ये शिव मंदिर पानी के नीचे हैं, हर साल सिर्फ शिवरात्रि पर महादेव देते हैं दर्शन

3 hours ago

Last Updated:May 19, 2025, 17:48 IST

Hidden Shiva temple: पुदुक्कोट्टई जिले की नार्थमलाई गुफा में पानी के नीचे स्थित एक रहस्यमयी शिवलिंग है. यह गुफा मंदिर प्राचीन इतिहास, प्राकृतिक सुंदरता और धार्मिक आस्था का अद्भुत मेल है, जिसकी जानकारी बहुत कम ल...और पढ़ें

ये शिव मंदिर पानी के नीचे हैं, हर साल सिर्फ शिवरात्रि पर महादेव देते हैं दर्शन

पुदुक्कोट्टई गुफा मंदिर

तमिलनाडु का पुदुक्कोट्टई जिला अपने ऐतिहासिक और सांस्कृतिक खजानों के लिए जाना जाता है. यहां की गुफाएं, प्राचीन मंदिर, किले और मूर्तियां देखकर कोई भी हैरान रह जाए. इसी जिले में एक ऐसा अनोखा मंदिर है जो आम नजरों से छुपा रहता है – क्योंकि वह पानी के नीचे स्थित है. यह रहस्यमयी शिवलिंग पुदुक्कोट्टई जिले के नार्थमलाई क्षेत्र में स्थित है, जो मुख्य शहर से करीब 17 किलोमीटर की दूरी पर है.

नौ पहाड़ियों के बीच छुपा खजाना
नार्थमलाई एक छोटा लेकिन बेहद खास इलाका है, जो नौ छोटी-छोटी पहाड़ियों से घिरा हुआ है – मेलामलाई, कोट्टईमलाई, कदंबर मलाई, परैयार मलाई, उवक्कन मलाई, आलुरुट्टी मलाई, बोम्मदी मलाई, मनमलाई और पोनमलाई. यह इलाका एक दिवसीय यात्रा के लिए बेहतरीन जगह माना जाता है, जहां इतिहास, प्रकृति और आस्था का अनोखा संगम देखने को मिलता है.

झरने के रास्ते छुपा है प्राचीन शिव मंदिर
मेलामलाई की ओर बढ़ते समय एक खूबसूरत झरना आता है – सिंगम सुनाई. इसी झरने के पास स्थित है एक रहस्यमयी गुफा, जिसमें बना है भगवान शिव को समर्पित एक प्राचीन मंदिर. यह गुफा मंदिर करीब 15 फीट गहरा है, और इसे “जिरहरेश्वरर गुफा मंदिर” कहा जाता है. इस मंदिर की सबसे खास बात यह है कि यहां का शिवलिंग गुफा के अंदर, पानी के नीचे स्थित है.

धूप में दिखती है मंदिर की राह
अगर आप सही समय यानी तेज धूप में वहां पहुंचते हैं, तो गुफा के भीतर से मंदिर की राह नजर आने लगती है. तभी जाकर इस अनोखे शिवलिंग के दर्शन हो सकते हैं. यही कारण है कि यह मंदिर ज्यादा लोगों को पता नहीं है, क्योंकि अधिकतर समय गुफा पानी से भरी रहती है.

राजा की रानी ने किया था पूजन, शिलालेख में दर्ज है प्रमाण
इस मंदिर के पास मौजूद एक पुराना शिलालेख इस जगह के ऐतिहासिक महत्व को और भी खास बना देता है. इस शिलालेख में बताया गया है कि साल 1857 में पुदुक्कोट्टई के राजा रामचंद्र थोंडैमन की रानी ने इसी झरने से पानी लेकर शिवलिंग की पूजा की थी.

स्थानीय लोग संभालते हैं परंपरा, मनाते हैं शिवरात्रि
गुफा में पानी भरने के कारण यह मंदिर अक्सर छिपा रहता है. लेकिन शिवरात्रि जैसे खास मौकों पर स्थानीय लोग मिलकर वहां मोटर लगाते हैं, पानी बाहर निकालते हैं और फिर श्रद्धा से शिवरात्रि का त्योहार मनाते हैं. बिना किसी शोरगुल और भीड़ के, यह पूजा सादगी से होती है लेकिन आस्था से भरी होती है.

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