Last Updated:May 19, 2025, 13:55 IST
GAME CHANGER CATS DRONE: दुनिया में कई देश ड्रोन टीमिंग को तैयार करने में जुटा है. इसमें भारत भी शामिल है. भारत इस सिस्टम को शायद दुनिया में सबसे पहले तैयार कर दे. ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान की तरफ से भी ...और पढ़ें

भारत का ड्रोन तकनीक में मास्टर स्ट्रोक
हाइलाइट्स
भारत का CATS ड्रोन सिस्टम भविष्य की जंग में गेम चेंजर होगा.CATS में तीन ड्रोन: वॉरियर, हंटर, और अल्फा शामिल हैं.HAL तेजी से CATS प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है.GAME CHANGER CATS DRONE: रूस-यूक्रेन, अरमेनिया-अजरबैजान या इजरायल-हमास की जंग में सबसे ज्यादा लॉंग रेंज वेपन और ड्रोन का इस्तेमाल हुआ है. अब भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष ने भी साफ कर दिया है कि ड्रोन वॉरफेयर ही आज का सबसे घातक हथियार है. ऑपरेशन सिंदूर में भारतीय सेना ने ड्रोन और कामिकाजी ड्रोन का जबरदस्त और सटीक इस्तेमाल किया. भविष्य में यह और घातक होने वाला है. भारत ने स्वदेशी तरीके से एक ऐसे ही हथियार के अविष्कार में लगी है जो दुनिया में नजीर बनने वाला है. इसका नाम है कॉम्बेट एयर टीम सिस्टम यानी CATS. HAL यानी हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड बड़ी तेजी से इस प्रोजेक्ट पर काम कर रही है.
फाइटर जेट और ड्रोन की होगी यह टीम
ऑपरेशन सिंदूर में भारतीय वायुसेना के एयर ऑपरेशन में दर्जनों फाइटर शामिल थे.यह ऑपरेशन भी बड़ा जोखिम भरा था. अब भविष्य में ऑपरेशन तो होगा लेकिन जोखिम नहीं. एक एयरक्राफ्ट से ही ऑपरेशन को अंजाम दिया जा सकेगा. CATS यानी कॉम्बेट एयर टीमिंग सिस्टम में तीन अलग-अलग ड्रोन हैं. तीनों को एक साथ एक ही फाइटर जेट से ऑपरेट किया जा सकेगा. पहला ड्रोन सिस्टम है कैट्स वॉरियर, दूसरा है कैट्स हंटर और तीसरा है कैट्स अल्फा.
CATS वॉरियर का जवाब नहीं
जब भी भारतीय फाइटर किसी भी रिस्की मिशन या ऑपरेशन के लिए निकलेगा तो एक फॉरमेशन के तहत कैट्स वॉरियर भी उड़ान भरेंगे. पायलट अपने कॉकपिट में बैठे ही इसे ऑपरेट कर सकेगा. इन सभी कैट्स वॉरियर ड्रोन में हवा से हवा और हवा से जमीन पर मार करने वाले मिसाइलें लगी होंगी. पायलट दुश्मन के इलाके में टार्गेट सीमा पार किए बिना ही निशाना बना सकेगा. वॉरियर दुश्मन के इलाके में जाकर बम को लॉन्च करेगा और वापस आ जाएगा. मदर शिप से कंट्रोल होगा और यह 250 किलो तक का पेलोड कैरी कर सकता है. HAL का यह एक फ्लैगशिप प्रोजेक्ट है. वॉरियर का इंजन ट्रायल इसी साल जनवरी में किया जा चुका है. अभी यह एडवांस स्टेज में है और इसी साल इसकी पहली उड़ान संभव है.
कैट्स हंटर करेगा शिकार
ऑपरेशन में फाइटर अपने साथ बाकी दोनों ड्रोन कैट्स हंटर और कैट्स अल्फा भी साथ लेकर उड़ान भरेगा. कैट्स अल्फा 4 छोटे-छोटे ड्रोन से लैस होगा. स्वदेशी तेजस इस तरह के करीब 20 ड्रोन के साथ उड़ान भर सकता है. सुखोई-30 या कोई दूसरा फाइटर जेट हो तो वह 40 ड्रोन को अपने साथ ले जा सकता है. एक बार कैरियर से ड्रोन निकलने के बाद आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से अपने-अपने टारगेट तक पहुंचेंगे और उन्हें निशाना बनाएंगे. दुश्मन के इलाके में जाने से पहले ही इसे लॉन्च किया जाएगा. स्वॉर्मिंग तकनीक के जरिए सभी ड्रोन को पहले से ही उसका काम समझा दिया जाएगा. इनमें कुछ रेकी, कुछ मैपिंग और कुछ बम से लैस होंगे. पायलट कॉकपिट में बैठकर इसे ऑपरेट करेगा.
अल्फा का कोई तोड़ नहीं
कैट्स हंटर यह तेजस के विंग के नीचे ही लगा होगा. यह भी कैट्स वॉरियर की तरह ही मिशन को अंजाम देगा लेकिन यह वॉरियर से साइज में थोड़ा छोटा है. इन तीनों ड्रोन में से सिर्फ कैट्स वॉरियर ही वापस लौटेगा जबकि दूसरे ड्रोन मिशन के बाद वापस नहीं लौटेंगे. कोई भी ऑपरेशन लॉन्च होता है तो फाइटर जेट कई टीम लॉन्च किए जाते हैं. भविष्य की लड़ाई के लिए जो यह तकनीक बनाई जा रही है उसमें फाइटर जेट के साथ ड्रोन की टीम भी मिशन पर भेजी जा सकती है और सारा जोखिम वाला काम ड्रोन ही निभा सकेंगे.
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