Last Updated:May 19, 2025, 12:56 IST
Online casino case: मुंबई की एक युवती ऑनलाइन कसीनो गेम की लत में फंसकर लाखों के कर्ज में डूब गई और आत्महत्या की कोशिश की. इलाज के बाद अब वह दूसरों को जागरूक कर रही हैं कि आसान पैसा सिर्फ एक धोखा है.

ऑनलाइन कसीनो (प्रतीकात्मक तस्वीर)
मुंबई की श्वेता (बदला हुआ नाम), जो पेशे से एक कॉर्पोरेट प्रोफेशनल हैं, महज एक क्लिक में ऑनलाइन कसीनो गेम्स की लत में फंस गईं. एक दिन सोशल मीडिया पर स्क्रॉल करते वक्त उन्हें एक स्पोर्ट्स बेटिंग और कसीनो गेम्स का विज्ञापन दिखा. शुरुआत में उन्हें लगा ये सिर्फ मनोरंजन है, लेकिन देखते ही देखते ये आदत जानलेवा बन गई.
पहले जीती लाखों, फिर शुरू हुआ घाटे का दौर
घर से काम करते हुए श्वेता ने इन खेलों को वक्त बिताने का जरिया समझा. शुरुआत में उन्होंने 5 हजार रुपये लगाए और करीब 2 लाख रुपये जीत लिए. इससे उन्हें लगा कि ये तो आसान कमाई का तरीका है. उन्होंने माता-पिता के लिए तोहफे खरीदे और गेमिंग में और पैसे लगाने लगीं.
बोनस और लालच ने खींचा और गहराई में
जब भी वो अपने खाते में दोबारा पैसे डालतीं, गेमिंग प्लेटफॉर्म उन्हें बोनस देता. यह लालच उन्हें बार-बार खींच लाता. पर धीरे-धीरे उनकी जीत की स्ट्रिक खत्म हो गई. उन्होंने बड़ा नुकसान उठाया, फिर भी यह सोचकर खेलती रहीं कि अगली बार जरूर जीतेंगी.
कर्ज और झूठ का जाल
श्वेता ने 7 लाख रुपये का पर्सनल लोन लिया, और उसके बाद दोस्तों से भी पैसे उधार लेने लगीं. उन्होंने झूठ कहा कि वो शेयर बाजार में निवेश कर रही हैं. असल में वो सब पैसा गेमिंग साइट्स पर लगा रही थीं. आखिरकार जब कर्ज असहनीय हो गया, तो उन्होंने अपने माता-पिता को सच्चाई बताई. परिवार को गहरा सदमा लगा, लेकिन उन्होंने श्वेता का साथ दिया और कर्ज चुकाया. कुछ वक्त के लिए श्वेता गेम्स से दूर रहीं, पर फिर एक बार उन्होंने दोबारा गेमिंग में पैसे लगाने शुरू कर दिए.
डिप्रेशन और खुदकुशी की कोशिश
इस बार उन्होंने 2 लाख रुपये का नया लोन लिया और वही चक्र फिर शुरू हुआ. बढ़ते तनाव, नींद और भूख की कमी ने उन्हें मानसिक रूप से तोड़ दिया. आखिरकार उन्होंने आत्महत्या की कोशिश की. सौभाग्यवश समय पर इलाज मिला और वो बच गईं. अस्पताल में कई हफ्तों के इलाज और सर्जरी के बाद वो अब ठीक हैं.
अब दे रही हैं दूसरों को चेतावनी
अब श्वेता इस अनुभव से सबक लेकर दूसरों को जागरूक कर रही हैं. उनका कहना है, “आसान पैसा सिर्फ एक भ्रम है. ऑनलाइन सट्टेबाजी एक ऐसा कुआं है जिसमें आप जितना उतरते जाओगे, उतना ही डूबते जाओगे. किसी भी हाल में आत्महत्या जैसा कदम नहीं उठाना चाहिए.”
युवा पीढ़ी में बढ़ रही है गेमिंग की लत
मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ. अविनाश डी सूसा ने बताया कि 17 से 30 साल के युवाओं में गेमिंग और सट्टेबाजी की लत तेजी से बढ़ रही है. उन्होंने कहा कि सेलिब्रिटी द्वारा इन ऐप्स का प्रचार करना भी इस लत को सामान्य बना देता है.
ऐप्स की डिजाइन खुद एक जाल
‘Responsible Netism’ की सह-संस्थापक सोनाली पाटणकर ने कहा कि ये ऐप्स अपने डिज़ाइन, रंग और लोगो से यूजर्स को बांधकर रखते हैं. इनके पीछे मनोवैज्ञानिक रणनीति होती है, लेकिन इन पर कोई सख्त कानूनी रोक नहीं है.
कानून में अभी भी कई खामियां
साइबर लॉ एक्सपर्ट डॉ. प्रशांत माली ने बताया कि 1867 के पब्लिक गैंबलिंग एक्ट में ऑनलाइन सट्टेबाजी का कोई जिक्र नहीं है. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने यह माना है कि कुछ गेम्स में कौशल का उपयोग होता है, इसलिए वे सट्टेबाजी नहीं माने जाते.
क्रिप्टो और ऑनलाइन गेम्स पर कसे जा रहे हैं शिकंजे
2023 में केंद्र सरकार ने ऑनलाइन रियल मनी गेम्स को लेकर IT नियमों में बदलाव किए हैं. अब ऐसे गेम्स पर सेंट्रल लेवल पर निगरानी रखी जाती है, लेकिन राज्य सरकारों के नियम अलग-अलग हैं. कुछ ऐप्स क्रिप्टो वॉलेट्स के जरिए भी इनाम देते हैं, जिस पर अब मनी लॉन्ड्रिंग कानून भी लागू होता है.
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Mumbai,Maharashtra