Last Updated:September 21, 2025, 15:37 IST
AI Knowledge: एआई के दौर में नौकरियों का स्वरूप बदलता जा रहा है. अब यूपी, बिहार, पंजाब, राजस्थान जैसे राज्यों के छोटे शहरों के युवा घर में रहकर स्किलिंग के जरिए बेहतरीन नौकरी हासिल कर सकते हैं.

नई दिल्ली (AI Knowledge). एआई ने नौकरी की दुनिया को पूरी तरह से बदल दिया है. करियर के जो अवसर पहले बेंगलुरु, मुंबई और दिल्ली जैसे बड़े शहरों में ही मिलते थे, वही अब छोटे शहरों और कस्बों में भी मिलने लगे हैं. रिमोट वर्क और डिजिटल उपकरणों ने भौगोलिक सीमाएं तोड़ दी हैं. बरेली का कोडर हो या उज्जैन का डेटा-लेबलिंग एक्सपर्ट, अब कोई भी घर बैठे ग्लोबल प्रोजेक्ट पर काम कर सकता है. इससे न केवल रोजगार के अवसर बढ़े हैं, बल्कि लोकल समस्याओं को हल करने वाले स्टार्टअप्स को भी बढ़ावा मिला है.
एआई का प्रभाव IT इंडस्ट्री तक सीमित नहीं है. इसने ग्रामीण क्षेत्रों में भी पकड़ बना ली है. पंजाब के गांवों में एग्री-टेक स्टार्टअप एआई से फसलों की बीमारियां पता कर रहे हैं. लोकल क्लीनिक AI-बेस्ड डायग्नोस्टिक टूल्स के जरिए बेहतर हेल्थ सर्विस दे रहे हैं. अब करियर बनाने के लिए महंगी डिग्री की जरूरत नहीं है. ऑनलाइन कोर्स के जरिए पाइथन, मशीन लर्निंग और डेटा विजुअलाइजेशन जैसी स्किल्स सीख सकते हैं. लर्निंग स्पायरल के फाउंडर मनीष मोहता से जानिए, एआई छोटे शहरों में करियर के रास्ते कैसे खोल रहा है.
एआई ने बदल दिया छोटे शहरों में नौकरी का कल्चर
कभी भारत में करियर के सपने सिर्फ बड़े शहरों तक ही सीमित थे- आईटी के लिए बेंगलुरु, फाइनेंस के लिए मुंबई और प्रशासन के लिए दिल्ली. लेकिन अब तस्वीर बदल रही है. AI (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) ने छोटे शहरों के युवाओं के लिए भी नए दरवाजे खोल दिए हैं. इंदौर, लखनऊ और नागपुर जैसे टियर-2 शहरों से लेकर अजमेर, सिलीगुड़ी और रांची जैसे टियर-3 शहरों तक, आज युवाओं को ऐसे मौके मिल रहे हैं जो कुछ साल पहले सोचना भी मुश्किल था.
रिमोट वर्क: बराबरी का सबसे बड़ा हथियार
AI की सबसे बड़ी ताकत यह है कि इसने कंपनियों का काम डिजिटल बना दिया है. अब डेटा एनालिसिस, ऑटोमेशन या कस्टमर सपोर्ट जैसे काम कहीं से भी किए जा सकते हैं.
स्थानीय समस्याओं से निकले स्टार्टअप
AI सिर्फ आउटसोर्सिंग का जरिया नहीं है, छोटे शहरों के उद्यमी अपनी समस्याओं का हल निकालने के लिए भी इसका इस्तेमाल कर रहे हैं. इससे प्रोग्रामिंग, ऑपरेशंस, सेल्स और सपोर्ट जैसी नौकरियां सीधे वहीं बन रही हैं.
पंजाब के गांवों में एग्री-टेक स्टार्टअप्स फसलों की बीमारियां पहचानने में AI का उपयोग कर रहे हैं. भोजपुरी, मैथिली और मराठी जैसी भाषाओं में AI ऐप्स बन रहे हैं. इससे सभी के लिए तकनीक आसान हो रही है. छोटे कस्बों के क्लीनिक अब AI डायग्नोस्टिक टूल्स से मरीजों को बेहतर इलाज दे रहे हैं.डिग्री नहीं, स्किलिंग है असली ताकत
AI में करियर बनाने के लिए अब बड़ी डिग्री जरूरी नहीं है. आपको जो आता है, उसी से जुड़ी स्किल्स सीखकर करियर को नई दिशा दे सकते हैं. ये बदलाव महंगे कोचिंग सेंटर भेजने से कहीं बेहतर हैं.
क्रिएटिव करियर की नई राहें
AI ने ऐसे करियर ऑप्शन भी ऑफर किए हैं, जहां टेक्नोलॉजी और क्रिएटिविटी, दोनों साथ चलते हैं.
सूरत का ग्राफिक डिजाइनर AI टूल्स से ग्लोबल ब्रांड्स के लिए कैंपेन बना रहा है. छोटे शहरों के यूट्यूबर्स और डिजिटल क्रिएटर्स AI एडिटिंग और वॉइस-क्लोनिंग से लाखों दर्शकों तक पहुंच रहे हैं. स्थानीय कारीगर AI से नए डिजाइन ट्रेंड्स समझकर अपने प्रोडक्ट्स ऑनलाइन बेच रहे हैं.चुनौतियां और आगे की राह
एआई की पहुंच ने करियर के नए रास्ते खोले हैं लेकिन इससे जुड़ी चुनौतियां भी कम नहीं हैं-
लेकिन सच यह है कि AI छोटे शहरों को पीछे नहीं छोड़ रहा, बल्कि उन्हें ताकत दे रहा है. यह न सिर्फ करियर बदल रहा है बल्कि भारत का भविष्य भी नए सिरे से लिख रहा है.
With over more than 10 years of experience in journalism, I currently specialize in covering education and civil services. From interviewing IAS, IPS, IRS officers to exploring the evolving landscape of academi...और पढ़ें
With over more than 10 years of experience in journalism, I currently specialize in covering education and civil services. From interviewing IAS, IPS, IRS officers to exploring the evolving landscape of academi...
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First Published :
September 21, 2025, 15:37 IST