहत विकसित किया गया है. इस नई खोज के साथ ही ऑस्ट्रेलिया ने अपने डिफेंस सिस्टम में एक लंबी छलांग लगाई है. ये लॉयल विंगमैन ड्रोन क्रूड एयरक्राफ्ट के साथ जाने के लिए तैयार हैं. ऑस्ट्रेलिया ने इसे डिजाइन करने में 50 से अधिक वर्षों का समय लगा दिया है MQ-28A ड्रोन ऐसा पहला सैन्य विमान है. 

ऑस्ट्रेलिया ने MQ-28A “Ghost Bat” ड्रोन की सबसे बड़ी खासियत ये होगी कि वो बिना पायलट के भी दुश्मनों पर हमला कर सकता है, मिसाइलें दाग सकता है और ह्यूमन पायलट विमानों के साथ टीम बनाकर युद्ध कर सकता है.  इसके परीक्षण के दौरान इस ड्रोन को कई बार सफलतापूर्वक उड़ाया गया है. ऑस्ट्रेलिया आने वाले वर्षों में इसे एरियल वॉर का गेमचेंजर वेपन मान रहा है. इस ड्रोन के सफल परीक्षण आने की खबर सुनने के बाद ऑस्ट्रेलिया के दुश्मनों की नींद उड़ गई है.  50 सालों के लंबे इंतजार के बाद ऑस्ट्रेलिया ने अपनी पहली घरेलू लड़ाकू ड्रोन परियोजना का सफल परीक्षण किया है. 

सफलता पूर्वक पूरा किया परीक्षण
Ghost Bat को लेकर ऑस्ट्रेलिया की गवर्नमेंट और ऑर्मी दोनों बहुत सीरियस हैं. Ghost Bat बहुत ही तेज, स्मार्ट और घातक है इसे कुछ इस तरह से डिजाइन किया गया है कि ये अपने दुश्मनों के लिए आकाश से बरसती मौत का दूसरा नाम साबित हो सके. बीते लगभग 5 महीनों पहले इसका सफलता पूर्वक परीक्षण पूरा हो चुका है. ट्रायल के दौरान घोस्ट बैट ने 150 घंटे से भी ज्यादा उड़ान भरी. वहीं इस दौरान 20 हजार से भी ज्यादा सिमुलेशन टेस्ट भी पास किए और अपने परीक्षण में खरा उतरा.

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क्या है Ghost Bat की खासियत?
Ghost Bat नाम के इस लड़ाकू ड्रोन को लेकर ऑस्ट्रेलिया के दुश्मनों की हालत पतली हो गई है. आइए हम आपको बताते हैं इस Ghost Bat की खास विशेषताएं.

इस ड्रोन को लॉयल विंगमैन के रूप में विकसित किया गया है. यह हवा में अपने साथ उड़ रहे दुश्मन के लड़ाकू विमान की जासूसी कर सकता है.

हवा में उड़ते हुए ये दुश्मन के लड़ाकू विमान की डेटा शेयरिंग कर सकता है और उसपर सीधा हमला भी कर सकता है.

यह अपनी उड़ान स्वयं भर सकता है. इसके लिए किसी मानव पायलट की जरूरत नहीं है. इसका मतलब ये फुल्ली ऑटोमेटिक है 

ये एक मॉड्यूलर डिजाइन है जिससे इसकी मदद से विभिन्न कमांड सेंसर्स से ऑपरेट किए जा सकते हैं. वेपन भी सेंसर्स से ऑपरेट होते हैं. 

इसमें एक और सिस्टम जोड़े जाने की रिसर्च की जा रही है वो है हवा से हवा में मिसाइल दागने की क्षमता जो अगले साल तक पूरी होने की उम्मीद है.

ऑस्ट्रेलिया ने किया 650 मिलियन डॉलर से अधिक का निवेश
न्यूयॉर्क टाइम्स ने बताया कि बोइंग के साथ साझेदारी में ऑस्ट्रेलिया ने अब तक देश में ड्रोन विकसित करने के लिए 650 मिलियन डॉलर से अधिक का निवेश किया है. इसे ऑस्ट्रेलियाई दृष्टिकोण से एक बड़े बदलाव के रूप में देखा जा रहा है क्योंकि यह अमेरिका का करीबी सहयोगी रहा है और सैन्य उपकरणों के लिए अमेरिका पर निर्भर रहा है. लेकिन कैनबरा अब कई रक्षा निर्माताओं के साथ साझेदारी के माध्यम से अपने रक्षा उद्योग को तेजी से शुरू कर रहा है. ऑस्ट्रेलिया के रक्षा मंत्री पैट कॉनरॉय के अनुसार, "हम द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से सबसे बड़ा पारंपरिक हथियारों की दौड़ देख रहे हैं. चीन अपनी पारंपरिक और परमाणु सशस्त्र सेनाओं का बड़े पैमाने पर आधुनिकीकरण कर रहा है." 

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